NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
बेरोज़गारी का पहाड़ और मंत्री जी की मदहोशी
अरुण जेटली का यह ट्वीट पढ़कर मुझे उस नौजवान का ख्याल आया जिसने पिछले साल बेरोजगरी के किसी विरोध में भाग लिया होगा और पुलिस की लाठी का शिकार बना होगा।
अजय कुमार
04 Feb 2019
फाइल फोटो

''इस समय यह आरोप लगाया जा रहा है कि देश में रोजगार निर्माण नहीं हो रहा है। अगर यह बात तार्किक होती तो देश में घनघोर अशांति दिखती। बिना किसी बड़े जनआंदोलन के देश के पांच साल गुजर गए।'' 

यह हमारे वित्त मंत्री अरुण जेटली का सात समुद्र पार से किया हुआ ट्वीट है। जिस ट्वीट से मंत्री जी दबी जुबान में  यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि अभी हाल में नेशनल सैंपल सर्वे के बेरोजगरी के उजागर हुए आकड़ें गलत है। क्योंकि अगर सच यह होता कि देश में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी है तो अब तक लोग सड़कों पर उतर आये होते और जगह-जगह दंगे भड़क गए होते। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। यहां तक देश में बेरोजगारी को लेकर बड़ा जनांदोलन तक नहीं हुआ। इसका मतलब यह है कि यह आंकड़ें सही तस्वीर नहीं बता रहे हैं।

अरुण जेटली का यह ट्वीट पढ़कर मुझे उस नौजवान का ख्याल आया जिसने पिछले साल बेरोजगरी के किसी विरोध में भाग लिया होगा और पुलिस की लाठी का शिकार बना होगा।

हमारी भारतीय परंपरा में किसी बीमार इंसान के लिए न बुरा बोलने और न बुरा सोचने की सीख दी जाती है। लेकिन अरुण जेटली की राजनीति का तरीका इतना बेढंगा है कि दुःख होता है।  

 सबसे पहले तो अरूण जेटली के इस बात का जवाब दे दिया जाए कि पिछले साल बेरोजगारी को लेकर कोई आंदोलन नहीं हुआ। हो सकता है इस सवाल का जवाब जेटली को नहीं पता हो। क्योंकि वह उन नेताओं में से हैं जिनकी राजनीति बिना जनता के बीच जाए हो जाती है।  इसलिए अरुण जेटली इस असलियत से  बिलकुल अनजान हों कि पिछले चार सालों में किसान से लेकर नौजवान तक, आर्मी से लेकर बैंकर तक, वकील से लेकर डॉक्टर तक के आंदोलन देश भर में हुए हैं। अभी पिछले साल एसएससी परीक्षा को लेकर पूरे देश से आकर दिल्ली में नौजवानों ने सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले लोग आये दिन  किसी ना किसी हिस्से में अपना गुस्सा जाहिर करते हैं। नौकरी की तलाश में कम्पटीशन परीक्षाओं में होने वाली धांधलियो से सभी वाकिफ हैं। इन धांधलियों के खिलाफ सरकार के प्रति अपनी नाराजगी करते हुए कई नौजवानों ने अपने शरीर पर पुलिस की लाठियां खाई हैं। सालों-साल नौजवान सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा दिखाते रहते हैं लेकिन मंत्री जी का कहना है कि भारत में इस बात को लेकर कोई सामजिक अशांति नहीं दिखी है। 

 मोदी दौर में केवल सरकारी वैकेंसियों की बात करें तो तकरीबन 60 लाख पद पूरी तरह से खाली हैं। जिसे सरकार केवल एक विज्ञापन निकालकर भर  सकती है। जो इस तरह से है : 

 BEROJGAARI.png

 

 कुछ और बातें जो मंत्री जी के ट्वीट को सिरे से खारिज करती हैं उसमें सबसे पहली बात यह है कि सरकारी नौकरी के लिए निकलने वाले विज्ञापन पर आवेदन किये जाने वाले नौजवानों की संख्या। इसे सब जानते हैं कि सरकारी नौकरी की एक वैकेंसी निकलती है और उसे भरने वालों की संख्या लाखों में होती है। इस भयावहता को कुछ उदाहरणों से समझने की कोशिश करते हैं –

