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वाशिंगटन सत्ता परिवर्तन का ढोल पीटता रहता है, लेकिन क्यूबा अपनी क्रांतिकारी लय के साथ काम करता है
1959 की क्यूबा क्रांति ग़ुलामी और औपनिवेशिक वर्चस्व के मनहूस इतिहास के ख़िलाफ़ थी। अमेरिका की क्या प्रतिक्रिया थी? 19 अक्टूबर 1960 को देश पर आर्थिक नाकेबंदी लगा दी गई, जो कि आज भी जारी है।
ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
30 Jul 2021
प्रेफेट डफॉट (हैती), जनरल केन्सन, 1950
प्रेफेट डफॉट (हैती), जनरल केन्सन, 1950

1963 में, त्रिनिदाद के लेखक सीएलआर जेम्स ने हैती क्रांति पर वर्ष 1938 में लिखे गए अपने क्लासिक अध्ययन, 'द ब्लैक जैकोबिन्स: टूसेंट ल'ऑवर्चर और सैन डोमिंगो रेवोल्यूशन' का दूसरा संस्करण प्रकाशित किया। नये संस्करण के लिए, जेम्स ने विचारोत्तेजक शीर्षक 'फ़्रॉम टूसेंट ल'ऑवर्चर टू फ़िदेल कास्त्रो' के साथ एक परिशिष्ट भी लिखा। परिशिष्ट की शुरुआत में, उन्होंने हैती (1804) और क्यूबा (1959) की जुड़वाँ क्रांतियों को वेस्ट इंडीयन द्वीपों के संदर्भ में स्थापित करते हुए लिखा: 'समस्याओं और उन्हें हल करने के प्रयासों के साथ, जिन लोगों ने उन्हें बनाया, वे ख़ासकर (peculiarly) वेस्ट इंडीयन हैं, एक ख़ास (peculiar) मूल और एक ख़ास (peculiar) इतिहास की उपज। तीन बार जेम्स ने 'peculiar' शब्द का प्रयोग किया, जो कि लैटिन भाषा के 'peculiaris' शब्द से उपजा है जिसका मतलब है 'निजी संपत्ति' ('pecu' एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है पशु, और पशु ही प्राचीन समय में संपत्ति का आधार थे)।

संपत्ति ही आधुनिक वेस्ट इंडीज़ की उत्पत्ति और इतिहास का केंद्रीय घटक है। 17वीं शताब्दी के अंत तक, यूरोपीय विजेताओं और उपनिवेशवादियों ने वेस्ट इंडीज़ के निवासियों को ख़त्म कर दिया था। अंग्रेज़ी और फ़्रांसीसी उपनिवेशवादियों ने 1626 में सेंट किट्स द्वीप में कलिनागो नरसंहार में चीफ़ टेग्रेमोंड सहित दो से चार हज़ार कैरिबों (दक्षिणी पश्चिमी द्वीप समूह के निवासियों) का क़त्ल किया था, जिसके बारे में जीन-बैप्टिस्ट डू टर्ट्रे ने 1654 में लिखा था। द्वीप के मूल निवासियों को ख़त्म करने के बाद अफ़्रीकी पुरुषों और महिलाओं को पकड़कर यूरोप लाया गया। वेस्ट इंडीयन द्वीपों की एकजुटता का आधार उनकी भाषा या संस्कृति नहीं है, बल्कि दमनकारी कृषि अर्थव्यवस्था में निहित ग़ुलामी है। हैती और क्यूबा दोनों इस 'ख़ासियत (peculiarity)' की उपज हैं, जिनमें से एक ने 1804 में ही बेड़ियाँ तोड़ने की हिम्मत कर ली जबकि दूसरा इसके डेढ़ सौ साल बाद आज़ाद हुआ।


ओसमंड वाटसन (जमैका), शहरी ज़िंदगी, 1968

कैरेबियन आज संकट से घिरा है।

7 जुलाई को हैती की राजधानी पोर्ट-औ-प्रिंस के बाहर, बंदूक़धारियों ने राष्ट्रपति जोवेनेल मोसे के घर में घुसकर उनकी हत्या कर दी और भाग गए। दिवंगत राष्ट्रपति की नीतियों से उत्पन्न सामाजिक उथल-पुथल के चलते पहले से ही त्रस्त देश अब और भी गहरे संकट में डूब गया है। जहाँ एक तरफ़ एक सदी से लंबे आर्थिक संकट में फँसा हुआ और महामारी से बुरी तरह प्रभावित हैती अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों पर निर्भर होने के बोझ से जूझ रहा था, वहाँ मोसे राष्ट्रपति के तौर पर अपना निर्धारित कार्यकाल जनादेश के विरुद्ध जाकर ज़बरदस्ती आगे बढ़ा चुके थे। हैती में विरोधप्रदर्शन आम हो गए, क्योंकि हर चीज़ की क़ीमतें आसमान छूने लगीं थीं और निराश जनता की सहायता के लिए कोई प्रभावी सरकार आगे नहीं आई। लेकिन मोसे को इस आसन्न संकट के कारण नहीं मारा गया है। उनकी हत्या के पीछे अधिक रहस्यमयी ताक़तों का हाथ है: अमेरिका में रहने वाले हैती के धार्मिक नेता, नार्को की तस्करी करने वाले, और कोलंबिया के आतंकवादी। यह घटना एक काल्पनिक थ्रिलर की कहानी जैसी है।

मोसे की हत्या के चार दिन बाद, क्यूबा में सामानों की कमी और हाल ही में कोविड-19 के बढ़े संक्रमण से निराश जनता विरोध प्रदर्शन करने लगी। विरोध प्रदर्शनों की ख़बर मिलने के कुछ ही घंटों के भीतर, क्यूबा के राष्ट्रपति मिगेल डियाज़-कैनेल दक्षिणी हवाना में सैन एंटोनियो डी लॉस बानोस की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों की भीड़ में शामिल हुए। डिआज़-कैनेल और उनकी सरकार ने जनता को याद दिलाया कि उनके देश को छह दशकों से चल रही अवैध अमेरिकी नाकाबंदी से बहुत नुक़सान हुआ है, और अब वो ट्रम्प के 243 अतिरिक्त 'बलपूर्वक उपायों' को भी झेल रहे हैं, लेकिन उनका देश अपने विशिष्ट संकल्प के साथ कोविड-19 और ऋण संकट की दोहरी समस्याओं का हल निकाल लेगा।

इसके बावजूद, इन विरोध-प्रदर्शनों का इस्तेमाल कर डियाज़-कैनेल की सरकार और क्यूबा की क्रांति को उखाड़ फेंकने के लिए एक दुर्भावनापूर्ण सोशल मीडिया अभियान शुरू हो गया। कुछ दिनों बाद यह स्पष्ट हुआ कि यह अभियान संयुक्त राज्य अमेरिका के मियामी और फ़्लोरिडा से चलाया जा रहा था। वाशिंगटन, डीसी से, सत्ता परिवर्तन का ढोल पीटा जा रहा था। लेकिन क्यूबा में उनका ढोल ज़्यादा सुना नहीं गया। क्यूबा की अपनी क्रांतिकारी लय है।


एडुआर्डो अबेला (क्यूबा), गुआजिरो (1938)

1804 में, हैती की क्रांति -जिसमें खेतिहर सर्वहारा वर्ग चीनी और अन्य मुनाफ़े पैदा करने वाले कृषि कारख़ानों के ख़िलाफ़ उठ खड़ा हुआ था- ने औपनिवेशिक दुनिया में स्वतंत्रता का बिगुल बजाया था। डेढ़ सौ साल बाद, क्यूबा के लोगों ने अपना जलवा दिखाया।

इन दोनों क्रांतियों के प्रति पेरिस और वाशिंगटन के धनाढ्य वर्ग की प्रतिक्रिया समान थी: मुआवज़ों की माँग कर और नाकाबंदियाँ लगा कर काम करने के स्वतंत्र तरीक़ों को अवरुद्ध करना। 1825 में, फ़्रांसीसियों ने बलपूर्वक यह माँग की कि हैती के लोग संपत्ति (अर्थात् जीवन) के नुक़सान के लिए 15 करोड़ फ़्रैंक का भुगतान करें। कैरिबियन में अकेले होने के कारण, हैती की जनता ने महसूस किया कि उनके पास भुगतान करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था; और उन्होंने भुगतान किया भी, पहले फ़्रांस को (1893 तक) और फिर संयुक्त राज्य अमेरिका को (1947 तक)। इन 122 वर्षों में हैती ने 21 अरब डॉलर का कुल भुगतान किया था। जब हैती के राष्ट्रपति जीन-बर्ट्रेंड एरिस्टाइड ने 2003 में फ़्रांस से वो अरबों डॉलर वापस लेने की कोशिश की तो तख़्तापलट करवा कर उन्हें पद से हटा दिया गया।

1898 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा क्यूबा पर क़ब्ज़ा करने के बाद, अमेरिका ने उसे एक गैंगस्टर के खेल के मैदान की तरह इस्तेमाल किया। 1906-1909, 1912, 1917-1922 और 1933 में अमेरिकी सेनाओं द्वारा किए गए आक्रमणों के अलावा, क्यूबाई लोगों द्वारा अपनी संप्रभुता का प्रयोग करने के किसी भी प्रयास को बलपूर्वक कुचल दिया जाता रहा। संयुक्त राज्य अमेरिका ने क्रूरता और दमन के तमाम सबूतों के बावजूद जनरल फुलगेन्सियो बतिस्ता का (1940-1944 और 1952-1959 में) समर्थन किया। आख़िर, बतिस्ता अमेरिकी हितों की रक्षा करता था, और देश के चीनी उद्योग का दो-तिहाई हिस्सा और लगभग पूरा सेवा क्षेत्र अमेरिकी फ़र्मों के पास था।

1959 की क्यूबा क्रांति ग़ुलामी और औपनिवेशिक वर्चस्व के मनहूस इतिहास के ख़िलाफ़ थी। अमेरिका की क्या प्रतिक्रिया थी? 19 अक्टूबर 1960 को देश पर आर्थिक नाकेबंदी लगा दी गई, जो कि आज भी जारी है, जिसके तहत चिकित्सा आपूर्ति, भोजन, और वित्तपोषण से लेकर क्यूबा के आयातों पर रोक लगाई जाती है, और तीसरे पक्ष के देशों को ऐसा करने के लिए मजबूर किया जाता है। यह उन लोगों के ख़िलाफ़ प्रतिशोधात्मक हमला है जो -हैती के लोगों की तरह- अपनी संप्रभुता का प्रयोग करने की कोशिश कर रहे हैं। क्यूबा के विदेश मंत्री ब्रूनो रोड्रिग्ज़ ने बताया कि अप्रैल 2019 और दिसंबर 2020 के बीच, नाकाबंदी के कारण सरकार को 9.1 अरब डॉलर (प्रति माह 43.6 करोड़ डॉलर) का नुक़सान हुआ है। उन्होंने कहा, 'मौजूदा क़ीमतों पर छह दशकों में कुल नुक़सान 147.8 अरब डॉलर से अधिक है, और सोने की क़ीमत के मुक़ाबले यह [नुक़सान] 1.3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है'।

इस प्रकार की कोई भी जानकारी पीपुल्स डिस्पैच जैसे मीडिया घरों की मौजूदगी के बिना उपलब्ध नहीं हो पाती। पीपुल्स डिस्पैच ने पिछले हफ़्ते अपनी तीसरी सालगिरह मनाई है। हम उनकी टीम को अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ भेजते हैं और आशा करते हैं कि दुनिया भर के जन-संघर्षों के समाचार पढ़ने के लिए आप दिन में कई बार उनके पेज पर जाएँगे। 


बर्नडेट पर्सौड (गुयाना), आसमाँ के नीचे खड़े सज्जन (खाड़ी युद्ध), 1991

17 जुलाई को, क्यूबा के हज़ारों लोग अपनी क्रांति के हक़ में और अमेरिकी नाकाबंदी को समाप्त करने की माँग करते हुए सड़कों पर उतर आए। राष्ट्रपति डिआज़-कैनेल ने कहा कि 'प्यार, शांति, एकता, [और] एकजुटता' का क्यूबा जीता है। उनके साथ एकजुटता में, हमने Let Cuba Live प्रदर्शनी शुरू की है। 26 जुलाई को -1959 की क्यूबा क्रांति की वर्षगाँठ के मौक़े पर- हमने यह प्रदर्शनी लॉन्च की है, लेकिन आप अपने चित्र हमें अब भी भेज सकते हैं। अमेरिकी नाकाबंदी को समाप्त करने के लिए #LetCubaLive अभियान को जारी रखते हुए हम अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों और क्रांतिकारियों को इस प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए आमंत्रित करते हैं।

क्यूबा पर हाल में किए गए हमले और हैती में की गई हत्या से कुछ हफ़्ते पहले, संयुक्त राज्य अमेरिका के सशस्त्र बलों ने गुयाना में एक प्रमुख सैन्य अभ्यास 'ट्रेडविंड्स 2021' और पनामा में एक अन्य अभ्यास 'पनामाक्स 2021' आयोजित किया था। संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में, फ़्रांस, नीदरलैंड और यूनाइटेड किंगडम जैसी यूरोपीय सेनाओं -जिनके इस क्षेत्र में उपनिवेश रहे हैं- ने ब्राज़ील और कनाडा के साथ मिलकर सात कैरेबियाई देशों (बहामा, बेलीज, बरमूडा, डोमिनिकन गणराज्य, गुयाना, जमैका और त्रिनिदाद और टोबैगो) के साथ ट्रेडविंड अभ्यास किया। अपनी ताक़त दिखाते हुए अमेरिका ने माँग की कि ईरान अमेरिका द्वारा प्रायोजित सैन्य अभ्यास से पहले जून महीने में वेनेजुएला की ओर जाने वाले अपने जहाज़ों को रोक दे।

संयुक्त राज्य अमेरिका कैरिबियन को अपने समुद्र क्षेत्र में बदलकर द्वीपों को अपने अधीन करना चाहता है। यह अजीब था कि गुयाना के प्रधान मंत्री मार्क फ़िलिप्स ने कहा कि अमेरिका के नेतृत्व में होने वाले ये युद्ध खेल 'कैरेबियन क्षेत्रीय सुरक्षा प्रणाली' को मज़बूत करते हैं। ये युद्ध खेल वास्तव में कैरेबियाई देशों को अमेरिकी हितों के अधीन बनाते हैं, जैसा कि अफ़्रीका में अमेरिकी और फ़्रांसीसी सैन्य ठिकानों पर हमारे हाल में जारी हुए डोसियर से पता चलता है। वेनेज़ुएला पर दबाव बढ़ाने के लिए अमेरिका कोलंबिया और गुयाना में अपनी बढ़ी हुई सैन्य उपस्थिति का इस्तेमाल कर रहा है।

एल्सा ग्राम्को (वेनेजुएला), ताले में चाबी की जगह, 1964

स्वायत्त क्षेत्रवाद कैरिबियन के लिए कोई नयी चीज़ नहीं है, जो कि क्षेत्रवाद का मंच बनाने के लिए चार बार कोशिश कर चुका है: वेस्ट इंडियन फ़ेडरेशन (1958-1962), कैरेबियन फ़्री ट्रेड एसोसिएशन (1965-1973), कैरेबियन समुदाय (1973-1989), और कैरिकॉम (1989 से वर्तमान तक)। साम्राज्यवाद विरोधी संघ के रूप में जो कार्य शुरू हुआ था वह अब एक व्यापार संघ में बदल गया है जिसका उद्देश्य है इस क्षेत्र को विश्व व्यापार में बेहतर ढंग से एकीकृत करना। कैरेबियन की राजनीति तेज़ी से अमेरिकी नक़्शेक़दम की ओर जा रही है। 2010 में, अमेरिका ने कैरेबियन बेसिक सिक्योरिटी इनिशिएटिव बनाया, जिसका एजेंडा वाशिंगटन ने तय किया था।

2011 में, हमारे पुराने मित्र श्रीदाथ रामफल, जो कि 1972 से 1975 तक गुयाना के विदेश मंत्री रहे थे, ने महान ग्रेनेडियन परिवर्तनवादी टी ए मैरीशो के शब्दों को दोहराते हुए कहा: 'वेस्ट इंडीज़ को वेस्ट इंडीयन होना चाहिए' (The What Indies must be West Indian)। अपने लेख 'क्या वेस्ट इंडीज़ वेस्ट इंडीयन है?’ (‘Is the West Indies West Indian?') में, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि 'द वेस्ट इंडीज़ (The West Indies)' की सचेत वर्तनी में कैपिटल 'T' क्षेत्र की एकता को इंगित करता है। एकता के बिना पुराने साम्राज्यवादी दबाव हमेशा की तरह प्रबल हो जाते हैं।


टीबीटी मोरेहोन, 1944

1975 में, क्यूबा के कवि नैन्सी मोरेहोन ने मुहेर नेग्रा ('अश्वेत महिला') नामक एक ऐतिहासिक कविता प्रकाशित की थी। कविता यूरोपीय उपनिवेशवादियों के भयानक मानव व्यापार से शुरू होकर, स्वतंत्रता संग्राम की ओर जाती है और फिर 1959 की उल्लेखनीय क्यूबा क्रांति पर ख़त्म होती है:

मैं सिएरा से आई हूँ

 

पूँजी और सूदख़ोरों,

जनरलों और पूँजीपतियों का अंत करने के लिए।

इस समय मैं ज़िंदा हूँ: आज ही है हमारे पास, कुछ बनाने के लिए।

कुछ भी पराया नहीं है हमसे।

ज़मीन हमारी है।

हमारे हैं समंदर और आसमाँ,

चमत्कार और कल्पना।

मेरे साथियों, यहाँ मैं तुम्हें नाचते हुए देख रही हूँ

साम्यवाद के लिए हमारे द्वारा लगाए जा रहे पेड़ के चारों ओर।

इसकी असाधारण लकड़ी अभी से गूँजने लगी है।

ज़मीन हमारी है। संप्रभुता भी हमारी है। हमारे भाग्य में दूसरों के अधीनस्थ प्राणियों की तरह जीना नहीं लिखा है। मोरेहोन, और अपने संप्रभु जीवन का निर्माण कर रहे क्यूबा के लोगों, और 1804 की अपनी महान क्रांति को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैती के लोगों का यही संदेश है।

Cuba revolution
Cuba and America
Fidel Castro
Imperialism
Socialism
Communism
capitalism

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