पहलवानों का धरना : साक्षी मलिक ने कहा "लड़ाई हारे तो 50 साल पीछे चले जाएंगे"

जंतर-मंतर पर दोबारा धरने पर बैठे कुश्ती पहलवानों का धरना आज बुधवार 17 मई को भी जारी है। जिस मांग को लेकर ये पहलवान धरने पर बैठी थीं वे अभी भी बरकरार है। हालांकि किसान, महिला, छात्र संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता समर्थन देने के लिए लगातार जंतर-मंतर पर पहुंच रहे हैं। धरने पर बैठे पहलवानों ने कल मंगलवार को ट्वीट कर कहा, ''धरने के 24 दिन हो गए लेकिन चैंपियन अब भी सड़कों पर हैं।''
24 days, champions on the street!#wrestlersprotest #Istandwithmychampions pic.twitter.com/ZyzTDetj9u
— Sakshee Malikkh (@SakshiMalik) May 16, 2023
वहीं इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के मुताबिक इस मामले की जांच के लिए बनाई गई ओवरसाइट कमेटी में आरोप लगाने वाली लड़कियों से ऑडियो, वीडियो सबूत मांगे गए। इस ख़बर के सामने आने पर जंतर-मंतर में धरने पर आए लोगों में गुस्सा दिखा। सवाल उठाए गए कि ''ये कैसी जांच हो रही है जहां यौन उत्पीड़न के सबूत मांगे जा रहे हैं''।
धरने पर बैठे पहलवान लगातार लोगों से समर्थन की मांग कर रहे हैं, हालांकि किसान और खाप पंचायतों ने पहले ही सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दे रखा है और फिर बड़ा फैसला लेने की बात कही है।
जंतर-मंतर से साक्षी मलिक की अपील
कल शाम पहलवानों ने लोगों से समर्थन देने की अपील के साथ जंतर-मंतर से कनॉट प्लेस तक एक मार्च निकाला था और आज सुबह भी साक्षी मलिक लोगों के बीच आईं और आंदोलन को तेज करने की अपील की। साक्षी मलिक ने कहा कि, ''कई दिनों से हमारी ख़बर नहीं दिखाई जा रही है, हमारी बात भारत के गांवों तक नहीं पहुंच पा रही है। इसलिए हमें इस आंदोलन को बड़ा करने की ज़रूरत है, हर घर-परिवार से दो-दो चार-चार महिलाएं रोज़ आएं, एक दिन से बात नहीं बनने वाली, हमें लगातार और ज़्यादा से ज़्यादा समर्थन की ज़रूरत है।'' उन्होंने देश में बढ़ती यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर भी चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि, ''हमारा धरना चलते-चलते भी देश में कई जगह यौन उत्पीड़न की घटनाएं हो रही होगी तो इसलिए हमें इस धरने को बहुत बड़ा करने की ज़रूरत है, हमें बेटियों को ये समझाना होगा कि अगर उनके साथ कुछ होता है तो वे न्याय के लिए अपनी आवाज़ ज़रूर उठाएं। हमारे लिए ये लड़ाई जीतना बहुत ज़्यादा ज़रूरी है क्योंकि अगर हम ये लड़ाई हार गए तो अपनी बेटियों को पचास साल के लिए पीछे ले जाएंगे, लेकिन अगर हम ये लड़ाई जीत गए तो पचास साल आगे तक ये बात याद रखी जाएगी कि उन्होंने आवाज़ उठाई थी, तो हम भी आवाज़ उठा सकते हैं। हमारी लोगों से अपील है कि यहां लोग अपनी बेटियों को लेकर आएं क्योंकि हमारे लिए ये लड़ाई जीतनी बहुत ज़रूरी है।
अधीर रंजन चौधरी जंतर-मंतर पहुंचे
धरने को समर्थन देने के लिए सोमवार को भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद जंतर-मंतर पर पहुंचे थे जबकि मंगलवार सुबह सबसे पहले कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी पहुंचे। उन्होंने पहलवानों को समर्थन देते हुए कहा कि, ''मैं यहां नहीं था लेकिन जैसे ही मैं दिल्ली आया तो मुझे लगा कि क्यों न मैं भी इन लोगों के पास जाकर अपना समर्थन जताऊं। सिर्फ इसलिए मैं यहां आया हूं। इसके अलावा मेरा कोई और मकसद नहीं है। मैं बहुत दुखी हूं कि हमारी बेटियों के साथ इस तरह का अन्याय हो रहा है। यहां आने के लिए भी पाबंदी लगाई गई है। चारों तरफ बैरिकेडिंग क्यों की गई है। क्या हम आतंकवादी हैं? जो पीड़िता हैं उनसे ही सबूत मांगे जा रहे हैं। मैं सरकार और प्रशासन से पूछना चाहता हूं कि क्या आपके घर में बेटियां, बच्चियां नहीं हैं? ये साफ दिखाता है कि मामले को घुमाने की साजिश और बेटियों की अनदेखी करने की कोशिश की जा रही है, ऐसा लग रहा है मामले को छिपाने की कोशिश की जा रही है।''
