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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय: जिन्ना के सहारे अपनी नाकामी छुपाने की कोशिश है ?

अगले आम चुनावो से पूर्व इस तरह की कई और घटना सामने आ सकती हैं, जिनके लिए हमे तैयार रहना चाहिए| भाजपा अपने किसी भी चुनावी वादे को पूरा नहीं कर सकी है तो वो इस तरह के भावनात्मक मुद्दों को उछालकर लोगों का वोट को हासिल करना चाहती है|

AMU

पिछले कुछ वर्षो में विश्वविद्यालयों में एक विशेष विचारधार को लेकर हमला हो रहे हैं, चाहें वो जेनयु, दिल्ली विश्वविद्यालय, बीएचयू या फिर वो TISS हो|  इन सबके बाद अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पर हमला किया जा रहा है | इन सारे हमलों में एक समानता है कि संघ से जुड़े लोगों विश्वविद्यालयों की सोच पर हमला कर रहे| जहाँ लोगों के बीच वाद-विवाद और वैचारिक मतभेदों पर विचर विमर्श करने की स्वतंत्रता होती है वहाँ ये केवल एक तरह की विशेष सोच को कायम करने की कोशिश कर हैं|

एएमयू में पहले शाखा लगाने की बात की गयी, अब जिन्ना से डर के भूत को जगाया जा रहा है| अभी कुछ समय पहले ही एक संघ विचारक आमिर रशीदी ने उप-कुलपति को एक पत्र लिखा और कहा की यहाँ के छात्र और कई शिक्षक संघ के बारे में नहीं जानते| इसलिए विश्वविद्यालय प्रांगण में शाखा लगाने की इजाज़त दे दी जाए| अब इसके बाद अलीगढ़ के भाजपा के सासंद सतीश गौतम ने विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिख के विश्वविद्यालय में जिन्ना की एक तस्वीर के बारे में पूछा और उसको हटाने के लिए कहा है |

 यहाँ ऐसा लगता है कि माननीय सांसद इतिहास में कमज़ोर हैं या विश्वविद्यालय के बारे में नहीं जानते| क्योंकि ये तस्वीर आज़ाद भारत के अस्तित्व से पहले की है| उस समय उन्हें एक शिक्षाविद् के रूप में विश्वविद्यालय यूनियन ने पूर्णकालिक सदस्य के रूप में सदस्यता दी| उनसे पूर्व और उनके पश्चात भी कई लोगों को ये सदस्यता दी गई और उन सबकी तस्वीर यूनियन हॉल में लगाई गई है| जिसका आज के समय में उछलने का कोई औचित्य समझ नहीं आता| इसका केवल एक ही उद्देश्य लगता है कि सासंद जी इससे चर्चा को छात्रों के मुख्य मुद्दों से हटाकर इस तरह के बेमतलब की बातों में उलझाना चाहते हैं|

जहाँ आज पूरे देश में शिक्षण संस्था और शिक्षा व्यवस्था एक तरह से संकट के दौर से गुज़र रहे है, लगतार सरकार शिक्षा के बजट में कटौती  कर रही है | आज छात्रों को उनकी  छात्रवृत्ति नहीं मिल रही, रिसर्च के छात्रों को फेलोशिप नहीं मिल रही है, लगातर सरकारी संस्थाओ के फीस में बढ़ोत्तरी हो रही है और लगातार संस्थाओ में सीट-कट जैसी समस्याएँ छात्रों के सामने हैं| हमने पिछले दिनों इन सभी माँगों को लेकर कई विरोध-प्रदर्शन को देखा  है| सीट-कट को लेकर एक लम्बे समय तक जेनयू में आंदोलन चला, डीयू में भी शिक्षक और छात्र आन्दोलन कर रहे है, जहाँ स्वायत्तता के नाम पर शिक्षा के निजीकरण की भरसक कोशिश की जा रही है, इसी प्रकार TISS के छात्र भी बढ़ी फीस को लेकर विरोध कर रहे थे| इन सब के बीच संघ और भाजपा के लोग इन मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के मुद्दों को समय-समय पर उठते हैं |

एएमयू छात्रसंघ के अध्यक्ष मशकूर अहमद उस्मानी  ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि, “भाजपा सरकार अपनी विफलताओ को ढँकने के लिए इस तरह के मुद्दों को उठा रही है और इसके ज़रिये वो लोगों का धुर्वीकरण करने की कोशिश कर रही है| उन्होंने कहा कि ये सब वो देश में बढ़ते छात्र आन्दोलन को कमज़ोर करने के लिए कर रहे हैं, लेकिन हम इसके लिए तैयार हैं और हम इनका मुँहतोड़ जबाब देंगे |”

कई राजनीतिक और सामजिक कार्यकर्त्ताओं कहना है कि सरकार अगले आम चुनावों से पूर्व इस तरह की कई और घटना अंजाम में ला सकती है, जिनके लिए हमें तैयार रहना चाहिए| भाजपा अपने किसी भी चुनावी वादे को पूरा नहीं कर सकी है, तो वो इस तरह के भावनात्मक मुद्दों को उछाल कर लोगों का वोट को हासिल करना चाहती|

इन सब में गंभीर बात है कि सरकार और उनसे जुड़े लोग जिनकी ज़िम्मेदारी देश की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की है, वो ही इसको कमज़ोर करने का लगतार प्रयास कर रहे हैं| इन सब के लिए ही वो इस तरह के हथकंडो का प्रयोग कर रही है |

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