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योगी आदित्यनाथ बनाम हेट स्पीच: 'एक रुका हुआ फ़ैसला...'

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ 2007 के अभद्र भाषा (हेट स्पीच) के मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा है।
Yogi Adityanath

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ 2007 के अभद्र भाषा (हेट स्पीच) के मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा है। एक निचली अदालत ने अक्टूबर 2022 में नफ़रत फैलाने वाले भाषण मामले में अंतिम रिपोर्ट को चुनौती देने वाली परवेज़ परवाज़ की याचिका ख़ारिज कर दी थी।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 07 फ़रवरी मंगलवार को परवेज़ परवाज़ और असद हयात द्वारा दायर एक मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया जिसमें गोरखपुर अदालत के फैसले को चुनौती दी गई है।

दरअसल गोरखपुर की एक अदालत ने, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कुछ अन्य लोगों पर 2007 के कथित अभद्र भाषा (हेट स्पीच) के मामले में अंतिम रिपोर्ट के ख़िलाफ़ परवेज़ परवाज़ और असद हयात द्वारा दायर की गई याचिका को ख़ारिज कर दिया गया था।

बता दें कि योगी आदित्यनाथ उस समय गोरखपुर से भाजपा सांसद थे। जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने मंगलवार को अपने आदेश में लिखा, "फैसला सुरक्षित रखा जाता है।"

पिछले अक्टूबर में गोरखपुर की एक अदालत ने नफ़रत फैलाने वाले भाषण मामले में अंतिम रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका ख़ारिज कर दी थी। “यह एक पुराना मामला है जिसमें अभियोजन की मंज़ूरी से इंकार कर दिया गया था। अंतिम रिपोर्ट पहले दायर की गई थी।

परवेज़ परवाज़ ने निचली अदालत में इसके खिलाफ याचिका दायर की थी। विरोध याचिका को निचली अदालत ने 11 अक्टूबर 2022 को ख़ारिज कर दिया था। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने भी की थी।

अब, उन्होंने अक्टूबर 2022 के आदेश को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है। मामला उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ़ 2007 की हेट स्पीच का है।

अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बताया कि याचिकाकर्ताओं ने मुख्यमंत्री को पक्षकार नहीं बनाया है। इसके बजाय, उन्होंने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत नवीनतम याचिका में राज्य सरकार को एक पक्ष बनाया है।

गोयल के अनुसार, ''मंगलवार को याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने दलीलें पेश कीं और कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई।''

उच्च न्यायालय में दो याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नक़वी ने न्यूज़क्लिक बताया कि, "हेट स्पीच मामले में अंतिम रिपोर्ट 2017 में प्रस्तुत की गई थी। रिपोर्ट को चुनौती देने वाली एक याचिका को निचली अदालत ने ख़ारिज कर दिया था। हमनें निचली अदालत के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।”

गोरखपुर में 27 जनवरी, 2007, एक जुलूस के दौरान दो समूहों के बीच हुई झड़प में एक हिंदू युवक की मौत हो गई थी।

एक स्थानीय पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता परवाज़ ने 26 सितंबर, 2008 को एक मामला दायर कियाजिसमें दावा किया गया कि तत्कालीन स्थानीय भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने एक भाषण दिया था जिसमें "हिंदू युवाओं की मौत के लिए बदला लेने" की बात का ज़िक्र था और उनके पास उसी के वीडियो थे।

पुलिस ने, 10 जुलाई 2015 को, योगी आदित्यनाथ और अन्य के ख़िलाफ समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से अभियोजन की अनुमति मांगी।

योगी आदित्यनाथ के 2017 में मुख्यमंत्री बनने के दो महीने बाद, राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि उसने उनके और अन्य लोगों के खिलाफ़ मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया।

अपने हलफनामे में, सरकार ने कहा कि फॉरेंसिक रिपोर्ट में पाया गया है कि भाषणों के वीडियो ओरिजिनल नहीं थे और वीडियो को एडिट कर उसमें छेड़छाड़ की गई थी और आवाज़ के नमूने सीधे योगी आदित्यनाथ से नहीं बल्कि उनके दूसरे भाषण से लिए गए थे।

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