Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

उत्तराखंड: चर्चा के बिना विधेयक सदन में पारित, विपक्ष का सरकार पर हमला

“विधानसभा का सत्र क्या सिर्फ़ एक औपचारिकता भर है, जिसे निभाना है। ये अजीब विडंबना है कि विधानसभा के पास बिजनेस नहीं है। जबकि जनता के सवाल चारों तरफ खड़े हैं। सरकार सदन में बिना चर्चा के विधेयक पारित कर रही है, अगर वो जनता के लिए बनाए जा रहे हैं तो उस पर चर्चा तो होनी चाहिए।”
Uttarakhand Vidhansabha
उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिनों के लिए आहूत किया गया लेकिन 2 दिन बाद ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।

रिवर्स माइग्रेशन की मिसाल बने पौड़ी के किसान सुधीर सुंद्रियाल कहते हैं कि लगता है सरकार को पलायन की कड़वी स्थिति का अहसास दिलाने के लिए हम लोगों को सामूहिक पलायन जैसी किसी योजना पर काम करना होगा।

वे बताते हैं “नवंबर माह में पशुपालन विभाग के एडीजी अशोक कुमार हमारे क्षेत्र में आए थे, हमने उनसे कहा कि आप चाहते हैं कि किसान पशुपालन करें और वन विभाग चाहता है कि बाघ-गुलदार बढ़े। आप दोनों की योजना आपस में टकरा रही है। वन्यजीवों के हमले और अन्य वजहों से पशुपालकों को हो रहे नुक़सान पर आपके विभाग के मंत्री (सौरभ बहुगुणा) कोई आवाज़ उठाएंगे? क्या वन्यजीवों के हमले से ग्रामीणों की जान और फ़सल बचाने के उपाय किए जाएंगे। पशुपालन विभाग, वन विभाग सभी अच्छा कार्य कर रहे हैं और ग़लती सिर्फ़ हम लोगों की है।”

“गुलदार से लोगों की जान को ख़तरा है और जंगली सूअर से खेती पर ख़तरे की वजह से हमारे क्षेत्र से लगातार पलायन हो रहा है। हमारा जीवन, हमारी खेती और पशुपालन सब ठप है”, यह कहते हुए सुधीर गवाणी गांव का उदाहरण देते हैं जहां बचे-खुचे खेतों में हो रही खेती भी इस साल किसानों ने छोड़ दी। क्योंकि जंगली सूअर खेतों को नुक़सान पहुंचा रहे हैं।

किसान सुधीर सुंद्रियाल अपने क्षेत्र के बचे-खुचे किसानों में से एक हैं जो पौड़ी के चौबट्टाखाल तहसील के मझगांव ग्रामसभा में बंजर खेतों के बीच हरियाली की उम्मीद बनाए हुए हैं। वह पहाड़ के किसानों की जिन मुश्किलों की बात कर रहे हैं, उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस पर कोई आवाज़ नहीं उठी। चौबट्टाखाल से विधायक सतपाल महाराज राज्य के पर्यटन मंत्री भी हैं।

बीते दिनों राज्य में कई ज्वलंत मुद्दों पर जनाक्रोश गहराया। अंकिता भंडारी हत्याकांड, छावला गैंगरेप, दलितों की हत्या, UKSSSC भर्ती घोटाला, बेरोज़गारों की मांगें, राज्यभर में वन्यजीवों के बढ़ते हमलों से बनी दहशत, वन्यजीवों के हमलों के डर से हो रहा पलायन, भू-क़ानून की मांग, ये वे मुद्दे हैं जिन पर उत्तराखंड में लगातार बहस हो रही है, प्रदर्शन हो रहे हैं, लोगों में निराशा और नाराज़गी है। इनके अलावा भी कई ज़रूरी मुद्दे हैं जिन पर राज्य की जनता सरकार से उम्मीदें लगाए है।

पौड़ी की चौबट्टाखाल तहसील के किसान जंगली सूअरों से फ़सल के नुक़सान पहुंचने की समस्या से परेशान हैं।

जनता के पास मुद्दे ही मुद्दे, सरकार के पास बिजनेस नहीं

29 नवंबर से विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिनों के लिए आहूत किया गया था। लेकिन 5,440 करोड़ के अनुपूरक बजट और सदन के भीतर हंगामे के बीच 14 विधेयक पास कराकर इस सत्र को दो ही दिनों में अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। 30 नवंबर की शाम ही इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई।

इस फ़ैसले पर राज्यभर में तीखी प्रतिक्रिया हुई। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी ने कहा कि उनके पास सत्र के लिए जितना भी बिजनेस आया था दो दिनों में पूरा हो गया। कर दाताओं के पैसे पर 5 दिन बिना बिजनेस सत्र चलाना बेईमानी है।

सरकार के इस रवैये पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष करन माहरा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि 2 दिन के हंगामे में बिना किसी चर्चा के 14 विधेयक पास कर दिए गए। क़ायदे से इनकी प्रतियां 24 घंटे पहले विधायकों को दी जानी चाहिए थी। लेकिन ये प्रतियां नहीं दी गईं।

माहरा ने अनुपूरक बजट को लेकर भी सवाल खड़े किए कि जब पिछले बजट का 60 प्रतिशत पैसा ही ख़र्च किया जा सका है तो सरकार अनुपूरक बजट क्यों लेकर आई। जब 5 दिनों का सत्र आहूत किया गया था तो 5 दिनों के लिए बिजनेस भी तय करना चाहिए था। अगर 14 विधेयकों पर चर्चा कराई गई होती तो 5 दिन छोड़िए 10 दिन भी कम पड़ जाते।

सीपीआई-एमएल के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी कहते हैं “विधानसभा का सत्र क्या सिर्फ़ एक औपचारिकता भर है, जिसे निभाना है। ये अजीब विडंबना है कि विधानसभा के पास बिजनेस नहीं है। जबकि जनता के सवाल चारों तरफ़ खड़े हैं। सरकार सदन में बिना चर्चा के विधेयक पारित कर रही है, अगर वो जनता के लिए बनाए जा रहे हैं तो उस पर चर्चा तो होनी चाहिए”।

इंद्रेश आगे कहते हैं, “कई गंभीर सवाल हैं, जो विधानसभा के सत्र का हिस्सा होना चाहिए था लेकिन वे नहीं उठाए गए। राज्य में जंगली जानवरों के हमले लगातार बढ़ रहे हैं। दलित उत्पीड़न की घटनाएं तेज़ी से बढ़ी हैं। एक सितंबर को अल्मोड़ा में दलित व्यक्ति की हत्या हुई। 4 सितंबर को उत्तरकाशी में 16 साल की दलित लड़की से दुष्कर्म की घटना हुई। 23 नवंबर को पिथौरागढ़ में दलित व्यक्ति की हत्या हुई। दलित उत्पीड़न के सवाल पर सदन में किसी ने कुछ भी नहीं बोला। उधमसिंह नगर में अवैध तरीक़े से फ़ैक्ट्री बंद करने पर मज़दूरों ने प्रदर्शन किया। यह मुद्दा कहीं नहीं उठा।”

राज्य में भू-क़ानून लाने की लगातार मांग की जा रही है। शीतकालीन सत्र में सरकार ने धर्मांतरण क़ानून पास कर दिया। इंद्रेश कहते हैं “जब केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है। फिर धर्मांतरण का मुद्दा क्यों इतना बड़ा बना हुआ है। धर्म की राजनीति सत्ता दिलवा सकती है लेकिन आम जनता को शिक्षा, रोज़गार, न्याय नहीं दिलवा सकती। इन मुद्दों पर आप काम नहीं करते तो धर्म की बात करेंगे।”

पौड़ी के श्रीनगर में अंकिता भंडारी हत्याकांड पर सीबीआई जांच की मांग को लेकर गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्रों ने 24 नवंबर को किया विरोध प्रदर्शन।

