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उमर ख़ालिद एक सप्ताह की अंतरिम ज़मानत पर जेल से रिहा

कड़कड़डूमा कोर्ट ने ख़ालिद को उनकी छोटी बहन की शादी के लिए 7 दिन यानी 23 से 30 दिसंबर तक की अंतरिम ज़मानत दी है। ख़ालिद को 30 दिसंबर को सरेंडर करना होगा।
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फ़ोटो साभार: Live Law

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद को अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए एक सप्ताह की अंतरिम ज़मानत मिलने के बाद शुक्रवार को यहां तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

कारागार अधिकारियों के अनुसार, ख़ालिद को शुक्रवार सुबह रिहा किया गया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने ख़ालिद को ज़मानत दी थी। ख़ालिद को 23 से 30 दिसंबर तक के लिए ज़मानत दी गई है।

ख़ालिद पर ग़ैरक़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत कथित रूप से फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों का मुख्य षड्यंत्रकारी होने का मामला दर्ज किया गया था। इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।

संशोधित नागरिकता क़ानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनआरसी) के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। दिल्ली पुलिस ने ख़ालिद को सितंबर 2020 में गिरफ़्तार किया था।

ज्ञात हो कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों की साजिश से जुड़े मामले में गिरफ़्तार जेएनयू का पूर्व छात्र उमर ख़ालिद 27 महीने बाद अंतरिम ज़मानत पर शुक्रवार को सुबह तिहाड़ जेल से बाहर आ गए हैं। कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोपी ख़ालिद को उनकी छोटी बहन की शादी के लिए 7 दिन यानी 23 से 30 दिसंबर तक की अंतरिम ज़मानत दी है। ख़ालिद को 30 दिसंबर को सरेंडर करना होगा।

बता दें कि, ख़ालिद ने अपनी बहन की शादी के लिए दो हफ़ते (20 दिसंबर से 3 जनवरी) की अंतरिम ज़मानत मांगी थी, लेकिन अदालत ने उनकी महज़ एक सप्ताह की अंतरिम ज़मानत मंज़ूर की थी।

अदालत ने अंतरिम ज़मानत देते हुए उन पर कई शर्तें लगाई है। इन शर्तों में उमर ख़ालिद को यह निर्देश दिया गया है कि ज़मानत अवधि में वह सोशल मीडिया सहित किसी भी मीडिया संस्थान से बात नहीं करेंगे या कोई साक्षात्कार नहीं देंगे। इसके अलावा, अदालत ने ख़ालिद को रोज़ाना वीडियो कॉल के माध्यम से जांच अधिकारी (आईओ) से संपर्क करने का भी निर्देश दिया।

ज्ञात हो कि जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद पर फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों से जु़ड़े मामले में ग़ैरक़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया गया था। ख़ालिद पर दिल्ली दंगों का मुख्य षड्यंत्रकारी होने का आरोप है। इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे। ख़ालिद को दिल्ली पुलिस ने सितंबर 2020 में गिरफ़्तार किया था।

(न्यूज़ एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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