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कोलंबिया : दक्षिणपंथी सरकार की नवउदारवादी नीतियों के ख़िलाफ़ हड़ताल

राष्ट्रपति इवान डुके की अति दक्षिणपंथी सरकार कोविड-19 महामारी के कारण हुए राजकोषीय घाटे की भरपाई के लिए एक नवउदारवादी कर सुधार पारित करना चाहती है।
कोलंबिया : दक्षिणपंथी सरकार की नवउदारवादी नीतियों के ख़िलाफ़ हड़ताल

कोलम्बिया के नागरिक, ट्रेड यूनियन, सामाजिक संगठनों और विपक्षी राजनीतिक दलों के सदस्यों ने बुधवार 28 अप्रैल को देश भर में राष्ट्रव्यापी हड़ताल और लामबंदी शुरू की। इस विरोध प्रदर्शन का आह्वान सस्टेनेबल सॉलिडैरिटी बिल के खिलाफ किया गया है। यह एक नया कर सुधार बिल है जिसे COVID-19 महामारी के कारण हुए राजकोषीय घाटे की भरपाई या आर्थिक संकट को दूर करने के लिए राष्ट्रपति इवान डुके की अति दक्षिणपंथी सरकार द्वारा कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया।

इस सुधार को वापस लेने की मांग करते हुए कई रैलियां देश के मुख्य शहरों में निकाली गई। राजधानी बोगोटा में प्रदर्शनकारी नेशनल पार्क में इकट्ठा हुए और वहां से बोलिवर प्लाजा तक मार्च किया। कई अन्य स्थानों पर पुलिस और सुरक्षा कर्मियों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई करते हुए उन्हें रोकने की कोशिश की।

इस हड़ताल के आयोजकों ने COVID-19 महामारी को लेकर कोर्ट द्वारा हड़ातल समाप्त करने के आदेश के बावजूद हड़ताल करने का फैसला किया। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से आह्वान किया है कि वे संक्रमण से बचने के लिए अधिक जिम्मेदारी के साथ सभी जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करें। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इस बिल को वापस नहीं लिया तो भविष्य में हड़ताल जारी रहेगा।

स्वास्थ्य और आर्थिक संकट के बीच गरीबी को कम करने के लिए उक्त विवादास्पद सॉलिडैरिटी बिल 15 अप्रैल को सरकार द्वारा पेश किया गया था। सॉलिडैरिटी के नाम पर सरकार कर सुधार पारित करना चाहती है जो प्रमुख वस्तुओं, ईंधन और अन्य सार्वजनिक सेवाओं पर वैट को बढ़ाता है; कर संग्रह आधार का विस्तार करता है; कृषि आदानों पर कर बढ़ाता है; पेंशन पर कर बढ़ाता है; साल 2026 तक सार्वजनिक क्षेत्र में वेतन को स्थिर करता है; विभिन्न सार्वजनिक सेवाओं पर सब्सिडी समाप्त करता है; गांव को शहरों से जोड़ने वाली सड़कों पर टोल टैक्स लगाता है; इसके साथ साथ अन्य क्षेत्रों में कर में वृद्धि करता है।

ट्रेड यूनियनों और सामाजिक संगठनों ने इसे मध्यम वर्ग के लिए सख्त प्रहार बताया और इसे "डुके का नवउदारवादी पैकेज" बताया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इससे श्रमिकों, पेंशनभोगियों और कम आय वाले लोगों की आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा है और इससे देश में गरीबी और असमानता बढ़ेगी।

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