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आईएल एंड एफएस चिड़ियाघर के शानदार और विलक्षण जानवर

सरकार द्वारा नियुक्त किए गए बोर्ड ने 347 इकाइयों पर 99,000 करोड़ रुपये से अधिक के विदेशी कर्ज़ जिसमें, 31,000 करोड़ रुपये से अधिक का आंतरिक ऋण है और उनमें से 100 से ज़्यादा कंपनी विदेशों में स्थित हैं का खुलासा किया है। और यह सिर्फ शुरुआत है।
IL&FS

आखिरकार कुछ रोशनी भारत की बहुत ही सराहनीय और सुपर-गतिशील कंपनी, आईएल एंड एफएस (IL&FS) जिसे अक्सर 'सार्वजनिक-निजी साझेदारी' का राजा कहा जाता था के विचलित करने वाले अंधेरे पर पड़ी है। जैसा कि पहले बताया गया था, कि आईएल एंड एफएस ने कुछ महीने पहले से ही भारतीय वित्तीय प्रणाली को झटके देना शुरू कर दिया था जिसकी हालत पहले से ही पतली थी। गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों को क्रेडिट जिसका आईएल एंड एफएस बेताज़ बादशाह था और कभी न असफल होने वाले बहुत बड़े ‘ब्रह्मअस्त्र' के रूप में पेश किया गया था वह अचानक औंधे मुहँ गिर गया, और म्यूच्यल फंडों को लेकर शेयर बाजारों में खून-खराबा हो गया। बाज़ार में इस बैचेनी को रोकने के लिए, मोदी सरकार ने कुछ सबसे अनुभवी कंपनी के ‘चिकित्सकों’ के एक बोर्ड को इस डूबते जहाज़ को सुरक्षित पानी में ले जाने के लिए नियुक्त किया था – ताकि पूरी तरह से लगने वाली आग या किसी भयंकर बीमारी से बचाव किया जा सके।

इस बोर्ड ने एक रिपोर्ट को पेश करने के लिए लगभग एक महीने का समय लिया है, और दो दशकों में पहली बार आईएल एंड एफएस द्वारा निर्मित भूलभुलैया का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट बार-बार कहती है कि जांच चल रही है और कई चीजें बदल सकती हैं। लेकिन यहां एक तस्वीर पेश है।

पहले जो बताया और छिपाने के विपरीत, सहायक कंपनियों, संयुक्त उद्यमों, 'संयुक्त नियंत्रण संस्थाओं' और सहयोगियों सहित आईएल एंड एफएस के 347 'घटक' पहचाने गए हैं। कॉरपोरेट इकाइयों की यह सेना एक दूसरे के साथ जुड़ी हुयी है, - एक-दूसरे को उधार देना, एक-दूसरे से खरीदना और बिक्री करना, एक-दूसरे द्वारा शासित और शासित होना आदि। कंपनी लॉ का उल्लंघन करते हुए मौजूदा स्तर की जानकारी के मुताबिक, सहायक कंपनियों की चार पीढ़ियों तक सहायक कंपनियां मौजूद हैं।

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अब क्या पुष्टि हुई है - कुछ ऐसा जिसका संदेह पहले से था – वह यह कि 100 घटक इकाइयां विदेश में हैं - पंजीकृत और अन्य देशों में स्थित हैं। नया बोर्ड आसानी से संख्या की पहचान करने और इन अपतटीय कंपनियों में से कुछ पर मज़बूत पकड़ पाने में सक्षम रहा है।

बोर्ड की रिपोर्ट में संक्षिप्त और भावपूर्ण ढंग में कहा गया है कि, "इस संबंध में और जानकारी एकत्रित की जा रही है और सभी सामग्री का सत्यापन किया जा रहा है।"

उन्हें पता है कि आईएल एंड एफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क्स लिमिटेड (आईटीआईएन), भारत का सबसे बड़ा बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर ऑपरेटर (इस सम्बंध में उन राजमार्गों और पुलों पर अजीब टोल बूथ को याद रखें?), इन संस्थाओं में से 42 का मालिक है जिसमें "सिंगापुर जैसे विदेशी क्षेत्राधिकार, स्पेन, अमेरिका, दुबई, चीन और अफ्रीका शामिल हैं" आईएल एंड एफएस फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (आईएफआईएन), जो एक और प्रमुख सहायक कंपनी है, 2006 से भारत में पंजीकृत एनबीएफसी है, बदले में इसकी यूनाइटेड किंगडम, हांगकांग, सिंगापुर और दुबई में चार विधिवत पंजीकृत सहायक कंपनियां भी हैं।

बोर्ड को अब इन बातों पर नज़र गाड़ने की ज़रूरत है – ये पता लगाए कि इन सहायक कंपनियों के पास कितनी अधिक सहायक कंपनियां हैं और - महत्वपूर्ण रूप से - ऑफशोर टैक्स हेवन में उनका संचालन कैसा हैं और क्या है? ऐसा करने से आसानी से कहा जा सकता है लेकिन यदि सरकार सफाई के अपने उद्देश्य में गंभीर है, तो इसे जहां तक इसके निशान जाते हैं वहां तक इसकी जांच की जानी चाहिए। क्योंकि इसकी भी  संभावनाए बनी हुयी हैं- हालांकि बोर्ड इस पर चुप है – कि पैसा उन सभी उन्मत्त परियोजनाओं से हटा दिया जा रहा है जो आईएल एंड एफएस उपक्रम के जरिये काम कर रहे थे, और इन विदेशी संस्थाओं के माध्यम से दूरदराज के इलाकों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

नए बोर्ड के अनुमान के मुताबिक इन बाहरी लेनदारों के शानदार जानवरों के परिवार के पर बकाया कर्ज  99,354 करोड़ रुपये है। इसमें फंड-आधारित और गैर-निधि-आधारित ऋण शामिल है। होल्डिंग कंपनी आईएल एंड एफएस इस ऋण के पहाड़ का केवल 19 प्रतिशत है। ऋण की 68 प्रतिशत दहला देने वाली राशि जो कुछ 67,255 करोड़ रुपये बैठती है - सहायक कंपनियों पर बकाया है। इसके संयुक्त उद्यम और जेसीई आदि के नाम पर अधिक ऋण मौजूद है।

लेकिन यहां बात है: कुल ऋण के 38 प्रतिशत की - कुछ 35,382 करोड़ रुपये - राष्ट्रीयकृत बैंकों के पर  बकाया है। वित्तीय संस्थानों का बकाया 10 प्रतिशत (9,138 करोड़ रुपये) है। व्यापक रूप से बोलते हुए, यह ऋण के रुप में लोगों का पैसा है। गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) में ऋण का लगभग 27 प्रतिशत हिस्सा है।

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इस बाहरी ऋण के अलावा, एक और भूलभुलैया है जिसे बोर्ड को सामना करना पड़ता है लेकिन अभी तक उसमें वह प्रवेश नहीं कर सका है। यह 'आंतरिक ऋण' है, यानी, एक घटक द्वारा दूसरे घटक को पैसा दिया जाता है। इसका कोई मतलब नहीं है: यह 3,247 करोड़ रुपये के बराबर है। बोर्ड द्वारा दी गई रिपोर्ट स्पष्ट रूप से कहती है कि ह अभी भी इसे समझने की कोशिश कर रहा है।

यह भी पता चला है कि 99,354 करोड़ रुपये के कुल ऋण में से एक उल्लेखनीय हिस्सा असुरक्षित ऋण है। यह लगभग 20,857 करोड़ रुपये या कुल ऋण का लगभग 22 प्रतिशत है। इसे कैसे वसूल किया जाएगा क्या किसी को अंदाज़ा है।

रिपोर्ट के मुताबिक 8 अक्टूबर, 2018 तक आईएल एंड एफएस पहले से ही 4,776 करोड़ रुपये के कर्ज पर चूक कर चुका है। यदि आप कंपनी के सामने आने वाले ऋण के पहाड़ को देखते हैं तो यह बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन सवाल यह उठता है कि सभी ऑडिटर, बैंक और नियामक निकाय कैसे नहीं देख पाए कि आगे क्या गुल खिलने वाले हैं। नियत तारीख से पहले ही क्षितिज पर चूक (डिफ़ॉल्ट) बडी़ हो जाती है। वे नीले रंग से बोल्ट नहीं हैं। फिर सभी ने आँख क्यों मूंद ली?

निरीक्षण और तथ्य की जांच करने से इस अजीब व्यवहार की पुष्टि हुई है कि आईएफआईएन के आईएल एंड एफएस समूह में कंपनियों को बकाया ऋण और जो निवेश था वह 5,728 करोड़ रुपये, 5,127 करोड़ रुपये, और 5,490 करोड़ रुपये क्रमशः वित्त वर्ष 2016, वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 18 में था। बोर्ड के मानता हैं, पहली नज़र में यह साबित होता है कि "इन तीनों वर्षों में, इन तीनों में से प्रत्येक में स्वीकार्य मानदंडों के बाहर जाकर" क्यों अनुमति दी गई थी?

यद्यपि बोर्ड ने अभी भी बीमारी को दूर करने के लिए कदम नहीं उठाया है – जबकि संभवतः गंभीर वित्तीय जांच कार्यालय को उस पहलू पर ध्यान देना चाहिए - लेकिन यह कुछ मामलों का खुलासा करता है जिस तरह से कंपनी चीजों के साथ खेल रही हैं।

• आईएल एंड एफएस समूह की एक निश्चित संपत्ति को समूह में एक अन्य समूह कंपनी को जून 2017 में स्वतंत्र निष्पक्ष मूल्यांकन के आधार पर 30.8 करोड़ रुपये नकद दिए गए, और एक साल बाद, निदेशकों की एक समिति ने इसे तीसरे पक्ष को बेचने का संकल्प किया वह भी अस्पष्ट कारणों के लिए मात्र 1 करोड़ रुपये में।

• आईएल एंड एफएस ने अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों में से 55 को 16.5 करोड़ की वार्षिक लागत पर परामर्शदाताओं के रूप में नियुक्त किया।

• आईएल एंड एफएस ग्रुप ने समूह कंपनियों के गेस्ट हाउस के रूप में चुनिंदा कर्मचारियों (या उनके रिश्तेदारों) के स्वामित्व वाली संपत्ति लीज पर दी। बोर्ड छह ऐसी संपत्तियों का एक उदाहरण देता है जिन्हें कुल 15.1 लाख रुपये के मासिक किराये पर लिया गया था और 2,6 करोड़ रुपये जमाराशि के साथ ।

तो, अब क्या होने जा रहा है? नया बोर्ड केवल कुछ सामान्य समाधानों के साथ आया है जो सभी को कवर करते हैं। अभी तक जमीन पर कुछ भी नहीं है। वे तीन विकल्प सुझाते हैं: 1) कोई भी पूरी तरह से इसमें धन निवेश करे और इस पूरे चिड़ियाघर को खरीद ले; 2) संपत्तियां (पढ़ें: राजमार्ग और पुल और डॉक्स आदि) को टुकड़े टुकड़े कर बेच दे; और 3) लेनदारों के साथ समझौता। ये विकल्प हैं जो सभी पहले से जानते थे।

इस बीच, जांच के गुब्बारे पहले से ही तैर रहे हैं कि शायद कंपनी को बचाने के लिए सरकार सफेद शूरवीर की तरह आए और कंपनी को बचा ले। इसका मतलब यही हो सकता है कि वह अपनी सोने की खान, एलआईसी का इस्तेमाल करे। एलआईसी के पैसे का मतलब लोगों के पैसे में आग लगाने जैसा है एलआईसी का पैसा लोगों का पैसा है। हाल के अधिकारों के मुद्दे के तहत बोर्ड को पूरे मजाक के साथ मात्र 5.47 लाख को छीनने और पैसे वापस करने का फैसला करने के लिए मजबूर कर दिया गया था। कोई बड़ा खिलाड़ी इसमें दिलचस्पी नहीं रखता है।

शायद हर कोई अपनी बोटियां चाट रहा है और आग की तरह बिक्री की प्रतीक्षा कर रहा है ताकि वे कुछ कम कीमतों पर कुछ रसदार आधारभूत ढाँचे को खरीद सकें। लेकिन फिर, बैंक (पढ़ें: सार्वजनिक धन) को झटका लगेगा। सच यह है कि : आईएल एंड एफएस से कोई अच्छी खबर नहीं निकल रही है और समस्या दूर नहीं होने जा रही है।

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