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उत्तराखंड: अतिक्रमण हटाने के अभियान में 'मज़ार जिहाद' का नारा क्यों दिया?

“....उन्होंने धर्म के नाम पर बंटवारा कर विजय का स्वाद चख लिया है। पिछली बार लैंड जिहाद किया, इस बार मज़ार जिहाद करेंगे, अगली बार कुछ और करेंगे”।
Uttarakhand
हरिद्वार में अवैध बताए गए मज़ार को हटाने की कार्रवाई, तस्वीर साभार- सूचना विभा

हरिद्वार के चंडी देवी मंदिर के ठीक बगल में बने मज़ार को तोड़ा जा रहा था। ये मज़ार वनों में रहने वाले वन गुज्जर समुदाय के लोगों के लिए आस्था का केंद्र था। वन गुज्जर समुदाय के युवा और वन गुज्जर ट्राइबल संगठन से जुड़े मीर हम्जा कहते हैं कि उन्होंने हरिद्वार के जिलाधिकारी को दो महीने पहले पत्र लिखा था। ये मज़ार कम से कम 4-5 पीढ़ी से वन गुज्जर की आस्था का केंद्र था लेकिन उसे तोड़ दिया गया।

हम्जा कहते हैं कि वन अधिकार अधिनियम के तहत वन गुज्जरों को जंगल पर अधिकार दिए जाते समय इस मज़ार को प्रमाण माना गया था। वह अतिक्रमण हटाने में पक्षपात का आरोप लगाते हैं। “हरिद्वार में राजाजी नेशनल पार्क में एक सत्यनारायण मंदिर है, सोनीसोत में मज़ार है। वन गुज्जर के दावों में उनके वनों में रहने का वो सबूत है। मज़ार को खत्म कर दिया गया लेकिन मंदिर कायम है। गैंडीखत्ता में एक बहुत पुरानी मज़ार है, कम से कम 4-5 पीढ़ियों से लोग वहां जा रहे हैं। वर्ष 1931 से वहां जाने के प्रमाण हैं। लेकिन उसे भी ध्वस्त कर दिया गया। वहीं, हरिद्वार के ही सिखस्रोत में आश्रम बना हुआ है, जो अवैध है लेकिन उसको नहीं हटाया गया”।

मीर हम्जा कहते हैं कि अवैध मज़ार या मंदिर की जांच के लिए स्थानीय स्तर ग्राम प्रधान या वन अधिकार समिति के साथ मिलकर पर एक टीम बनानी चाहिए थी। लेकिन वन विभाग ने एक वन अधिकारी को नोडल अफ़सर बनाकर मज़ार चिह्नित करने और हटाने की ज़िम्मेदारी दे दी।

उत्तराखंड में दिसंबर 2022 में वन क्षेत्र के भीतर अवैध तरीके से बने धार्मिक ढांचों को चिह्नित किया गया। इसके अलावा भी अवैध ढांचों को चिह्नित करने की कार्रवाई जारी है। चिह्नित ढांचों में हरिद्वार का मनसा देवी मंदिर, बिल्केश्वर महादेव मंदिर, रामनगर का गर्जिया देवी मंदिर समेत कई पुरानी गुफाएं, पीर मज़ार, कब्रिस्तान शामिल हैं।

अवैध अतिक्रमण हटाने के नाम पर लोगों में प्रतिक्रिया जरूर हुई। लेकिन ये प्रतिक्रियाएं अप्रैल महीने में आए दो बयानों के बाद तेज हुईं। हरिद्वार के जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरी ने 10 अप्रैल को एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को राज्य में बनी अवैध मज़ारों की बात कही। उन्होंने बयान दिया कि राज्य में दो तरह के जिहाद चल रहे हैं। एक मज़ार जिहाद और दूसरा भूमि जिहाद।

अप्रैल के तीसरे हफ्ते में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक कार्यक्रम में कहा कि हम उत्तराखंड में 'लैंड जिहाद' और 'मज़ार जिहाद' बिल्कुल नहीं होने देंगे। राज्य में ऐसे एक हजार स्थान चिह्नित किए गए हैं जहां पर धर्म के नाम पर अतिक्रमण हुआ है। इन्हें हटाने का काम शुरू कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद वन विभाग ने ऐसे अतिक्रमण हटाने का काम तेज़ कर दिया।

वन विभाग द्वारा चिह्नित अवैध धार्मिक अतिक्रमण में हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर समेत कई मंदिर, गुफा, मज़ार, कब्रिस्तान शामिल हैं।

वन भूमि पर अतिक्रमण पर कार्रवाई

वन विभाग ने इस अतिक्रमण हटाओ अभियान का नोडल अधिकारी वरिष्ठ आईएफ़एस पराग मधुकर धकाते को बनाया है।

न्यूज़क्लिक से बातचीत में वह कहते हैं कि भारतीय वन अधिनियम और वन संरक्षण अधिनियम के तहत वन क्षेत्र में बने अवैध धार्मिक अवस्थापना को चिह्नित कर हटाने का कार्य किया जा रहा है। “वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 11,861 हेक्टेयर वनभूमि पर अतिक्रमण है। इसमें सभी प्रकार के अतिक्रमण शामिल हैं। सैटेलाइट इमेज और ड्रोन के ज़रिए संबंधित वन क्षेत्र के डीएफ़ओ अतिक्रमण चिह्नित करने की कार्रवाई कर रहे हैं”।

धकाते कहते हैं कि अवैध पाए गए निर्माण के बारे में कोई दावा करेगा तो उसे कानून के अनुसार निपटाया जाएगा। फॉरेस्ट राइट्स एक्ट (एफआरए) के तहत कोई मामला आता है तो समाज कल्याण विभाग द्वारा उस पर बात की जा सकती है। हालांकि वन विभाग के पास अभी तक ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है, जिसमें किसी ने मंदिर या मज़ार पर वन अधिकार अधिनियम के तहत दावा किया हो।

नोडल अधिकारी पीएम धकाते आगे बताते हैं कि नैनीताल में कुछ आश्रम और मंदिर हैं, जिनके लिए वन भूमि हस्तांतरित हुई थी, ऐसे कुछ मामलों में रिन्यूवल की प्रक्रिया भी चल रही है। कुमाऊं के कुछ मंदिरों को शिफ्ट किया गया है। ऐसी सूचना भी है कि अतिक्रमण हटाने के बाद तत्काल दूसरी संरचना बना दी गई, वो भी तत्काल तोड़ी जा रही है।

उधमसिंह नगर की खटीमा तहसील में वन विभाग ने झनकईया वन क्षेत्र में बने मंदिर को हटाया। वहां भी ग्रामीणों में नाराजगी देखने को मिली।

अब तक 200 हेक्टेअर क्षेत्र से अतिक्रमण हटाया जा चुका है।

“मज़ार जिहाद” पर आपत्ति

भाजपा नेता रहे और उत्तराखंड वक़्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं है कि कई जगह अवैध मज़ारें सामने आई हैं। सिर्फ एक चारदीवारी बनाकर लोगों की आस्था और धर्म के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। ये एक तरह की दुकानें हैं जो अंधविश्वास को फैलाने का काम करती हैं। राज्य की सभी पुरानी मज़ारें, कब्रिस्तान, मस्जिद और दरगाह वक़्फ़ बोर्ड के रिकॉर्ड में दर्ज हैं। अगर वक़्फ़ बोर्ड में दर्ज कोई मज़ार तोड़ने की शिकायत आती है तो हम मुख्यमंत्री से बात करेंगे।

लेकिन मज़ार जिहाद शब्द पर शम्स भी अपनी आपत्ति दर्ज कराते हैं। वह कहते हैं “जिहाद का मतलब जद्दोजहद होता है। अगर कोई इसे जिहाद का नाम दे रहा है तो इसका कोई औचित्य नहीं है। अवैध कब्जे हर धर्म संप्रदाय के होते हैं, उसे दुरुस्त करने की जरूरत है, ऐसे शब्द गढ़ना गलत है”।

वरिष्ठ पत्रकार एसएमए काज़मी कहते हैं वर्ष 2017 में राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद से यहां लगातार इस्लामोफोबिया बढ़ा है। ये सुनियोजित ढंग से किया जा रहा है। पहाड़ में मुस्लिम आबादी बेहद कम है और वहां भी छोटी-छोटी बात पर मुसलमानों की दुकानें तोड़ने जैसे काम किये जा रहे हैं।

वह कहते हैं कि 2022 विधानसभा चुनाव के समय ये लैंड जिहाद लेकर आए। उस समय कहा गया कि पहाड़ों में मुस्लिम आबादी ने डेमोग्राफी बदल दी है। तब मुख्यमंत्री धामी ने सभी ज़िलाधिकारियों को इसकी पड़ताल के लिए पत्र लिखने को कहा था। उस जांच रिपोर्ट का क्या हुआ? इसका कोई जिक्र नहीं किया गया।

अब नया टर्म गढ़ा गया है “मज़ार जिहाद”। मुख्यमंत्री खुद इसे मज़ार जिहाद कह रहे हैं। 2022 विधानसभा चुनाव में मतदान से चंद रोज पहले मुख्यमंत्री ने समान आचार संहिता लाने की बात कही और वे चुनाव जीत गए।

काज़मी कहते हैं कि जब से ये सरकार बनी है, कई ऐसे मामले हो गये हैं जिससे सरकार पर भारी दबाव है। भर्ती घोटाला, अंकिता भंडारी मर्डर केस में भाजपा नेताओं के शामिल होने की बात सामने आई है। अब 2024 का लोकसभा चुनाव होने वाला है। अगले कुछ महीनों में राज्य में स्थानीय निकाय के चुनाव होने हैं। इसीलिए ऐसा माहौल बनाया जा रहा है।

रुड़की में पिरान कलियर से विधायक फुरकान अहमद न्यूज़क्लिक से बातचीत में मुख्यमंत्री धामी से मिलकर मज़ार जिहाद पर आपत्ति दर्ज कराने की बात कहते हैं। वह कहते हैं “सबको मालूम है कि आज देश में क्या हो रहा है। जो असली मुद्दे थे, बेरोजगारी के, महंगाई के, वे सब दरकिनार किए जा रहे हैं, बस हिंदू-मुस्लिम का खेल खेला जा रहा है। लेकिन जनता सब समझ चुकी है और बहुत परेशान हो चुकी है। किसी समुदाय को इस तरह निशाना नहीं बनाना चाहिए”।

हरिद्वार में संरक्षित वन क्षेत्र में बना एक मंदिर

राजनीति से प्रेरित है अभियान!

कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना कहते हैं कि भाजपा की सरकारें कानून व्यवस्था, बेरोजगारी, महंगाई सभी मोर्चों पर विफल साबित हुई हैं। चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने में वे असफल हो गए हैं। अब इनके पास लैंड जिहाद, लव जिहाद, मज़ार जिहाद जैसे हथियार रह गए हैं। सांप्रदायिक दूरियां बनाकर वह लोगों के बीच बने रहना चाहते हैं। इसके अलावा इनके पास कोई मुद्दा नहीं है।

धस्माना कहते हैं कि अतिक्रमण जरूर हटाइये लेकिन मज़ार जिहाद जैसे शब्द समूह गढ़ने का उद्देश्य स्पष्ट है कि वे अतिक्रमण हटाने के नाम पर एक समुदाय पर निशाना साध रहे हैं। हिंदू-मुस्लिम का बंटवारा करना चाहते हैं। जिस तरह कर्नाटक में जय बजरंग बली का नारा दिया है, वही मॉड्यूल पूरे देश में अपनाया जा रहा है। धर्म के नाम पर लोगों को उत्तेजित करना।

हिमालयी राज्यों की श्रेणी में उत्तराखंड वन भूमि पर सबसे अधिक अतिक्रमण के मामले में तीसरे स्थान पर है। अप्रैल 2022 में लोकसभा में दिए गए एक सवाल के जवाब में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने राज्यवार वनों में अवैध अतिक्रमण के बारे में जानकारी दी। हिमालयी राज्यों में सबसे अधिक अतिक्रमण जम्मू कश्मीर (16512.39हेक्टेयर ), दूसरे स्थान पर मिजोरम (10852.80हेक्टेयर) और तीसरे स्थान पर उत्तराखंड (10649.11 हेक्टेअर) है।

आईएफएस अधिकारी धकाते के मुताबिक मौजूद अतिक्रमण 11,861.00 हेक्टेअर का है। यानी एक साल में ही 1211.89 हेक्टेअर क्षेत्र में अतिक्रमण हो गया।

अतिक्रमण रोकना और मज़ार जिहाद को जोड़ना क्या सही है?

वरिष्ठ पत्रकार एसएमए काज़मी कहते हैं “चकराता जैसे छोटे से पहाड़ी कस्बे में इन्होंने धर्म संसद कर दी। वहां सैकड़ों सालों से रह रहे वन गुज्जरों पर निशाना साधा। उन्होंने धर्म के नाम पर बंटवारा कर विजय का स्वाद चख लिया है। पिछली बार लैंड जिहाद किया, इस बार मज़ार जिहाद करेंगे, अगली बार कुछ और करेंगे”।

मशहूर शायर राहत इंदौरी का एक शेर है...

लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है...

उत्तराखंड में मज़ार जिहाद का हल्ला मचाने वालों को आज यह शेर सुने जाने की ज़रूरत है।

(लेखिका देहरादून स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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