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बापू के नाम उनकी 150वीं जयंती पर पत्र

" 'तिरछी नज़र' व्यंग्य स्तंभ " बापू, तुम्हारे जन्मदिन पर लोग तुमको याद करने के साथ साथ यह भी कहेंगे कि देश को इस समय बापू की बहुत ही ज़रूरत है। बापू बापू कह कर तुम्हें बरगलाएंगे। पर बापू तुम मत आना…
gandhi ji
फोटो साभार : बीबीसी

बापू,
तुम आज ज़िंदा होते तो इसी सप्ताह दो अक्टूबर को अपने जीवन के एक सौ पचासवें साल में प्रवेश कर रहे होते। वैसे तो अब तक ज़िंदा कैसे रहते। आपको तो एक आदमी, जिसे लोग पहले सिरफिरा कहते थे, पर अब नई रोशनी आने पर देशभक्त कहने लगे हैं, ने उन्नीस सौ अड़तालीस (1948) में ही गोली मार दी थी।

वह आदमी, नाथूराम गोडसे तुमसे बहुत ही अधिक प्यार करता था। उसे पता था कि तुम निकट भविष्य में पाकिस्तान जाने वाले हो। वहां कोई तुम को मार दे और तुम्हारी समाधि पाकिस्तान में बने, यह वह गवारा नहीं कर सकता था। इसलिए उसने तुमको यहीं, हिन्दुस्तान में ही मार डाला जिससे गांधी-समाधि यहीं बन सके।

इस दो अक्टूबर को भी, हर बार की तरह, बापू तुमको याद किया जायेगा। तुम्हारी समाधि पर फूल मालायें चढ़ाई जायेंगी। एक और नई बात शुरू हुई है। कहीं कुछ मोदी जी के चमचे, बापू, केक काट काट कर तुम्हारी फ़ोटो के मूंह में ठूसेंगे, ठीक वैसे ही जैसे कि वे ट्रम्प की फ़ोटो के साथ ट्रम्प के जन्मदिन पर करते हैं।

वैसे बापू, कुछ लोग तुम्हारा जन्मदिन कुछ अलग तरीक़े से भी मना सकते हैं। वे लोग सारे तामझाम के साथ, टेलीविज़न चैनलों के क्रू के साथ, आपका जन्मदिन बहुत ही शांति के साथ साबरमती आश्रम में मना सकते हैं। और सब लोग बापू, तुम्हारी नहीं, उनकी प्रसंशा करेंगे। कि देखो कितना बड़ा गांधी भक्त है और कितनी शांति के साथ गांधी जयंती मनाई।

पर बापू, लोग तुमको याद करने के साथ साथ यह भी कहेंगे कि देश को इस समय बापू की बहुत ही ज़रूरत है। देश दुनिया के हालात बहुत ही ख़राब हैं। सिर्फ़ बापू ही हमें इस हालत में संभाल सकते हैं। हे बापू, तुम दोबारा आ जाओ। बापू बापू कह कर तुम्हें बरगलाएंगे। पर बापू तुम मत आना। और आना भी तो सोच समझ कर आना।

बापू, तुम अगर उनके बहकावे में आ भी जाओ और आने का सोच भी लो तो पिछली बार की तरह हिन्दू घर में ही जन्म लेना और वह भी गुजरात में। अगर हिन्दू न बन मुसलमान के रूप में जन्म लिया तो बात बात पर पाकिस्तान चले जाने की धमकी मिलेगी। और अगर गुजरात में नहीं जन्मे तो हो सकता है कि वह महानता न पा सको जो पिछली बार मिली थी।

बापू, गांधी जी आज भी इसीलिए महान हैं क्योंकि गुजरात में जन्मे थे। कहीं और पैदा होते तो नेहरू की तरह अब तक ग़लतियों का पिटारा बन चुके होते। सरदार (वल्लभ भाई पटेल) भी तो इसीलिए महान हैं क्योंकि गुजरात में जन्मे थे।

ख़ैर, बापू तुम जन्म लेकर करोगे क्या। आपको तो बार-बार अनशन पर जाने की, भूख हड़ताल करने की आदत है। वो तो अंंग्रेज़ थे, तुम्हारी भूख हड़ताल से, अनशन से डर जाते थे। पर अब तो हमारी अपनी सरकार है। हमारे द्वारा चुनी गई सरकार। यह किसी की भी भूख हड़ताल से नहीं डरती। वैसे भी तुम भूख हड़ताल समाप्त करोगे कैसे!

अख़लाक़ के लिए की गई भूख हड़ताल समाप्त होने से पहले ही पहलू के लिये शुरू करनी पड़ेगी। कठुआ की बच्ची को न्याय दिलाने चलोगे तो उधर उन्नाव की घटना घट जाएगी। राजसमन्द के अफ़राज़ुल की हत्या पर तुम्हारा प्रायश्चित समाप्त होगा नहीं कि झारखंड में तबरेज़ को मार दिया जाएगा। बापू, इसीलिए तुम मत आना, दोबारा मत आना।

और बापू, तुमको तो पता ही होगा कि देश में उसी सोच का शासन है जिस सोच ने तुम्हारी हत्या की थी। बापू, मैं जानता हूँ कि अगर तुम आने की ठान ही लो, तो यह क्या कोई भी आप को आने से रोक नहीं सकती। आप किसी के भी समझाने से रुकेंगे नहीं। बापू, फिर भी तुम, लोगों की पुकार सुन, देश के हालात देख आने की सोच ही लो तो अपने आने की ख़बर किसी को मत होने देना।

तुमको उस राजा की कहानी तो पता ही होगी जिसने भगवान का जन्म होने की बात सुन सभी नवजात शिशुओं को मरवा दिया था। तुम तो (भगवान कृष्ण की तरह) उनके चंगुल से बच ही जाओगे बापू। पर उन बच्चों का क्या क़सूर बापू, जो तुम्हारे आने की ख़बर भर से राजा द्वारा मरवा दिये जायेंगे। तो बापू, उन नवजात शिशुओं की ही सोच कर मत आना।

छपते-छपते : बापू, अब तो तुम्हें आने की बिलकुल भी ज़रूरत नहीं है। अब मोदीजी भारत के राष्ट्रपिता बन गए हैं! और ये मेरा नहीं, उनके 'बड़े भाई' ट्रम्प का कहना है।

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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