पिछले साल 2018 में मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िला न्यायालय में चौथी श्रेणी की नौकरी के लिए भर्ती निकली। मात्र 22 पदों के लिए 5300 बेरोज़गारों ने आवेदन किया था। 28 जनवरी, 2018 को इंटरव्यू होना था, बाहर इतनी भीड़ आ गई कि पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा। पुलिस को इस भीड़ को संभालने के लिए डंडे निकालने पड़े। 200 से अधिक पुलिसकर्मी लगाने पड़े। सरकारी नौकरी की चाह में इंजीनियर तक चपरासी पद के लिए इंटरव्यू देने आए। मुरैना, अंबाह, संभलगढ़ जौरा की अदालत में पानी पिलाने वाले भृत्य, चौकीदार और ड्राइवर के22 पदों के लिए 5500 बेरोज़गारों की स्क्रीनिंग की गई। इस पद के लिए वेतन मात्र 12000 है।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ज़िला कोर्ट में चालक, चपरासी, माली, स्वीपर की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था।31 दिसंबर, 2018 तक फार्म जमा करने की अंतिम तारीख थी। 738 पदों के लिए 2 लाख 81 हज़ार युवकों ने अप्लाई कर दिया। सबसे अधिक फॉर्म ग्वालियर के युवकों ने भरे। ग्वालियर में 16 पदों के लिए 70 हज़ार फार्म भरे गए।  इनमें 80 फीसदी उम्मीदवार 12वीं पास हैं, ग्रेजुएट हैं और एमए पास हैं। यहां पर इंटरव्यू के लिए 12पैनल बने थे। इसमें हर दिन 2400 उम्मीदवारों का इंटरव्यू लेने का लक्ष्य था। 18 फरवरी तक इंटरव्यू चले।

बेरोजगारी से रोजगार में जाने के लिए ऐसी  जद्दोजहद है। इतनी कठिन लड़ाई है और मंत्री जी को युवाओं के बीच मौजूद इतनी बड़ी बेचैनी में कोई समाजिक अशांति नहीं दिखती। ऐसा  कहने का साहस उसे नेता को हो सकता है जिसे यह पता है कि जनता के बीच जाये बिना भी उसे संसद की सीट मिल जाएगी।

मंत्री जी के ट्वीट को इस बात से भी खारिज किया जा सकता है कि पिछले दस दिनों के भीतर तीन बड़े चुनावी सर्वेक्षण हुए हैं और तीनों का यह निष्कर्ष निकला है कि जनता सबसे बड़ी परेशानी बेरोजागारी को मानती है।  यानी भले ही मंत्री जी बेरोजगरी के संकट को मानें या न मानें, भले ही बेरोजगारी से जुड़ा कोई आंकड़ा  जारी हो ना हो लेकिन जनता को पता है कि वह सबसे अधिक बेरोजगारी से परेशान है।  

अब बात करते है NSSO के दबाए जाने वाले आंकड़ों के उजागर होने की स्थिति की। पूरे देश में सही तरह से योजनाएं बनाने के लिए और सही लाभार्थिओं  तक योजनाओं का लाभ पहुँचाने के लिए सांख्यिकी मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस काम करता है। सरकार इस कार्यालय द्वारा बनाये गए साल 2017-18 के बेरोजगारी के आंकड़ें को दबा रही थी। इस साल पिछले 45 साल में बेरोज़गारी की दर सबसे अधिक रही है। यानी जब से NSSO बेरोजगारी के आंकड़े जारी कर रहा है तब से बेरोजगारी की दर अब तक सबसे अधिक है।  दिसंबर 2018 के पहले हफ्ते में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) ने सर्वे को मंज़ूर कर सरकार के पास भेज दिया लेकिन सरकार उसे दबाकर बैठ गई। यही आरोप लगाते हुए आयोग के प्रभारी प्रमुख मोहनन और एक सदस्य जे वी मीमांसा ने इस्तीफ़ा दे दिया था।   बिज़नेस स्टैंडर्ड के सोमेश झा ने इस रिपोर्ट की बातें सामने ला दी है। अब सोचिए अगर सरकार खुद यह रिपोर्ट जारी करे कि 2017-18 में बेरोज़गारी की दर 6.1 हो गई थी जो 45 साल में सबसे अधिक है तो सरे बाजार उसकी कारगुजारियों की फजीहत हो जाए।  कहने का मतलब है कि कुल 40  करोड़ काम करने वाले लोगों  में तकरीबन ढाई करोड़ लोग ऐसे हैं जिनके पास किसी भी तरह का काम नहीं है।  यहां यह समझ लेना जरूरी है कि यह उनकी संख्या है जिनके पास किसी भी तरह का काम नहीं है, इसमें वैसी जनता नहीं शामिल है, जिसके पास डॉक्टर-इंजीनियर की डिग्री है लेकिन काम चपरासी का करना पड़ रहा है। अगर इन्हें भी मिला देंगे तो यह संख्या बहुत अधिक हो सकती है।  मंत्री जी तो इस पर केवल यह कह रहे है कि आंकड़ें गलत है, अगर सही होते तो दंगा होता।  और मंत्री जी प्रवक्ता यह कह रहे हैं कि आंकड़ें इकट्ठा करने का तरीका गलत है।  NSSO को नौकरी डॉट कॉम ,लिंक्डइन जैसे तरीकों से आंकड़ें इकठ्ठा करना चाहिए। आखिरकार यह कैसे हो सकता है कि आर्थिक बढ़ोतरी भी हो और रोजगार न पैदा हो।  इसका जवाब सीधा है कि पूरी दुनिया जॉबलेस ग्रोथ  जैसे परिघटना से परेशान है। UPA के पहले दौर के शासन में भी यह हुआ था इकॉनमी में बढ़ोतरी हो रही  थी और बेरोजगारी की समस्या बनी हुई थी। यानी यह कोई तर्क नहीं है कि अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी के साथ रोजगार भी मिलेगा।  दूसरी बात यह कि NSSO के आंकड़ें इकट्ठा करने का तरीका गलत है।  भाजपा को समझना चाहिए कि किसी भी सर्वे का गोल्ड स्टैण्डर्ड यह होता है कि प्रभावित इंसान से सवाल किया जाए।  NSSO के सर्वे हाउसहोल्ड सर्वे होता है।  यानी परिवार के सदस्य से पूछा जाता है कि आपके पास रोजगार है या नहीं।  इस आधार पर यह बात साफ है कि मंत्री जी भले ना जानें लेकिन भारत की जनता स्थिति यह बता रही है कि  भारत में पिछले 45 साल में सबसे  अधिक बेरोजगारी है।  और मंत्री जी का ट्वीट भारत के नौजवान को आमंत्रित कर रहा है कि वह अपना गुस्सा दिखाने के लिए सड़कों पर उतर आएं।   

वैसे मंत्री जी की जानकारी के लिए बता दिया जाए कि आने वाली 7 फरवरी को देशभर के युवा ‘यंग इंडिया’के बैनर तले अपनी मांगों को लेकर दिल्ली आ रहे हैं। इनकी मांगों में सस्ती अच्छी शिक्षा और सम्मानजनकर रोज़गार ही मुख्य है। ये युवा लाल किले से संसद मार्ग तक अधिकार मार्च करेंगे।

तस्वीर...

adhikaar.jpg

इसके अलावा 18 और 19 फरवरी को भी इन सब मांगों को लेकर छात्र, शिक्षक भी सड़क पर उतर रहे हैं। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Arun Jatley
tweet
UNEMPLOYMENT IN INDIA
ssc protest
nsso data
BJP
Jobless growth

Trending

एमपी भवन पर महिलाओं का प्रदर्शन, कहा सुरक्षा के नाम पर निग़रानी मंज़ूर नहीं
कांट्रैक्ट फार्मिंग सिर्फ किसान विरोधी नहीं, देश विरोधी भी
किसान सरकार बातचीत नाकाम, राहुल उतरे मैदान में
किसानों ने लोहड़ी की आग में जलाए कृषि क़ानून
किसान आंदोलन का 51 वां दिन :कृषि क़ानूनों पर उच्चतम न्यायालय की कमेटी से अलग हुए मान
अंतरधार्मिक विवाह को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले के बाद हालात बदलेंगे?

