बांधों के कुप्रबंधन से बाढ़ के हालात बिगड़े : गाडगिल

मुंबई : पर्यावरणविद माधव गाडगिल का कहना है कि पश्चिम महाराष्ट्र के कोल्हापुर और सांगली जिलों में पिछले हफ्ते आई भयावह बाढ़ का कारण अहम बांधों का कुप्रबंधन है।
पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल का नेतृत्व कर रहे गाडगिल ने पत्रकारों से कहा कि महाराष्ट्र जल संसाधन विभाग कोयना, वरना और राधानगरी बांध में जल संचय प्रबंधन करने में नाकाम रहा। इसलिए कोल्हापुर और सांगली को बाढ़ का सामना करना पड़ा।
उन्होंने गैर लाभकारी समूह ‘साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपुल’ (एसएएनडीआरपी) की राय का समर्थन किया जिसके मुताबिक महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकार के अधिकारियों ने जलाशयों का सही तरीके से प्रबंधन नहीं किया।
गाडगिल ने मंगलवार को कहा कि कोयना, वरना और राधानगरी और यहां तक की कर्नाटक स्थित अलमाटी बांध से रक्षात्मक उपाय के तहत पानी छोड़ा जाना चाहिए था।
एसएएनडीआरपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कृष्णा नदी पर बने अलमाटी बांध की कोल्हापुर और सांगली में आई बाढ़ में अहम भूमिका थी।
रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई के अंत में 99.5 फीसदी जलाशय भर चुका था, जबकि मानसून के दो महीने बाकी थे। जलाशय की क्षमता 119.26 टीएमसी है, जबकि 3,045 फुट प्रति सेकेंड (क्यूसेक) की दर से पानी छोड़ा गया। रिपोर्ट में कहा गया कि यह जलाशय प्रबंधन के लिए निर्धारित नियमों का घोर उल्लंघन है।
आपको बता दें कि इस बार पश्चिमी महाराष्ट्र के पांच जिले बाढ़ से बहुत ज़्यादा प्रभावित रहे। बाढ़ की वजह से अब तक 40 से ज़्यादा लोगों की मौत की भी ख़बर है। यहां बाढ़ के मद्देनजर चार लाख से अधिक लोगों को अपने घर-बार छोड़ने कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा। इनमें सांगली और कोल्हापुर जिले बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं।
इसके अलावा भी देश के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में हैं। वहां भी विकास के मॉडल को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।