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शांति समझौते के वर्षों बाद कोलंबिया में हिंसा और मानवीय संकट गहराया

7 अप्रैल 2021 तक हुए 26 हत्याकांडों में 95 लोग मारे गए। इस हिंसा ने लगभग 15,000 लोगों के विस्थापित होने के लिए मजबूर किया है।
शांति समझौते के वर्षों बाद कोलंबिया में हिंसा और मानवीय संकट गहराया

हत्याकांड, सोशल लीडर्स की हत्या, रिवॉल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेस ऑफ कोलंबिया (एफएआरसी) गुरिल्ला समूह के पूर्व लड़ाकों का नरसंहार कोलंबिया में जारी है। देश में लगभग हर रोज कम से कम एक हिंसक घटना की खबर जरुर मिलती है।

इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट एंड पीस स्टडीज (आईएनडीईपीएजेड) के अनुसार इस साल 6 अप्रैल तक 43 सोशल लीडर्स और एफएआरसी के 14 पूर्व लड़ाकों की हत्या अवैध सशस्त्र समूहों और नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले समूहों द्वारा की गई। इसके अलावा इस साल के पहले 97 दिनों में 25 हत्याकांडों में 95 लोग मारे गए हैं।

इसके अलावा, एक हालिया रिपोर्ट में आईएनडीईपीएजेड ने इस साल हिंसा के कारण जबरिया सामूहिक विस्थापन में खतरनाक स्तर पर वृद्धि का संकेत दिया। देश के विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 15,000 लोगों को 2021 के पहले तीन महीनों में 65 सामूहिक विस्थापन की घटनाओं में अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।

पूर्व राष्ट्रीय सरकार और एफएआरसी के बीच नवंबर 2016 में हुए शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद हिंसा की स्थिति में सुधार होना चाहिए था लेकिन इसे लागू करने में इवान ड्यूक की अगुवाई वाली दक्षिणपंथी सरकार की विफलता के बाद और खराब हो गई है।

देश में सक्रिय विभिन्न सशस्त्र समूहों के सदस्य विशेष रूप से पर्यावरणविदों, भू- रक्षकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अफ्रो-वंशज और जनजातिय समुदायों के नेताओं को निशाना बनाते है जो भूमि और प्राकृतिक संसाधनों का बचाव करने के लिए काम करते हैं और अपने क्षेत्रों में अवैध फसलों की खेती और अवैध खनन के खिलाफ विरोध करते हैं।

आईएडीईपीएजेड के अनुसार शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से 1,157 पर्यावरणविदों, मानवाधिकार रक्षकों, समुदाय, किसान और सोशल लीडर्स और एफएआरसी के 263 पूर्व लड़ाकों की हत्या कर दी गई है।

कई नेताओं ने कहा है कि ये हत्याएं आर्थिक हितों के साथ-साथ राजनीतिक एजेंडे से भी प्रेरित हैं। उन्होंने सामाजिक विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वालों को दोषी ठहराने और अपराधी बताने की ड्यूक की नीतियों को अस्वीकार कर दिया है, क्योंकि यह उनके खिलाफ हिंसा को सामान्य करता है।

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