Related Stories

सौरोदिप्तो सान्याल, परंजॉय गुहा ठाकुरता
टीएमसी के कई पदाधिकारी आगे भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं
15 January 2021
गुरुग्राम: हाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता और नंदीग्राम से विधायक रहे सुवेंदु अधिकारी गृहमंत्री अमित श
टिकेंदर सिंह पंवार
मोदी के सेंट्रल विस्टा में अन्याय की गहरी छाप
15 January 2021
6 जनवरी को वाशिंगटन की कैपिटल बिल
cartoon click
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
किसान आंदोलन का 51 वां दिन :कृषि क़ानूनों पर उच्चतम न्यायालय की कमेटी से अलग हुए मान
14 January 2021
दिल्ली: न्यूनतम तापमान गिरकर दो डिग्री सेल्सियस हो गया है जिससे ‘‘भीषण’’ शीत लहर चल रही है तथा राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार सुबह ‘‘घना’’ कोहरा

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • किसानों-सरकार के बीच वार्ता फिर नाकाम, दिल्ली नगर निगम कर्मचारियों की हड़ताल और अन्य खबरें
    न्यूज़क्लिक टीम
    किसानों-सरकार के बीच वार्ता फिर नाकाम, दिल्ली नगर निगम कर्मचारियों की हड़ताल और अन्य खबरें
    15 Jan 2021
    आज के डेली राउंड अप में हम बात करेंगे सरकार -किसान संगठनों के बीच हुई बातचीत पर. इसके साथ ही बात होगी दिल्ली नगर निगम कर्मचारियों की हड़ताल पर.
  • /Demonstration-of-women-at-MP-Bhavan-said-that-surveillance-in-the-name-of-security-is-not-acceptable
    मुकुंद झा
    एमपी भवन पर महिलाओं का प्रदर्शन, कहा सुरक्षा के नाम पर निग़रानी मंज़ूर नहीं
    15 Jan 2021
    दिल्ली स्थित मध्य प्रदेश भवन पर महिलाओं और छात्रों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने भी पुख़्ता तैयारी की थी जिससे कोई भी प्रदर्शनकारी एमपी भवन तक न पहुंच सके। लेकिन जब इन सब के बाद भी…
  •  Contract-Farming-is-not-only-anti-farmer-but-also-anti-country
    न्यूज़क्लिक टीम
    कांट्रैक्ट फार्मिंग सिर्फ किसान विरोधी नहीं, देश विरोधी भी
    15 Jan 2021
    कांट्रैक्ट फ़ार्मिंग से छोटे किसानों को नुकसान होता है, और धीरे धीरे वो अपने ज़मीन से बेदखल हो जाते हैं। कांट्रैक्ट फ़ार्मिंग में जुड़ी कंपनियाँ अपना मुनाफा देखती है, किसान की भलाई नहीं। कांट्रैक्ट…
  • किसान सरकार बातचीत नाकाम, राहुल उतरे मैदान में
    न्यूज़क्लिक टीम
    किसान सरकार बातचीत नाकाम, राहुल उतरे मैदान में
    15 Jan 2021
    बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे ' के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार आज की किसान और सरकार के बीच हुई वार्ता की प्रमुख बातें पेश कर रहे हैं। साथ ही साथ वो ये भी बता रहे हैं कि किस तरह सरकार कॉर्पोरेट की…
  • ED
    भाषा
    सीबीआई ने चिटफंड घोटाले में रोज वैली समूह के प्रमुख की पत्नी को किया गिरफ़्तार
    15 Jan 2021
    सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारियों ने पोंजी घोटाले में कथित भूमिका को लेकर शुभ्रा को गिरफ्तार किया। वह इस मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा वांछित थी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें