अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्त्ता अजित नायक की हत्या

अधिवक्ता व सामाजिक कार्यक्रता अजित नायक (57) की हत्या शुक्रवार को बदमाशों ने कर दी। शुरूआती रिपोर्ट के अनुसार हत्या धारदार हथियार से हुई है। हत्या के तीन दिन हो जाने के बाद भी कर्नाटक पुलिस हत्यारों की गिरफ्तारी करने में कामयाब नहीं हुई है।
27 जुलाई की रात 9:10 से 9:20 के बीच अजित नायक अपने दो दोस्तों के साथ ऑफिस से घर की ओर आ रहे थे, तभी हमलावरों ने जेएन रोड पर पर नायक पर हमला कर दिया। स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार हमलावरों ने मास्क पहना हुआ था और उन्होंने अजित नायक के चेहरे की बाईं ओर धारदार हथियार से हमला किया।
हमला होने के बाद घटना स्थल से अधिवक्ता को हॉस्पीटल ले जाया गया जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। डाक्टरों का कहना है कि वह हॉस्पीटल आने से पहले ही मर चुके थे।
पुलिसवालों का कहना है कि उनकी मौत का कारण शायद उनकी सामाजिक मुद्दों मे सक्रियता है। उनका यह भी कहना है कि वह जल्द ही मुज़रिमों को पकड़ लेगी। हत्या का केस दांदेली पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है।
अजित नायक एक सामाजिक कार्यकर्त्ता थे। वे कांग्रेस के प्रखंड प्रमुख भी रह चुके हैं। ‘काली बचाओ आंदोलन’ से भी वे सक्रिय रूप से भी संबध रखते थे जो काली नदी को बचाने के लिए काम करता है।
वे दांदेली बार एसोशिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वे कर्नाटक में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण सुधारों के अलावा और भी कई सामाजिक आंदोलन व भ्रष्टाचार विरोधी आांदोलनों में सक्रिय रह चुके थे।
इस हत्या के विरोध में शनिवार को दांदेली शांतिपूर्ण रूप से बंद किया गया। वहीं घटना पर खेद जताते हुए तमाम वकीलों ने कार्यों से बहिष्कार कर दिया और उत्तरी कन्नड़ के दांदेली और अन्य तालुक मुख्यालयों में कैंडिल मार्च भी निकाला।
अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक, उत्तर कन्नड़, केजी देवराजु ने बीते रविवार अख़बार ‘द हिंदू’ से बात करते बताया कि हम ट्रैक पर हैं और इस केस को दो दिन में क्रैक कर लेंगे।
चेन्नई स्थित लेखक और कार्यकर्ता नित्यानंद जयरामन ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि “भारत में असहिष्णुता और हिंसा जैसे मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। अजित नायक की मौत थूथुकूड़ी में पुलिस गोलीबारी से 14 लोगों की भयानक हत्या के लगभग दो महीने बाद हो जाती है यह अपने आप में कई सारे सवाल खड़े करती है।” उन्होंने आगे बात करते हुए कहा कि ‘‘सामान्य लोग जो पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपनी आवाज़ उठाते हैं उन्हें वर्दीधारी व बिना वर्दीधारी दोनों मार डालते हैं।”
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