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'क्लिक केमिस्ट्री' क्या है जिसे इस साल का नोबेल मिला

अध्ययन में अवधारणा इस मायने में उपयोगी है कि आणविक बिल्डिंग ब्लॉक (मॉलिक्यूलर बिल्डिंग ब्लॉक्स) डेरिवेटिव के बिना जल्दी और कुशलता से एक साथ कैसे जुड़ सकते हैं।
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Image Courtesy: nobelprize.org

जब हम 'क्लिक' की परिचित आवाज़ के साथ सीट बेल्ट बकलस में डालते हैं तो हम क्या करते हैं? हम सीट बेल्ट को बकलस में लॉक कर देते हैं। हम इसे काफ़ी आराम से करते हैं और इस पर कोई ज़्यादा ध्यान नहीं देते हैं। क्या रसायन शास्त्र इतना आसान हो सकता है?

एक ओर एक आणविक इकाई है और दूसरी ओर दूसरी इकाई है और उन्हें बेल्ट और बकलस की तरह ही लॉक किया जा सकता है? वास्तव में रसायन विशेषज्ञों ने लॉकिंग मॉलिक्यूल को इतना सरल बना दिया है और यह कल्पना या पृथकता की संभावना से कहीं अधिक है और वैज्ञानिकों ने इसके लिए नोबेल पुरस्कार जीता है। इतना ही नहीं, बल्कि आगे बढ़ते हुए 'क्लिक केमिस्ट्री' को मानव कोशिकाओं के अंदर इस्तेमाल किया गया है और उनका उपयोग यह मैप करने में किया जाता है कि कोशिकाएं कैसे काम करती हैं। ये सब वर्ष 2022 के लिए रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार का सार है।

यूएसए स्थित स्क्रिप्स रिसर्च बैरी शार्पलेस, डेनमार्क स्थित कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के मोर्टन मेल्डल और यूएसए स्थित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के कैरोलिन बर्टोज़ी को इस वर्ष संयुक्त रूप से रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

आधुनिक रसायन विज्ञान ने शोधकर्ताओं को अपनी प्रयोगशालाओं में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध आणविक संरचनाओं के निर्माण के लिए प्रेरित किया। प्रकृति में आश्चर्यजनक आणविक संरचनाओं की नक़ल उतारना वास्तव में अठारहवीं शताब्दी में आधुनिक रसायन विज्ञान के युवाओं के लिए आकर्षक शोध था। अनुसंधान के इस अभियान के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण फार्मास्यूटिकल्स का विकास भी हुआ। प्रयोगशाला परीक्षण ट्यूबों में प्राकृतिक अणुओं का निर्माण करना समय के साथ योग्य साबित हुआ और रसायन विशेषज्ञ विकसित उपकरणों के साथ अद्भुत अणु बनाने की क्षमता प्राप्त करते हुए उस पर काम करते रहे।

हालांकि, हमेशा एक 'लेकिन' क़ायम रहा है जिसने रसायन विज्ञान की दुनिया का पीछा किया और वह है प्रयोगशालाओं में प्राकृतिक अणुओं के निर्माण में शामिल जटिलता। जटिल अणुओं में अक्सर कई चरण शामिल होते हैं जो न केवल समय लेने वाली और महंगी होती हैं बल्कि इसके परिणामस्वरूप अवांछित उप-उत्पाद भी उत्पन्न होते हैं। उप-उत्पादों को हटाना प्रासंगिक है और इसमें सामग्री का काफ़ी नुक़सान होता है।

इस प्रक्रिया में कम मात्रा में कुछ बनाना अभी भी ठीक है लेकिन जब बड़े पैमाने पर उत्पादन की बात आती है तो रसायन विशेषज्ञों को भारी चुनौती मिलती है। 2022 का नोबेल पुरस्कार वास्तव में चीज़ों को सरल बना रहा है जहां अणु वांछित रूप में जल्दी और कुशलता से एक साथ बंध सकते हैं।

इस आवश्यकता ने कई रसायन विशेषज्ञों को अणुओं के निर्माण का एक सरल और अधिक कुशल तरीक़ा खोजने के लिए प्रेरित किया। कुछ सरल बनाना कभी-कभी अधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालांकि, रसायन विशेषज्ञों ने इसे स्वीकार करना बंद नहीं किया और बैरी शार्पलेस के रूप में एक नया खोजकर्ता मिला जिन्होंने इस साल का नोबेल जीता है। उन्हें यह दूसरी बार मिला है। 2000 के दशक की शुरुआत में शार्पलेस ने 'क्लिक केमिस्ट्री' की अवधारणा को गढ़ा जिसमें आणविक बिल्डिंग ब्लॉक्स जल्दी और कुशलता से एक साथ जुड़ सकते हैं।

बैरी शार्पलेस के प्रयासों को तब बढ़ावा मिला जब इस साल के अन्य नोबेल पुरस्कार विजेता मोर्टन मेल्डल ने स्वतंत्र रूप से क्लिक रसायन विज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक पहलू की खोज की और उस सामग्री के लिए रसायन विज्ञान को समग्र रूप से खोजा जो कि 'कॉपर-कैटलाइज़्ड एजाइड-अल्काइन साइक्लोएडिशन' है।'

साल 2001 में प्रकाशित अपने समीक्षा पत्र में शार्पलेस ने तर्क दिया था कि रसायन विज्ञान उस मोड़ पर आ गया है जहां उसे सरल प्रतिक्रियाओं की ओर बढ़ना है, जहां अवांछित उप-उत्पादों को न्यूनतम किया जाता है। उन्होंने तर्क दिया कि बड़ी संख्या में विविध कार्बनिक अणुओं को इकट्ठा करने के लिए बस कुछ अच्छी प्रतिक्रियाएं पर्याप्त हैं। क्लिक केमिस्ट्री की अपनी नई अवधारणा में शार्पलेस ने अणुओं के जोड़े को डिजाइन करने के नए तरीक़े खोजे जो केवल एक दूसरे के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं और वह भी अपरिवर्तनीय रूप से।

कॉपर-कैटलाइज्ड एजाइड-अल्काइन साइक्लोएडिशन

एज़ाइड तीन डबल-बॉन्डेड नाइट्रोजन परमाणुओं से युक्त आयन (नकारात्मक रूप से आवेशित आयन) होते हैं। वे आम तौर पर एक कार्यात्मक समूह के रूप में मौजूद होते हैं। दूसरी ओर, अल्काइन्स अणु होते हैं जिनमें दो कार्बन परमाणुओं के बीच एक ट्रिपल बॉन्ड होता है। रासायनिक बंधन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं जो एक अणु में परमाणुओं को एक साथ बांधते हैं। डबल और ट्रिपल बॉन्ड एक अणु में विभिन्न परमाणुओं को धारण करने वाले रासायनिक बंधन हैं।

कॉपर आयनों को जोड़ने पर एज़ाइड्स और अल्काइन्स बहुत कुशलता से प्रतिक्रिया कर सकते हैं। इस प्रतिक्रिया ने रसायन विज्ञान को काफ़ी हद तक बदल दिया है और विश्व स्तर पर अणुओं को एक साथ स्नैप करने के लिए उपयोग किया जाता है। एक उदाहरण में नोबेल पुरस्कार वेबसाइट ने नीचे दी गई तस्वीर की तरह दिखाया है:

Image source: nobelprize.org
जब एज़ाइड्स और अल्काइन्स प्रतिक्रिया करते हैं तो वे ट्रेज़ोल का उत्पादन करते हैं जो फार्मास्यूटिकल्स, डाई और कृषि रसायनों में पाए जाने वाले एक महत्वपूर्ण रासायनिक निर्माण खंड हैं। वैज्ञानिकों ने पहले इस प्रतिक्रिया की कोशिश की लेकिन उन्होंने अवांछित उप-उत्पादों का भी उत्पादन किया। मोर्टन मेल्डल ने पाया कि प्रतिक्रिया प्रणाली में जोड़े गए कॉपर के आयन इसे नियंत्रित करते हैं और केवल एक पदार्थ को बनाया गया है। मेल्डल ने पहली बार वर्ष 2001 में सैन डिएगो में एक संगोष्ठी में अपने परिणाम प्रस्तुत किए और अगले वर्ष वह एक प्रकाशित पुस्तक के साथ आए जहां उन्होंने दिखाया कि इस प्रतिक्रिया का उपयोग विभिन्न अन्य अणुओं को बांधने के लिए कैसे किया जा सकता है।

मेल्डल के अलावा बैरी शार्पलेस ने स्वतंत्र रूप से एक पेपर भी प्रकाशित किया जिसमें पानी में कॉपर-कैटलाइज्ड एजाइड-अल्काइन प्रतिक्रिया और इसकी विश्वसनीयता को दिखाया गया था। शार्पलेस के मुताबिक़ यह परफेक्ट क्लिक रिएक्शन है।

जैसा कि ऊपर की आकृति में देखा गया है, कोई भी दो मॉलिक्यूल जिसे रसायन विशेषज्ञ जोड़ना चाहते हैं उसे अब आसानी से एक अणु को एज़ाइड से और दूसरे को अल्काइन में पेश करके और कॉपर-कैटलाइज्ड क्लिक प्रतिक्रिया करके आसानी से किया जा सकता है।

इस सरल प्रतिक्रिया ने अनुसंधान प्रयोगशालाओं और औद्योगिक अनुप्रयोगों में कई जटिल अणुओं के निर्माण को आसान बना दिया। इसका महत्व यह है कि क्लिक प्रतिक्रिया विशिष्ट उद्देश्यों के लिए नई सामग्री के उत्पादन की सुविधा प्रदान कर सकती है। इसकी खोज के बाद से नई सामग्री के निर्माण के लिए क्लिक प्रतिक्रिया का उपयोग किया गया है।

'क्लिक केमिस्ट्री' और मानव कोशिकएं

तो, मानव कोशिकाओं के अंदर इसका उपयोग करने के बारे में क्या? चूंकि क्लिक रिएक्शन में केवल अभिकारक शामिल होते हैं और रिएक्शन बीकर में मौजूद अन्य सामग्रियों को स्पर्श नहीं करते हैं, तो कोशिकाओं के अंदर इसका उपयोग करने से यह सुनिश्चित होगा कि केवल वांछित सामग्री शामिल हो और शेष सेलुलर प्रक्रियाएं अप्रभावित रहेंगी। कैंसर जैसी जटिल बीमारियों के इलाज में यह एक अविश्वसनीय विचार हो सकता है।

इस साल नोबेल के तीसरे विजेता कैरोलिन बर्टोज़ी ने इस बात का अनुसरण किया कि सेलुलर उद्देश्यों के लिए क्लिक रिएक्शन का उपयोग कैसे किया जा सकता है। क़रीब क़रीब उसी समय बर्टोज़ी ग्लाइकान का अध्ययन करने में व्यस्त थे जो बैक्टीरिया की सतह पर पाए जाने वाला जटिल शर्करा है। बर्टोज़ी ग्लाइकान की मैपिंग कर रहे थे जो उस समय के दौरान उल्लेखनीय रूप से कठिन कार्य था।

वर्ष 2000 में, बर्टोज़ी ने एज़ाइड के रूप में एक ऑप्टिमल केमिकल हैंडल खोजा। उन्होंने, जैव रसायन के अपने अहम शोध में एक फ्लोरोसेंट अणु को एज़ाइड से जोड़ा, जो ग्लाइकान के लिए पेश किया गया था। विशेष रूप से, एजाइड्स कोशिकाओं को प्रभावित नहीं करते हैं और जाहिर है, जीवित प्राणियों में भी, उन्हें इस्तेमाल करने में कोई नुक़सान नहीं है। उस समय शार्पलेस और मेल्डल की क्लिक केमिस्ट्री रसायन विशेषज्ञों के बीच प्रसारित हो रही थी। लेकिन बर्टोज़ी के लिए इसे सेल में इस तरह इस्तेमाल करना एक समस्या थी क्योंकि क्लिक रिएक्शन में शामिल कॉपर आयन कोशिकाओं के लिए विषाक्त हो सकते हैं।

कोशिकाओं में एज़ाइड-अल्काइन प्रतिक्रिया करने के लिए कॉपर के विकल्प को खोजने के लिए बर्टोज़ी तेज़ी से काम कर रहे थे। अंत में, 2004 में बर्टोज़ी ने कॉपर के आयनों के बिना क्लिक रिएक्शन को प्रकाशित किया।

इसके बाद बर्टोज़ी ने अपनी क्लिक प्रतिक्रिया को और बेहतर बनाने के लिए आगे बढ़ गए ताकि सेलुलर वातावरण में बेहतर तरीक़े से इस्तेमाल किया जा सके। उनके साथ, कई अन्य जैव रसायन विशेषज्ञों ने यह पता लगाया कि कैसे जैव अणु कोशिकाओं में परस्पर क्रिया कर सकते हैं।

बर्टोज़ी ट्यूमर कोशिकाओं की सतह पर मौजूद ग्लाइकान का भी अध्ययन करते हैं। उनके अध्ययन में पाया गया कि कुछ मामलों में, ट्यूमर कोशिकाओं पर ग्लाइकान उन्हें प्रतिरक्षा प्रणाली के हमले से बचाते हैं (प्रतिरक्षा प्रणाली न केवल हमलावर एजेंटों से लड़ती है, यह शरीर के अंदर ट्यूमर से भी लड़ती है)। वह और उनके सहयोगी एक नई प्रकार की दवा बनाने में सक्षम हैं जो ट्यूमर सेल की सतह पर मौजूद ग्लाइकान को तोड़ सकती है। इस दवा का कैंसर रोगियों पर क्लिनिकल ट्रायल हो रहा है।

इसके अलावा, कई शोधकर्ताओं ने एंटीबॉडी विकसित की हैं जो क्लिक रिएक्शन की मदद से ट्यूमर कोशिकाओं को लक्षित कर सकते हैं। एंटीबॉडी को ट्यूमर से जोड़ने के बाद एक दूसरा अणु जो एंटीबॉडी पर क्लिक कर सकता है, उसमें इंजेक्ट किया जाता है। दुनिया को अभी क्लिक रसायन विज्ञान और नए फार्मास्यूटिकल्स और नए उपचारों के लिए इसके इस्तेमाल की क्षमता को देखना बाकी है हालांकि, यह निश्चित है कि काम शुरू हो गया है।

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः

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