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हमको मुस्लिम होने की सज़ा मिल रही हैः अतीक-उर-रहमान की पत्नी

अतीक-उर-रहमान के परिवार का कहना है कि वह “पैरालिसिस” से ग्रस्त है और उनकी हालत नाज़ुक है। ख़राब स्वास्थ्य के बावजूद उचित देखभाल और चिकित्सा सुविधाओं से वंचित रखा गया है। उनकी ज़मानत के लिए अदालत में अर्ज़ी लगाई गई है।
Atiq ur Rehman
फ़ोटो साभार : ट्विटर

पत्रकार सिद्दीक कप्पन के साथ गिरफ़्तार किए गए छात्र नेता अतीक-उर-रहमान (28) यूपी की राजधानी लखनऊ के एक अस्पताल में भर्ती हैं। उनके परिवार का कहना है कि वह “पैरालिसिस” (लकवा) से ग्रस्त है और उनकी हालत नाज़ुक है।

रहमान की बिगड़ते स्वास्थ्य को देखते हुए 29 अगस्त को लखनऊ जेल के चिकित्साधिकारी से परामर्श के बाद जेल अधिकारी उनको किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) ले गए। यहां डॉक्टरों की सलाह पर उनको इलाज के लिए भर्ती करा दिया गया।

ज़िला कारागार अधीक्षक कार्यालय द्वारा मुज़फ़्फ़रनगर के रहने वाले रहमान के परिवार को उनके भर्ती होने की सूचना भेजी गई। जेलर के पत्र मिलने के बाद उनका परिवार उनकी देखभाल के लिए लखनऊ आ गया। परिवार का कहना है की रहमान को किशोरावस्था से ही “हृदय” संबंधी बीमारी है। उनकी हिरासत में रहते हुए “ओपन हर्ट सर्जरी” अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में साल 2021 हुई थी।

रहमान के परिवार से न्यूज़़क्लिक द्वारा संपर्क करने पर उनकी पत्नी संजीदा रहमान ने बताया कि उनके पति के शरीर का बाया हिस्सा लकवाग्रस्त है। संजीदा के अनुसार “पैरालिसिस” से ग्रस्त उनके पति फ़िलहाल किसी को भी पहचान नहीं पा रहे हैं। बीमारी से उनकी याद्दाश्त पर भी असर पड़ा है।

संजीदा आगे कहती हैं कि उनके पति चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में शोध विद्यार्थी (रिसर्च स्कॉलर) हैं। उनका कहना है कि उनके बेटे(8) के स्वास्थ्य पर भी पिता की ऐसी हालत देखकर “नकारात्मक” असर पड़ रहा है। वह कहती हैं कि अपने पिता की हालत देखकर बेटा भी बीमार पड़ गया है।

रहमान की पत्नी कहती हैं, “हम लोगो को मुसलमान होने की सज़ा मिल रही है।” संजीदा बताती हैं कि रहमान के जेल जाने के बाद से उनके जेठ घर के ख़र्च का इंतज़ाम करते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अदालत ख़राब स्वस्थ के आधार पर रहमान को ज़मानत मिल जाएगी। संजीदा कहती हैं कि हम चाहते हैं कि रहमान को जल्द से जल्द ज़मानत मिल जाए ताकि उनके सेहत का ख़्याल रखा जा सके।

रहमान के मुक़दमे की पैरवी कर रहे उनके ससुर सख़ावत अली ने बताया कि लखनऊ की एक विशेष अदालत में ज़मानत की अर्ज़ी दाख़िल कर के कहा गया है कि वह (रहमान) 5 अक्टूबर, 2020 से ग़ैर क़ानूनी न्यायिक हिरासत में हैं। उन्होंने बताया की ज़मानत पर सुनवाई 08 सितंबर को होगी।

उन्होंने आरोप लगाया है कि रहमान को ख़राब स्वस्थ्य के बावजूद उचित देखभाल और चिकित्सा सुविधाओं से वंचित किया गया है। इसके चलते उनकी सेहत अब बहुत ख़राब हो चुकी है।

रहमान के अधिवक्ता मधुवन दत्त चतुर्वेदी कहते हैं कि उनका मुवक्किल गंभीर स्वस्थ्य समस्या से गुज़र रहा है। उन्होंने बताया कि “हमने रहमान के स्वस्थ के आधार पर ज़मानत की अर्ज़ी दी है, उम्मीद है कि रहमान को ज़मानत मिल जाएगी।”

केजीएमयू में रहमान साथ रुके उनके भाई मतीन ने उनके स्वस्थ के बारे में बताया की उनके भाई का इलाज हृदय रोग विभाग में चल रहा है जबकि उनको “पैरालिसिस” की समस्या भी हो गई है। उन्होंने बताया की रहमान को एक आंख से दिख भी नहीं रहा है।

मतीन ने बताया कि डॉक्टर कहते हैं कि अब रहमान को “कार्डियोलॉजी” से न्यूरोलॉजी विभाग में शिफ़्ट करना होगा। लेकिन न्यूरोलॉजी विभाग में बेड ख़ाली नहीं होने की वजह से उनको शिफ़्ट करने में मुश्किल आ रही है और उनकी तबियत बिगड़ती जा रही है।

ख़बर लिखे जाने तक रहमान को “न्यूरोलॉजी” में शिफ़्ट नहीं किया गया था। उनके परिवार का कहना है, “कार्डियोलॉजी” से छुट्टी मिलने के बाद अगर “न्यूरोलॉजी” में शिफ़्ट नहीं किया गया तो, रहमान को वापस जेल भेजा जा सकता है। मतीन कहते हैं कि “हमने इलाज पूरा हुए बग़ैर जेल वापस भेजने पर आपत्ति की है लेकिन मेरी सुनी नहीं जा रही है।”

ज्ञात हो कि रहमान को पत्रकार सिद्दीक कप्पन, टैक्सी चालक मोहम्मद आलम को हाथरस जाते समय गिरफ़्तार कर लिया गया था। वे हाथरस में कथित तौर पर एक दलित महिला की बलात्कार के बाद हुई हत्या के बाद घटना स्थल की तरफ जा रहे थे। दलित महिला के साथ उच्च जाति के चार लोगों ने कथित तौर पर बलात्कार कर हत्या कर दी थी।

पत्रकार कप्पन सहित अन्य लोगों को सीपीसी की धारा 151, 101 और 116 के तहत गिरफ़्तार किया था। बाद में 05 अक्तूबर 2022 इसके ख़िलाफ़ ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) का मामला दर्ज करने के बाद उनको जेल भेजा गया है। फिलहाल कप्पन मथुरा ज़िला जेल में बंद हैं। अदालत कप्पन की ज़मानत के मामले की सुनवाई 09 सितंबर को करेगी। वहीं टैक्सी ड्राइवर मोहम्मद आलम को गिरफ़्तारी के क़रीब 22 महीने के बाद इलाहाबाद कोर्ट से 23 अगस्त को ज़मानत मिल गई थी।

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