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हमें ये शौक़ है देखें सितम की इंतिहा क्या है

आज शहीद दिवस है। आज़ादी के मतवाले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान का दिन। आज ही के दिन 23 मार्च 1931 को इन तीनों क्रांतिकारियों को अंग्रेज़ सरकार ने फांसी दी थी। इन क्रांतिकारियोें को याद करते हुए आइए पढ़ते हैं वह ग़ज़ल जो इन क्रांतिकारियों ख़ासकर भगत सिंह को बहुत पसंद थी।
bhagat singh

उन्हें ये फ़िक्र है हर दम नई तर्ज़-ए-जफ़ा क्या है

हमें ये शौक़ है देखें सितम की इंतिहा क्या है

 

गुनह-गारों में शामिल हैं गुनाहों से नहीं वाक़िफ़

सज़ा को जानते हैं हम ख़ुदा जाने ख़ता क्या है

 

ये रंग-ए-बे-कसी रंग-ए-जुनूँ बन जाएगा ग़ाफ़िल

समझ ले यास-ओ-हिरमाँ के मरज़ की इंतिहा क्या है

 

नया बिस्मिल हूँ मैं वाक़िफ़ नहीं रस्म-ए-शहादत से

बता दे तू ही ऐ ज़ालिम तड़पने की अदा क्या है

 

चमकता है शहीदों का लहू पर्दे में क़ुदरत के

शफ़क़ का हुस्न क्या है शोख़ी-ए-रंग-ए-हिना क्या है

 

उमीदें मिल गईं मिट्टी में दौर-ए-ज़ब्त-ए-आख़िर है

सदा-ए-ग़ैब बतला दे हमें हुक्म-ए-ख़ुदा क्या है

 

शायरकुँवर प्रतापचन्द्र आज़ाद

ज़ब्तशुदा नज़्में...पृष्ठ 44

(यह ग़ज़ल 'रेख़्तापर बृज नारायण 'चकबस्तके नाम से दर्ज है।)

विस्तार से पढ़ने के लिए क्लिक करें हमें यह शौक़ है देखें सितम की इंतिहा क्या है भगत सिंह की पसंदीदा शायरी

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