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'यूपी मांगे रोज़गार अभियान' के तहत लखनऊ पहुंचे युवाओं पर योगी की पुलिस का टूटा क़हर, हुई गिरफ़्तारियां

हाथों में बैनर, तख्तियां लिए युवाओं ने मार्च तो निकाला लेकिन विधानसभा पहुंचने से पहले ही पुलिस ने इनकी गिरफ्तारियां करनी शुरू कर दी। आरोप है कि इन युवाओं की पुलिस ने बर्बर तरीके से पिटाई की।
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"हम जानते थे कि हमें हर हाल में रोका जाएगा, गिरफ्तारी भी होगी और पुलिसिया दमन भी होगा... क्योंंकि हमारा सवाल उत्तर प्रदेश सरकार से रोजगार को लेकर है, हमारा सवाल खाली पड़े पच्चीस लाख पदों को लेकर है, प्रतियोगी परीक्षाओं में हो रही धांधली, सॉल्वर गैंगों का बढ़ता दबदबा और पेपर लीक मामलों को लेकर हम सरकार से सवाल पूछ रहे हैं... हम पूछते हैं कि बेरोजगारी पर सरकार आख़िर श्वेत पत्र क्यों नहीं जारी करती, बेरोजगारी भत्ता क्यों नहीं दिया जा रहा....ये हमारे वे तमाम सवाल है जो हम युवा योगी सरकार से पूछ रहे हैं तो स्वाभाविक है कि हम ऐसे सवालों के साथ लखनऊ आएं हैं तो हमें हर हाल में रोका जाएगा और हमारी आवाज़ को दबाने की भरपूर कोशिश होगी और आज वही हुआ...." ये तमाम बातें उन युवाओं ने कही जो राज्यव्यापी आह्वान पर 'यूपी मांगे रोजगार अभियान' के तहत रोजगार अधिकार मोर्चा के बैनर तले 2 दिसंबर को गोरखपुर, मिर्जापुर, बलिया, चन्दौली, सीतापुर, सोनभद्र, इलाहाबाद, बनारस, लखनऊ आदि जिलों से लखनऊ पहुंचे थे।

तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार रोजगार अधिकार मार्च को के.के.सी. डिग्री कॉलेज से होते हुए विधानसभा तक जाना था और विधानसभा का घेराव करना था लेकिन सुबह से ही रेलवे स्टेशन से युवा आंदोलनकारियों की गिरफ्तारियां होने लगीं। इन गिरफ्तारियों से बच निकले आंदोलकारी युवा बिना डरे वहां तक पहुंचे जहां से मार्च निकलना था। हाथों में बैनर, तख्तियां लिए इन युवाओं ने मार्च तो निकाला लेकिन विधानसभा पहुंचने से पहले ही एक बार फिर पुलिस ने इनकी गिरफ्तारियां करनी शुरू कर दी यहां तक कि कवरेज कर रहे पत्रकारों को भी रिपोर्टिंग से रोका गया, कैमरे बंद करने के लिए कहा गया। रेलवे स्टेशन से ही हो रही इन गिरफ्तारियों के वक्त पुलिस ने इन छात्रों से अभद्रता भी की। आंदोलन में शामिल होने आए इलाहाबाद विश्विद्यालय के छात्र विकास ने बताया कि जब पुलिस हम आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर ले जा रही थी तो पीटा गया, भद्दी गालियां दी गई यहां तक कि कहा गया कि हमलोगों को टुकड़े टुकड़े गैंग से होने की बात कही, हमें देश विरोधी कहा और लात मारकर हम लोगों को गाड़ी में डाल दिया गया और जब सबको इको गार्डेन लाया गया तो वहां मौजूद दरोगा ने कहा कि इको गार्डेन नहीं इन्हें तो थाने ले जाना चाहिए, वहीं इनकी अच्छे से मरम्मत होनी चाहिए।

विकास कहते है, शांतिपूर्वक हमारा मार्च था, हम जायज सवालों के साथ लखनऊ आए थे, आज बेरोजगारी सबसे अहम मुद्दा बन गया है, रोजगार न मिलने की स्थिति में युवाओं की आत्महत्या करने की दर बढ़ रही है, लेकिन योगी सरकार झूठे आंकड़ों के दम पर खुद की पीठ थपथपा रही है और जो आज का युवा उनसे सवाल कर रहा है तो उन पर पुलिसिया दमन करवाया जा रहा है। बनारस से आए छात्र कुलदीप कुमार कहते है, 28 में से 24 ऐसी परीक्षाएं हैं जिनमें धांधली हुई है और कोर्ट में केस पेंडिंग पड़े है। पच्चीस लाख पद खाली हैं जिन्हें सरकार जल्द से जल्द भरे अगर सरकार ऐसा करने में अक्षम है तो हर बेरोजगार युवा को दस हजार रूपए बेरोजगारी भत्ता दे। कुलदीप कहते हैं यदि सरकार लाखों खाली पड़े पदों को शीघ्र नहीं भरती है तो आने वाले समय में बेरोजगारी महामारी बन जाएगी।

उत्तर प्रदेश के रहने वाले और जामिया मिलिया इस्लामिया में पढ़ रहे छात्र नौशाद कहते है, जब से सत्ता में भाजपा सरकार आई है चाहे वे केंद्र में हो या उत्तर प्रदेश में, केवल साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार इनके एजेंडे में कभी रहा ही नहीं। वे कहते है उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का दावा करने वाली योगी सरकार प्रदेश में कम्युनल माहौल बनाने में तो सफल रही लेकिन युवाओं को रोजगार देने में विफल, जबकि दावे तो बहुत किए गए थे लेकिन सारे दावे खोखले निकले।

नौशाद के मुताबिक यूपी मांगे रोजगार मुहिम के तहत उत्तर प्रदेश के तमाम युवा, छात्र संगठन एकजुट होकर योगी सरकार से रोजगार पर सवाल कर रहे हैं।

छात्र संगठन आईसा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष शैलेश पासवान कहते है कि रोजगार पर सवाल कर रहे युवाओं पर योगी सरकार दमन करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। वे बताते हैं पिछले कई दिनों से हम युवा रोजगार अधिकार यात्रा निकाल रहे हैं, कई जिलों से होता हुआ हमारा काफ़िला राजधानी लखनऊ पहुंचा यहां विधानसभा तक जाना था लेकिन पुलिस का कहर इतना कि जैसे छात्र ट्रेनों से उतरे उन्हें स्टेशन से ही गिरफ्तार कर लिया गया, उन्हें मारा पीटा गया, पेट पर डंडे मारे गए। उनके मुताबिक इस पिटाई के कारण कई छात्रों को उल्टी की शिकायत भी हुई। वे कहते हैं निजीकरण, रोजगार और प्रतियोगी परिक्षाओं में हो रही धांधलियों पर हम सरकार से सवाल करने निकले हैं, ज़ाहिर है हम सरकार के निशाने पर होंगे। वे छात्रों की समस्याओं को बताते हुए कहते है, हजारों छात्र अपने घरों से दूर दूसरे जिलों में रहकर रात दिन एक करके प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में लगे लेकिन यहां न तो परीक्षाएं समय से हो रही हैं और न ही समय से रिजल्ट निकल रहे हैं जो परीक्षाएं किसी तरह हो भी रही हैं तो कभी पेपर ही लीक हो जा रहा है तो कभी सॉल्वर गैंग सक्रिय हो जा रहे हैं, दूसरी जगहों में रहकर पढ़ने, रहने, खाने, कोचिंग आदि का खर्च हर छात्र के लिए वहन करना लंबे समय तक संभव नहीं है तो ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए कि बेरोजगारी भत्ता लागू करे ताकि छात्रों को आर्थिक रूप से मदद मिल सके।

यूपी मांगे रोजगार अभियान के संयोजक सुनील मौर्य कहते हैं पूरे उत्तर प्रदेश का छात्र नौजवान बेरोजगारी से त्रस्त है। अलग-अलग सवालों पर संघर्ष कर रहा है। वह चाहे प्राथमिक विद्यालयों में नई शिक्षक भर्ती का सवाल हो, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से 27000 पदों को विज्ञापित करने ,चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति का सवाल हो, यूपीएसएसएससी की कार्यप्रणाली व नियुक्ति का सवाल हो, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का मामला हो, 69000 शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार व आरक्षण घोटाला, पुलिस भर्ती व यूपीएसआई का मामला हो या अभी हाल ही में टीईटी पात्रता परीक्षा, पेपर लीक होने का मामला हो। इन सभी आयोग, बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षाओं की बदहाल स्थिति से नुकसान गरीब किसान मजदूर पृष्ठभूमि से आने वाले बेरोजगार छात्र नौजवानों को उठाना पड़ता है। जिसके लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो वह सीधे सीधे सरकार है। इसीलिए जरूरी है कि अलग-अलग लड़ाई लड़ने के बजाय एकजुटता के साथ पूरे प्रदेश में बेरोजगारी के खिलाफ सम्मानजनक रोजगार के अधिकार के लिए मजबूती से आवाज बुलंद की जाए। वे कहते है उनके इस आंदोलन में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से बुद्धिजीवियों के साथ-साथ किसान आंदोलन, महिला आंदोलन विश्वविद्यालय के छात्रों की तरफ से भी बड़े पैमाने पर समर्थन मिल रहा है।

यूपी मांगे रोजगार अभियान में शामिल दर्जन से अधिक छात्र युवा संगठनों व रोजगार आंदोलनों ने कई मांगों को प्रमुखता से उठाने का निर्णय लिया है जिनमें 25 लाख सरकारी पदों को भरने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने, पांच वर्ष में 70 लाख नौकरी देने के वादे का क्या हुआ? योगी सरकार जबाव दो! रोजगार पर श्वेतपत्र जारी करने, देश की संपत्तियों को बेचने का फैसला वापस लेने, सभी स्वरोज़गारियों के क़र्ज़ अविलंब माफ़ करने, सभी बेरोजगार नौजवानों को 10 हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता देने, 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाले की जांच कराने, आरक्षित पदों पर गैर आरक्षित अभ्यर्थियों की नियुक्ति रद्द करने, भर्तियों में सामाजिक न्याय से छेड़छाड़ बंद करने, नौकरियों में सामाजिक न्याय की गारंटी करने, जिले में फैक्ट्रियों-कारखानों को चालू कर नौजवानों को रोजगार देने, सभी संविदा कर्मियों को स्थाई नियुक्ति करने, समान काम के लिए समान वेतन की गारंटी करने, प्रतियोगी परीक्षाओं में हुए पर्चा लीक/धांधली आदि की जांच कराकर दोषियों को सजा देने, भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं नियमितता की गारंटी करने हेतु सांस्थानिक बदलाव लाने, फार्म की कीमत समाप्त करने, एडमिट कार्ड को बस रेल पास घोषित करने, परीक्षा सेंटर नई शिक्षा नीति 2020 रद्द करने, निजीकरण पर रोक लगाने, रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने की मांग शामिल हैं।

लेखिका स्वतंत्र पत्रकार है। 

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