Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?

एक बार फिर यूपी पुलिस की दबिश सवालों के घेरे में है। बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने से मौत मामला सामने आया है।
up police

"यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है।"

बीते दिनों चंदौली की घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का ये बयान सामने आया था। तब पुलिस की दबिश के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में एक युवती की मौत हो गई थी। पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया था कि उनकी 24 साल की बेटी से एक पुलिसकर्मी ने बलात्कार किया तथा मारपीट और ज़ोर-जबर्दस्ती के कारण उसकी मौत हो गई। अब एक बार फिर यूपी पुलिस की यही दबिश सवालों के घेरे में है। इस बार मामला बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र का है। यहां पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने का मामला सामने आया है।

बता दें कि जहर खाने से आरोपी की मां और छोटी बहन की आज, गुरुवार 26 मई को मौत हो गई। इससे पहले बड़ी बहन की उपचार के दौरान बुधवार, 25 मई को मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस उपनिरीक्षक समेत छह लोगों के खिलाफ उत्पीड़न और उत्पीड़न के कारण आत्महत्या करने का मामला दर्ज किया गया है।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक मामला मंगलवार, 24 मई का है। छपरौली गांव के एक ग्रामीण ने कुछ दिनों पहले पुलिस में तहरीर दी थी कि उसकी पुत्री को गांव का ही प्रिंस नामक युवक लेकर कहीं चला गया है। इस मामले में पुलिस लड़के के घर लगातार दबिश दे रही थी। मंगलवार शाम पुलिस को वादी पक्ष से सूचना मिली थी कि आरोपी और लड़की गांव में ही घर पर हैं। इस सूचना पर शाम करीब सात बजे पुलिस दबिश देने गई थी। इसी दौरान घर में मौजूद आरोपी युवक की मां अनुराधा एवं दो बहनों ने सल्फास और चूहे मारने वाली दवाई खा ली थी।

पुलिस ने इनको पहले पास के ही एक अस्पताल में भर्ती कराया, वहां से उन्हें मेरठ के सुभारती अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया था। एसपी के अनुसार, आरोपी युवक की मां एवं दो बहनों ने जहर क्यों खाया इसका अभी पता नहीं चल सका है। उन्होंने बताया कि अब तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक, आरोपी की मां और दोनों बहनों को डर था कि आरोपी के नहीं पकड़े जाने पर पुलिस उनको हिरासत में ले सकती है।

एक महीने में चौथी बार यूपी पुलिस की दबिश पर उठे सवाल

मालूम हो कि ये इस महीने की चौथी घटना है, जब यूपी पुलिस की दबिश पर सवाल उठे हैं। अलग-अलग मामलों में अब तक यूपी पुलिस की दबिश के दौरान कथित तौर पर छह महिलाओं की मौत हो चुकी है। इससे पहले बीते 14 मई को उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के सदर थाना क्षेत्र के एक गांव में पुलिस की दबिश के दौरान एक महिला की कथित तौर पर गोली लगने से मौत हो गई थी। इस मामले में 15 मई को सिद्धार्थ नगर कोतवाली के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था।

प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के पचोखरा क्षेत्र में बीते सात मई को भी कथित रूप से पुलिस द्वारा हिंसात्मक रूप से धक्का दिए जाने से गिरी एक 60 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला की मौत का मामला सामने आया था। मृतक राधा देवी के चार बेटे पिछले महीने अपने रिश्तेदारों से मारपीट के आरोप में जेल गए थे और बीते सात मई की शाम को ही जेल से छूटकर आए थे। पुलिस का दस्ता उनसे पूछताछ करने गया था, जब यह घटना हुई।

इससे पहले बीते एक मई को उत्तर प्रदेश में चंदौली जिले के सैयदराजा क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में एक युवती की मौत हो गई थी। इस मामले में निलंबित थानाध्यक्ष समेत छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था।

ये घटना तब सामने आई, जब सैयदराजा थाना क्षेत्र के मनराजपुर गांव में पुलिस का एक दल एक हिस्ट्रीशीटर कन्हैया यादव को पकड़ने के लिए उसके घर पहुंचा था। यादव के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी हुआ था। पीड़ित परिवार का आरोप है कि इस दौरान एक पुलिसकर्मी ने कारोबारी की 24 साल की बेटी से बलात्कार किया तथा मारपीट और जोर-जबर्दस्ती के कारण उसकी मौत हो गई।

यूपी पुलिस की गिरती साख

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश पुलिस आए दिन अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में बनी रहती है। कभी गाड़ी पलटने के बाद एनकाउंटर हो, या पीड़ित को और प्रताड़ित करने का मामला। कभी पिस्तौल की जगह मुंह से ठांय-ठांय बोलकर हीरो बनते दारोगा हों या फिर कथित लव जिहाद के केस में सुपर एक्टिव अंदाज़ में प्रेमी जोड़ों को पकड़ कर केस करना हो, इन सब मामलों में यूपी पुलिस ‘सदैव तत्पर’ रहती है।

अपराध, विवाद में कानून का सही ढ़ंग से पालन हो रहा है या नहीं इससे यूपी पुलिस को शायद कोई फर्क नहीं पड़ता। तभी तो इलाहाबाद हाईकोर्ट की कई बार फटकार के बाद दिल्ली हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट से भी यूपी पुलिस को तगड़ी झाड़ लग चुकी है बावजूद इसके पुलिस के काम करने के तरीके में कोई बदलाव नज़र नहीं आता। ‘सुरक्षा आपकी, संकल्प हमारा' मोटो के साथ इनदिनों यूपी पुलिस आम लोगों की छोड़िए कानून की रक्षा भी नहीं कर पा रही। आए दिन इसकी साख गिरती ही जा रही है और यूपी पुलिस खुद अपनी छवि रोज बद से बदतर करवाती जा रही है।

इसे भी पढ़े:दिल्ली हाईकोर्ट की फटकार और यूपी पुलिस की गिरती साख!

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest