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पोलैंड में कम्युनिस्टों के उत्पीड़न के खिलाफ दुनिया भर में विरोध प्रदर्शन

रूढ़िवादी पोलैंड की सरकार पोलिश कम्युनिस्ट पार्टी (केपीपी) के नेताओं और इसकी पत्रिका ब्रेज़ास्क को सताने की कोशिश करती रही है।
Poland

देश में कम्युनिस्टों के उत्पीड़न को लेकर पोलैंड के नेताओं और अधिकारियों की व्यापक आलोचना की गई है और दुनिया भर में प्रगतिशील वर्गों ने 2 मार्च को पोलैंड के कम्युनिस्टों के साथ एकजुटता के दिन के रूप में बताया है। पिछले चार वर्षों से पोलिश कम्युनिटी पार्टी (केपीपी) के नेताओं और इसकी पत्रिका का नौकरशाही और लॉ एंड जस्टिस पार्टी (पीआईएस) के नेतृत्व वाली दक्षिणपंथी सरकार के हाथों उत्पीड़न हो रहा है। भले ही 'अधिनायकवादी विचारों’ के प्रचार के लिए केपीपी पर प्रतिबंध लगाने का पीईएस का प्रयास पूरी तरह से सफल नहीं रहा साथ ही ब्रेजास्क के संपादक के खिलाफ मामले में सुनवाई 3 मार्च को फिर से शुरू हो गई है।

पोलिश कम्युनिस्टों के साथ एकजुटता को लेकर कार्रवाई के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के दिन के रूप में सोमवार 2 मार्च को विभिन्न देशों में मार्च निकाला। ये मार्च पोलैंड के दूतावास और कॉन्सूलेट तक निकाला गया। मार्च निकालने वाले देशों में ग्रीस, नीदरलैंड, स्पेन, सर्बिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, मैक्सिको आदि सहित अन्य देश शामिल हैं।

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ ग्रीस (केकेई), कम्युनिस्ट यूथ ऑफ़ ग्रीस (केएनई), न्यू कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नीदरलैंड्स (एनसीपीएन), कम्युनिस्ट वर्कर्स पार्टी ऑफ स्पेन (पीसीटीई), कम्युनिस्ट यूथ, न्यू कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ युगोस्लाविया (एनकेपीजे) और इसके यूथ विंग (एसकेओजे), ऑस्ट्रियन पार्टी ऑफ लेबर (पीडीए), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ बेल्जियम (पीसीबी-सीपीबी), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ मैक्सिको (पीसीएम) आदि के आह्वान पर मार्च निकाला गया। चिली और फिलीपींस में कम्युनिस्ट पार्टियों ने भी पोलिश कम्युनिस्टों के इस उत्पीड़न के खिलाफ अपने बयान में नाराजगी जताई है।

केपीपी ने पीपल्स डिस्पैच से बताया कि “हम यह दिखाने के लिए मुकदमे का सामना करने जा रहे हैं कि धोखाधड़ी के कैसे आरोप हैं और ये हमारे विचारों को बढ़ावा देते हैं। केपीपी को पहले से ही दुनिया भर के विभिन्न कम्युनिस्ट पार्टियों से समर्थन मिला है। यूरोपीय कम्युनिस्ट इनिशिएटिव ने एक बयान जारी कर पोलैंड में कम्युनिस्ट विरोधी उत्पीड़न की निंदा की है। यूनान की कम्युनिस्ट पार्टी (केकेई) की यूरोपीय संसद के सदस्यों ने भी दखल दिया और अपने बयान जारी किए। कई देशों में पोलैंड के दूतावासों के सामने प्रदर्शन किए गए और घेराव किया गया।”

केपीपी का गठन 2002 में पोलैंड की पूर्ववर्ती कम्युनिस्ट पार्टी के वैचारिक उत्तराधिकारी के रूप में किया गया था और तब से ये सरकारी दमन का शिकार बना हुआ है।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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