ऐपवा के नारों से गूंजा जंतर-मंतर
जंतर-मंतर पर अलग-अलग पार्टी के नेताओं के साथ ही लगातार अलग-अलग राज्य से महिला संगठन से जुड़ी महिलाएं भी पहुंच रही हैं। मंगलवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर ऐपवा (All India Progressive Women's Association) से जुड़ी राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश की कार्यकर्ता पहुंची और धरने पर बैठी बेटियों के समर्थन में जमकर नारेबाज़ी की। हमने ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी से बात की। उन्होंने कहा कि, ''पूरे देश में 8 तारीख से ऐपवा ने महिला पहलवानों के समर्थन में कार्यक्रम किया है। न्याय की मांग की है। और आज हम यहां आए हैं। 24 दिन हो गए। अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसमें कोई चौंकने वाली बात नहीं है। सरकार बहुत जल्दी नहीं सुनती लेकिन ये भी तय है कि इन्हें एक न एक दिन सुनना पड़ेगा। जैसे-जैसे समय बीत रहा है इस सरकार का चेहरा भी बेनकाब हो रहा है। महिला समझ रही हैं। जांच पड़ताल के नाम पर जो सब चीजें चल रही हैं, गिरफ़्तारी नहीं हो रही है तो ये दिखा रहा है कि इस देश में सरकार, पुलिस, प्रशासन ये तमाम संस्थाएं जो लोकतंत्र की ताकत होती हैं इसे अपराधियों के पक्ष में इस्तेमाल किया जा रहा है। इस देश की आधी आबादी जो महिलाएं हैं उनके पक्ष में खड़े होने की बजाए यौन उत्पीड़न करने वालों को बचाया जा रहा है''।
''हर बात के लिए प्रदर्शन मौजूदा सरकार की असफलता का रिपोर्ट कार्ड है''
दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. उमा गुप्ता भी मंगलवार को जंतर-मंतर पहुंची और धरने पर बैठे लोगों के बीच अपनी बात रखी। पिछले 24 दिन से चल रहे धरने पर उन्होंने कहा कि, ''पुलिस का जो रवैया है बृजभूषण शरण सिंह जैसे आरोपियों को बचाने के लिए वे निहायती शर्मनाक है और नाक़ाबिल-ए-बर्दाशत है। वे पहलवान जो पूरे देश का प्रतिनिधित्व पूरी दुनिया के सामने करते हैं वे पिछले कई दिनों से बैठे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। उनकी कोई सुनवाई करने की बजाए बृजभूषण शरण सिंह जैसे लोगों को गिरफ़्तार करने की बजाए, सरकार उन्हें पूरी तरह से प्रोटेक्ट करने में जुटी है जिसे हम लोकतंत्र की हत्या के तौर पर देखते हैं, ये लोकतंत्र को कमज़ोर करने के तरीके हैं, आप शासन में हैं और ग़लत तरह की चीजों को बढ़ावा दे रहे हैं तो मैं इस पूरे रवैया का पुरजोर तरीके से विरोध करती हूं, और इसी के विरोध में हम यहां आए हैं। अगर हमें पुलिस से, सरकार से न्याय नहीं मिलेगा तो हम सड़कों पर आकर न्याय लेंगे''। देश में हर बात पर हो रहे धरने पर डॉ. उमा कहती हैं कि, ''यही हमारे देश का सूरत-ए-हाल है, छोटी-छोटी मांग के लिए भी विरोध प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ रहा है, जब हर बात के लिए जनता को सड़क पर आना पड़ रहा है तो ये मौजूदा सरकार का रिपोर्ट कार्ड है, जो दिखाता है कि ये सरकार की बहुत बड़ी असफलता है। इस समय जनता को रोजी-रोटी से लेकर यौन उत्पीड़न के मामले में न्याय के लिए सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ रहा है।''
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''बिना न्याय मिले धरने से नहीं उठना''
धरने में लगातार किसान संगठन और खाप अपना दम दिखा रहे हैं, छात्र और महिला संगठन भी डटे हुए हैं लेकिन सबकी निगाहें सरकार पर टिकी हैं कि वे कब पहलवानों के साथ आकर खड़ी होगी?
मंगलवार को धरने की कुछ और तस्वीरें :
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