बैलाडीला के डिपाजिट 13 में पेड़ों की कटाई की जांच करेगी तीन सदस्यीय समिति
छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला पहाड़ी क्षेत्र में डिपाजिट 13 में पेड़ों की कटाई की तीन सदस्यीय समिति जांच करेगी। यहां खुदाई और खदान के विकास का ठेका पिछले साल अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को दिया गया था। आदिवासियों के मुताबिक पहाड़ में उनके इष्ट देवता की पत्नी विराजमान है।
राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बुधवार को रायपुर में बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) के डिपाजिट नंबर 13 में पेड़ों की कटाई की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया है।
अधिकारियों ने बताया कि अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक जांच समिति के अध्यक्ष होंगे तथा मुख्य वन संरक्षक जगदलपुर वृत्त और वन मंडलाधिकारी दंतेवाड़ा इसके सदस्य होंगे।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी द्वारा जारी आदेश के अनुसार गठित समिति दंतेवाड़ा वन मंडल में डिपाजिट नंबर 13 से संबंधित वन कक्षों में कटाई का निरीक्षण करेगी और जांच कर प्रधान मुख्य वन संरक्षक को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि इस क्षेत्र में कोई कटाई न हो।
(बैलाडीला का पहाड़)
राज्य के दंतेवाड़ा जिले में बैलाडीला क्षेत्र की पहाड़ी में स्थित डिपोजिट नंबर 13 पर खनन के विरोध में इस महीने की छह तारीख की रात से क्षेत्र के आदिवासी धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। आदिवासियों का कहना है कि राष्ट्रीय खनिज विकास निगम ने डिपाजिट 13 को अडानी समूह को सौंप दिया है, और इस पहाड़ी में उनके इष्ट देवता प्राकृतिक गुरु नन्दराज की धर्म पत्नी पिटोरमेटा देवी विराजमान है।
आदिवासियों के आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने बैलाडीला क्षेत्र के डिपाजिट नंबर 13 में खनन गतिविधियों पर रोक लगा दी है।
मंगलवार को बस्तर लोकसभा क्षेत्र के सांसद दीपक बैज और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम के नेतृत्व में बस्तर से आए प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की थी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि क्षेत्र में अवैध रूप से वनों की कटाई की शिकायत की जांच की जाएगी तथा नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
बैलाडीला के डिपाजिट नंबर 13 में 10 एमटीपीए क्षमता का लौह अयस्क का भंडार है। इसे एनएमडीसी-सीएमडीसी (छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम) लिमिटेड या एनसीएल के नाम से संयुक्त उद्यम कंपनी के तहत विकसित किया जा रहा है। एनसीएल के अधिकारियों के मुताबिक खुदाई और खदान के विकास का ठेका पिछले साल अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को दिया गया था।
आदिवासियों का कहना है कि छलपूर्वक फ़र्जी ग्रामसभा से अनुमोदन करवा लिया गया है, ताकि खदान निजी हाथों में सौंपी जा सके। तमाम दलों और संगठनों ने आदिवासियों के विरोध और आंदोलन का समर्थन किया है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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