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अतिरिक्त वोट : यूपी-बिहार की 120 में से 119 सीटों के आंकड़ों में अंतर!

न्यूज़क्लिक ने 120 निर्वाचन क्षेत्रों में से प्रत्येक के पंजीकृत मतदाताओं की कुल संख्या के लिए दो राज्यों के पोल पैनल की वेबसाइट तथा गिने गए कुल मतों के लिए ईसीआई के आंकड़ों का विश्लेषण किया।
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प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो साभार: dnaindia

भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) के दर्ज किए गए आंकड़ों में उत्तर प्रदेश और बिहार की 120 लोकसभा सीटों के अधिकांश सीटों पर डाले गए वोटों की संख्या अधिक पाई गई। पोल पैनल की विफलता को लेकर यह काफी संदेह पैदा करता है। ये न्यूज़क्लिक द्वारा गहन और व्यापक जांच में सामने आया है। न्यूज़क्लिक ने इससे पहले यूपी और बिहार की कुछ सीटों पर असमान और अधिक वोटों के मुद्दे को प्रकाशित किया था जो ईसीआई की वेबसाइट पर दिया गया है।

ईसीआई, दो राज्यों के पोल पैनल वेबसाइट तथा ईसीआई वोटर टर्नआउट ऐप पर भरोसा करें तो यह पाया गया है कि बिहार में 40 संसदीय सीटों में से 34 सीटों में कुल मतों (पोस्टल बैलट सहित) के अलावा कई हजार वोट अतिरिक्त पाए गए। सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली सीट पटना साहिब है जहां बीजेपी के रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस के शत्रुघ्न सिन्हा को हराया।

न्यूज़क्लिक ने 120 निर्वाचन क्षेत्रों के प्रत्येक सीट के लिए गिने गए मतों को लेकर ईसीआई और पंजीकृत मतदाताओं की कुल संख्या के लिए दो राज्यों की पोल पैनल वेबसाइट की पड़ताल की। मतदान प्रतिशत वोटर टर्नआउट ऐप और राज्य की वेबसाइटों से लिया गया। पोस्टल बैलेट को विश्लेषण में शामिल नहीं किया गया था क्योंकि वे मतदान प्रतिशत को प्रभावित नहीं करते हैं और केवल मतगणना प्रक्रिया के दौरान ही शामिल किए जाते हैं। ये विश्लेषण हिंदी पट्टी के दो प्रमुख राज्यों में 120 सीटों के लिए किया गया। ये दो राज्य उन क्षेत्रों में से जिसने बीजेपी को 303 सीट दिलाने में मदद की।

बिहार के सभी क्षेत्रों में विसंगति

पटना साहिब के आंकड़ों की जांच में पता चला कि यहां 21,36,800 पंजीकृत मतदाता हैं। जबकि 19 मई को अंतिम चरण में हुए पटना साहिब में मतदान का प्रतिशत 43.1%है जिसका मतलब है कि 9,20,961 मतदान हुआ। लेकिन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की गिनती में कुल वोटों की संख्या 9,78,602 है। इस तरह 57,641 मत अधिक हुए। बीजेपी के रवि शंकर प्रसाद ने यहां 2,84,657 मतों के अंतर से जीत हासिल की।

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स्रोत: इलेक्टर्स, मतदान % - वोटर टर्न आउट ऐप, गिने गए मत

इसी प्रक्रिया को अपनाते हुए यह पाया गया है कि बिहार के कई अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में पड़े वोटों की तुलना में हजारों अतिरिक्त वोट पाए गए, जिनमें पूर्वी चंपारण (15,077, बीजेपी के राधमोहन सिंह जीते), पश्चिम चंपारण (15,368 बीजेपी के संजय जायसवाल ने जीत दर्ज की), शिवहर (14,424, बीजेपी की रमा देवी ने जीत हासिल की), वाल्मीकि नगर (13,803, जद (यू) के बैद्यनाथ प्रसाद महतो ने जीत दर्ज की), उजियारपुर (12,742, बीजेपी के नित्यानंद राय जीते), मुज़फ्फरपुर (10,335, बीजेपी के अजय निषाद जीत हासिल की), समस्तीपुर (13,300, एलजेपी के रामचंद्र पासवान ने जीत दर्ज किया), खगड़िया (11,126, एलजेपी के चौधरी महबूब अली कैसर ने जीता), अररिया (10,624, बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह ने जीत हासिल की) और सीवान (7,590, जद (यू) की कविता सिंह ने जीत दर्ज किया) शामिल हैं।

बिहार के अन्य 17 निर्वाचन क्षेत्रों में अतिरिक्त वोट 4,000 से (किशनगंज, 4,265, कांग्रेस के मोहम्मद जावेद जीते) 8,000 तक है जैसे कि झंझारपुर (8,847, जद (यू) के रामप्रीत मंडल ने जीत दर्ज की), औरंगाबाद (7,533, बीजेपी के सुशील कुमार सिंह ने जीता), वैशाली (7,256, लोक जनशक्ति पार्टी की वीणा देवी ने जीत हासिल की) और सीतामढ़ी (7,556, जद (यू) के सुनील कुमार पिंटू ने जीत दर्ज की)।

छह ऐसे निर्वाचन क्षेत्र- काराकाट (98,214), सासाराम (49,087), जहानाबाद (28,338),पाटलिपुत्र (19,410), बक्सर (16,804) और आरा (10,027) हैं जहां ऐसा लगता है कि हजारों की संख्या में वोट नहीं गिने गए। हालांकि बीजेपी ने इन छह सीटों में से चार पर जीत हासिल की वहीं जद (यू) ने दो सीटों पर कब्जा किया। जहानाबाद सीट पर चंदेश्वर प्रसाद ने केवल 1,751 मतों के अंतर से जीत दर्ज की जबकि काराकाट निर्वाचन क्षेत्र में इसी पार्टी के उम्मीदवार महाबली सिंह ने 84,542 मतों के अंतर से जीत हासिल किया।

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स्रोत: इलेक्टर्स, मतदान % - वोटर टर्न आउट ऐप, गिने गए वोट

दिलचस्प बात यह है कि जहानाबाद सीट के लिए तीन अलग-अलग दस्तावेज उपलब्ध हैं जिनमें मतदान प्रतिशत और पड़े कुल मतों की संख्या में अंतर है। जहानाबाद के राजद उम्मीदवार को दिए गए इस दस्तावेज़ में 51.77% मतदान दिखाया गया है जबकि बिहार के सीईओ की वेबसाइट पर अपलोड किए गए डेटा से पता चलता है कि वहां 54% मतदान हुए। वोटर टर्नआउट ऐप पर यह आंकड़ा 53.67% है। जबकि जहानाबाद के फॉर्म 20 में यह 52.02% दर्ज है। ऐसी विसंगतियां बिहार और मध्य प्रदेश की कई अन्य सीटों पर भी सामने आई।

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स्रोत: सीईओ बिहार

पिछले सप्ताह न्यूज़क्लिक ने इन विसंगतियों पर टिप्पणी के लिए ईसीआई से बार-बार संपर्क करने का प्रयास किया तो पोल पैनल की प्रवक्ता शेफाली सरन ने शहर से बाहर होने का हवाला देते हुए कोई भी कॉल या मैसेज का जवाब देने से इंकार कर दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और दो चुनाव आयुक्तों अशोक लवासा और सुशील चंद्रा को भी ईमेल के जरिए सवाल पूछा गया लेकिन उन्होंने भी जवाब नहीं दिया।

उत्तर प्रदेश में भारी अंतर

उत्तर प्रदेश में जहां बीजेपी ने 80 में से 60 सीटों पर जीत हासिल की है वहां 50 सीटों पर अधिक वोट के होने का मामला सामने आया है। सबसे ज़्यादा चौंकाने वाला मामला लखनऊ का है जहां बीजेपी ने 3,47,302 के अंतर से जीत दर्ज किया है। हालांकि लखनऊ में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 20,38,725 है। राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर मतदान प्रतिशत 53.53% दर्ज है जिससे पड़े मतों की संख्या 10,91,329 हुई। लेकिन ईवीएम के वोटों की गिनती एक अलग ही तस्वीर पेश करती है जिसमें 15,771 वोट अधिक थे।

दो अन्य लोकसभा क्षेत्र हैं जहां 6,000 से 9,000 तक अधिक वोट हैं। मथुरा में 17,99,321 पंजीकृत मतदाता हैं जहां दूसरे चरण (18 अप्रैल) के दौरान 60.48% (10,88,229) मतदान हुए। हालांकि गिने गए कुल ईवीएम मतों की संख्या 10,98,112 है। इस निर्वाचन क्षेत्र में जहां बीजेपी की हेमा मालिनी ने 2,93,471 के अंतर से जीत दर्ज की वहां पाया गया कि 9,883 अतिरिक्त वोट पड़े।

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स्रोत: इलेक्टर्समतदान %गिने गए वोट

बागपत में अतिरिक्त वोट 6,167 और बदायूं में 7,395 थे। केवल फतेहपुर सीकरी को ही यूपी का एकमात्र निर्वाचन क्षेत्र होने का गौरव प्राप्त है जहां सभी आंकड़े समान हैं। यहां न तो अधिक वोट डाले गए,और न ही मतपत्रों की गणना में कोई विसंगति है।

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स्रोत: इलेक्टर्समतदान %गिने गए वोट

 

मछलीशहर निर्वाचन क्षेत्र के डेटा विश्लेषण के परिणाम और भी दिलचस्प हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत मतदाता 18,45,484 हैं (2014 में इसमें 18,91,969 पंजीकृत मतदाता थे) जिनमें 55.7% मतदाताओं ने 12 मई को छठे चरण में हुए मतदान में अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इस सीट पर डाले गए वोटों की संख्या 10,27,935 है लेकिन गिने गए कुल मतों की संख्या 10,32,111 है जिसमें 4,176 अधिक है और बीजेपी ने मछलीशहर सीट 181 वोटों के सबसे कम अंतर से जीत ली।

शुक्रवार 31 मई को नोएडा स्थित एक डिजिटल समाचार पोर्टल ने प्रकाशित किया कि ईसीआई ने बिना किसी कारण बताए वेबसाइट से एक से चार चरण तक के चुनाव परिणामों को हटा दिया था। हालांकि, न्यूज़क्लिक के पास सभी आंकड़ों का स्क्रीनशॉट है जो इसे अपनी पड़ताल के दौरान प्राप्त किया है।

कुछ सीटों को छोड़कर दोनों राज्यों की 120 सीटों के विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि अतिरिक्त वोटों से विजेताओं की किस्मत पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता। लेकिन जो बात चौंकाने वाली है वह यह कि ये अंतर यूपी और बिहार की अधिकांश सीटों पर दिखाई देते हैं। इस पर ईसीआई से पूछे गए सवालों का कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया। जबकि गैर-एनडीए विपक्षी दलों ने इन अतिरिक्त वोटों पर सार्वजनिक तौर पर कोई कदम नहीं उठाया है। प्रमुख दलों के कुछ नेताओं व्यक्तिगत तौर पर न्यूज़क्लिक से बात करते हुए आश्चर्य व्यक्त किया है।

हालांकि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने उत्तर भारत के कई लोक सभा निर्वाचन क्षेत्रों में अधिक वोट दर्ज किए जाने के बाद 27 मई को न्यूज़क्लिक से बात करते हुए एक उपाय सुझाया कि "उन्हें (राजनीतिक दलों को) अदालत जाना चाहिए।" कुरैशी और अन्य दो पूर्व सीईसी, एचएस ब्रह्मा और एन गोपालस्वामी ने कहा था कि ईसीआई जवाब देने के लिए उत्तरदायी है।

चुनाव आयोग ने कहा कोई अतिरिक्त मतदाता नहीं है

लोकसभा चुनावों के दौरान निर्वाचन क्षेत्रों में विसंगतियों, अंतर और अतिरिक्त मतदाताओं पर कई रिपोर्टों के जवाब में भारतीय चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि ईसीआई की वेबसाइट पर मतदाता के आंकड़े केवल अस्थायी संख्या हैं। आगे उन्होंने कहा कि "अतिरिक्त मतदाताओं को तलाशने के लिए यह गलत तर्क था जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है।"

शनिवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में चुनाव आयोग ने कहा कि पहले सभी रिटर्निंग अधिकारियों से प्रमाणिक मतदान आंकड़ों का मिलान करने में महीनों लगते थे। "इस बार आयोग द्वारा की गई अभिनव आईटी पहलों के कारण मतों की गणना का अंतिम डेटा परिणामों की घोषणा के कुछ दिनों के भीतर उपलब्ध कराया गया है।"

इसमें कहा गया है कि "सभी राज्यों के सभी संसदीय क्षेत्र के लिए मतदाताओं के डेटा का मिलान पूरा हो चुका है और सभी 542 संसदीय क्षेत्र के इंडेक्स फॉर्म जल्द ही रिटर्निंग अधिकारियों से ईसीआई तक पहुंचने की उम्मीद है जो संकलन के बाद तुरंत चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक किया जाएगा।"

पूरा बयान यहां पढ़ें।

पीयूष शर्मा / काशिफ काकवी द्वारा आंकड़ों की पड़ताल की गई।

विश्लेषण किए गए सभी निर्वाचन क्षेत्रों का आंकड़ा यहां देखा जा सकता है:

स्क्रिब्ड पर न्यूज़क्लिक द्वारा यूपी का विश्लेषण

स्क्रिब्ड पर न्यूज़क्लिक द्वारा बिहार का विश्लेषण

 

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