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अपने ही एचओडी से त्रस्त पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर

डॉक्टरों का कहना है कि वो हॉस्पिटल को दलालों से मुक्त, डॉक्टरों की सुरक्षा और दवा आपूर्ति को लेकर हड़ताल पर गए हैं। 

 
  पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर
Image Courtesy:THE TRIBUNE

बिहार के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) के जूनियर डॉक्टर एक बार फिर हड़ताल पर चले गए हैं। उन्होंने इमरजेंसी और ओपीडी सेवा को भी ठप कर दिया है। हालांकि पिछले दिनों की हड़ताल (पश्चिम बंगाल प्रकरण) की तरह इस बार यहां डॉक्टरों का झगड़ा मरीज़ या तीमारदार से मारपीट या सुरक्षा का नहीं है, बल्कि अपने ही एचओडी के कथित उत्पीड़न और भ्रष्टाचार का है।   

डॉक्टरों का कहना है कि वो हॉस्पिटल को दलालों से मुक्त, डॉक्टरों की सुरक्षा और दवा आपूर्ति को लेकर हड़ताल पर गए हैं। 

डॉक्टरों की अचानक हुई इस हड़ताल से मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। जिन मरीजों को ऑपरेशन करने का समय दिया गया था उन्हें मना कर दिया गयाजिससे मरीज परेशान हैं और इधर उधर भटक रहे हैं। 
पीएमसीएच में 600 जूनियर डॉक्टर काम करते हैं। इनकी हड़ताल के कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी असर पड़ा है। हड़ताल के बाद प्राचार्य और अधीक्षक ने बैठक शुरू कर दी है। बता दें कि इससे पहले भी कई बार अचानक जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर जा चुके हैं। 
क्या है पूरा मामला?
मामला ऑर्थोपेडिक्स यानी हड्डी विभाग के एचओडी विजय कुमार से जुड़ा है। जूनियर डॉक्टरों का आरोप है कि विजय कुमार जबरन एक विशेष कंपनी की दवा मरीजों को लिखने का दबाव बनाते हैं और जो डॉक्टर इस दवा को नहीं लिखता है, उनपर कार्रवाई कर परीक्षा में फेल कर देते हैं। इसे लेकर पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर कामकाज ठप कर हड़ताल पर चले गए हैं। इसके साथ ही जूनियर डॉक्टरों ने डॉ. विजय कुमार को हटाने की मांग की है। 
हालांकि डॉ. विजय कुमार जूनियर डॉक्टरों के इस आरोप को पूरी तरह बेबुनियाद बताते हैं।

पीएमसीएच के हड़ताली डॉक्टर का कहना है कि फेल होने का मामला सिर्फ एक विभाग से जुड़ा है। लेकिन मामला इससे कही गंभीर है। मरीजों को दवाएं नहीं मिलना एवं डॉक्टरों की सुरक्षा इन सभी को लेकर जूनियर डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार किया है।
इस पूरे विवाद ने शुक्रवार को तूल पकड़ा जब हड्डी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विजय कुमार ने प्राचार्य को पत्र लिखकर शिकायत की कि कुछ छात्रों ने उन्हें बंधक बनाया था और उनके साथ बदसलूकी की। उन्होंने छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इसके जवाब में जूनियर डॉक्टरों ने भी शिकायत पत्र लिखकर विभागाध्यक्ष को हटाए जाने की मांग की। 
डॉक्टरों ने यह भी कहा की आप हड्डी विभाग के किसी भी मर्जी का पर्चा देख लीजिए सभी पर आपको एक विशेष कंपनी की दवाइयां मिल जाएंगी। जबकि वही दवाई अस्पताल में होती है लेकिन जबरदस्ती हमसे कहा जाता है कि हम उसी कम्पनी की दवा लिखे। इसे चेक करने के लिए विजय कुमार ने अपना एक आदमी वार्ड के बाहर बैठा रखा हैजो चेक करता है कि हमने वो दवा लिखी है या नहीं।  
इसके बाद पीएमसीएच के प्रचार्य ने एक हाईलेवल मीटिंग कर जाँच कमेटी का गठन किया। 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी लेकिन इससे कोई हल नहीं निकला। 
जूनियर डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन में कई दौर की बातचीत होने के बाद भी मामला नहीं सुलझा है। हड़ताली डॉक्टर डॉ. विजय को हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं। 

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