अंकिता भंडारी मुद्दा

पौड़ी के एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय में शोधार्थी शिवानी पांडे कहती हैं “अंकिता भंडारी हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग की जा रही है। इस मांग को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। अंकिता के बुज़ुर्ग मां-बाप समेत हम सभी जानना चाहते हैं कि इस मामले में बार-बार जिस वीआईपी का ज़िक्र आ रहा है, वह कौन है। हमें उम्मीद थी की विधानसभा सत्र में इस मुद्दे को अच्छी तरह उठाया जाएगा। लेकिन ऐसा लगता है कि सदन में इस मुद्दे पर रस्म अदायगी कर दी गई। यह पहाड़ के रिसॉर्ट कल्चर में महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है।”

शिवानी कहती हैं ऐसा नहीं है कि राज्य में मुद्दे नहीं है। बल्कि जो मुद्दे हैं, सरकार उन्हें देखना नहीं चाह रही, न ही विपक्ष इन मुद्दों को ठीक तरह उठा पा रहा है। सरकार के लिए धर्मांतरण क़ानून बड़ा सवाल है वो उस पर काम कर रही है लेकिन अंकिता भंडारी की हत्या बड़ा मुद्दा लग ही नहीं रहा। जो राज्यभर की महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने भी इस मामले में अपने फेसबुक अकाउंट पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा कि उत्तराखंड विधानसभा का सत्र 5 दिन के बजाय अचानक दो ही दिन में समाप्त हो गया। बहुत उम्मीद थी कि छावला गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का पूरा ख़र्च राज्य सरकार उठाएगी और देश के वरिष्ठ वकीलों को दायित्व सौंपेगी। अंकिता भंडारी के परिजनों को न्याय दिलाने का रास्ता निकलेगा। लोगों की आशाएं टूट गईं।

दो दिन में ही सत्रावसान पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी ने कहा कि सत्र के लिए तय किए गए बिजनेस दो दिन में ही निपटा लिए गए।

बिजनेस पूरा हुआ!

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहती हैं “सत्र 5 या 10 दिन भी चलाया जा सकता है लेकिन उसके लिए बिजनेस होना चाहिए। वह कहती हैं सदन में विपक्ष के नेताओं ने जितने मुद्दे उठाए सरकार ने इसके जवाब दिए। UKSSSC भर्ती घोटाला, अंकिता भंडारी मामला, बेरोज़गारी, महंगाई, आपदा पर विपक्ष ने सवाल उठाए और सरकार की तरफ़ से जवाब दिए गए। हमें जो बिजनेस दिया गया था वह हमने दो दिन में पूरा कर लिया। सिर्फ़ इसलिए कि कोई कह रहा है सत्र होना चाहिए, हम सत्र नहीं चला सकते।” वह कहती हैं कि सदन में पक्ष के विधायक चर्चा नहीं करते बल्कि विपक्षी नेताओं के सवालों का जवाब देते हैं।

प्रदेश कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना कहते हैं “इस समय पूरे प्रदेश में कई ज्वलंत मुद्दे हैं। संसदीय कार्यमंत्री की अध्यक्षता में बिजनेस एडवाइजरी कमेटी बिजनेस तय करती है। इस कमेटी के हिसाब से राज्य में कोई मुद्दा ही नहीं है, जिस पर विधायक सदन में चर्चा कर सकें। पूर्ण बहुमत की सरकार होने की स्थिति ने इस तानाशाही ने अराजकता को पैदा किया है।”

उधर, सुधीर सुंद्रियाल जैसे किसान अपने क्षेत्र की रोज़ की मुश्किलों से गुज़रते हुए, नाउम्मीदी में, अपने क्षेत्र के विधायक की चुप्पी पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हैं।

इस बीच, धूमिल की एक कविता का अंश यहां पढ़ा जा सकता है...

“मगर उस चालाक आदमी ने मेरी किसी बात का उत्तर

नहीं दिया और हंसता रहा – हंसता रहा – हंसता रहा

फिर जल्दी से हाथ छुड़ाकर

'जनता के हित में' स्थानांतरित

हो गया।“

वर्षा सिंह देहरादून स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest