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  • राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
    मुकुल सरल
    विशेष: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस और विज्ञान की कविता
    28 Feb 2021
    आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस है और इतवार भी तो क्यों न आज ‘इतवार की कविता’ में विज्ञान से ही जुड़ी कविताओं के बारे में बात की जाए। ऐसा सोचते ही मुझे सबसे पहले चकबस्त याद आए।
  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : साधने चले आए हैं गणतंत्र को, लो फिर से भारत के किसान
    24 Jan 2021
    केंद्र के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले दो महीने से डटे हैं और अब 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड में जुटे हैं। इसी को अपनी कविता में रेखांकित कर रही हैं उषा बिंजोला। आइए ‘इतवार…
  • माना कि राष्ट्रवाद की सब्ज़ी भी चाहिए/ लेकिन हुज़ूर पेट में रोटी भी चाहिए
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    माना कि राष्ट्रवाद की सब्ज़ी भी चाहिए/ लेकिन हुज़ूर पेट में रोटी भी चाहिए
    17 Jan 2021
    ‘इतवार की कविता’ में आज पढ़ते हैं संजीव गौतम के नए ग़ज़ल संग्रह ‘बुतों की भीड़ में’ से कुछ चुनिंदा ग़ज़लें जो हालात-ए-हाज़रा का आईना हैं।
  • किसानों का आंदोलन
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    हल चलाने वालों का कोई हल नहीं है, क्यों?
    14 Dec 2020
    मोदी सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ देश भर के किसानों का आंदोलन दिन ब दिन बढ़ रहा है। इसी सिलसिले में पेश है इरशाद ख़ान सिकंदर की एक नज़्म...
  • Diego Maradona
    न्यूज़क्लिक टीम
    नशा और होश : विश्व नागरिक माराडोना को समर्पित कविता
    29 Nov 2020
    ‘इतवार की कविता’ में साम्राज्यवाद, दमन-शोषण के ख़िलाफ़ जब-तब बोलने वाले विश्व नागरिक डिएगो माराडोना (30 अक्टूबर 1960-25 नवंबर, 2020) को समर्पित कवि-पत्रकार उपेंद्र चौधरी की कविता।
  • मशहूर शायरा फ़हमीदा रियाज़
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    “तुम बिल्‍कुल हम जैसे निकले, अब तक कहाँ छिपे थे भाई…”
    22 Nov 2020
    भारतीय उपमहाद्वीप की बेबाक और बुलंद आवाज़ मशहूर शायरा फ़हमीदा रियाज़ की 21 नवंबर को दूसरी बरसी थी। आज ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी एक मशहूर नज़्म।
  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक टीम
    इतवार की कविता: …लौ भर उम्मीद
    15 Nov 2020
    इस मुश्किल समय में भी दीपावली पर हम सबने दीये जलाए, और बेहतर कल की कामना की। शायद यही है लौ भर उम्मीद...। इसी उम्मीद को नये आयाम, नये अर्थों में कविता में ढाला है पत्रकार उपेंद्र चौधरी ने। आइए इतवार…
  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...कोई ठहरा हो जो लोगों के मुक़ाबिल तो बताओ
    08 Nov 2020
    ‘इतवार की कविता’ में आज पढ़ते हैं मशहूर शायर हबीब जालिब की वो मशहूर ग़ज़ल जो हर राजनीतिक और सामाजिक जलसे में सबसे ज़्यादा दोहराई जाती है। ख़ासकर मतला जो यूं है- “तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त…
  • कुर्सीनामा
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    कुर्सीनामा : कुर्सी ख़तरे में है तो देश ख़तरे में है… कुर्सी न बचे तो...
    25 Oct 2020
    बिहार में चुनाव हैं और इसी सिलसिले में याद आया जनकवि गोरख पांडेय का 1980 में लिखा कुर्सीनामा। जिसमें वे कहते हैं कि “महज ढाँचा नहीं है/ लोहे या काठ का/ कद है कुर्सी...” और ये कुर्सी क्या खेल करती है…
  • poem
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    वो राजा हैं रियासत के, नफ़ा नुकसान देखेंगे/ नियम क़ानून तो उनके बड़े दीवान देखेंगे
    18 Oct 2020
    आगरा के रहने वाले और भारतीय खाद्य निगम से उप महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए अशोक रावत हमारे दौर के एक ऐसे गंभीर और विश्वसनीय शायर हैं जिनका क़लम न केवल दौरे हाज़िर का बयान करता है, बल्कि एक ज़रूरी…
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