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भारत के कॉर्पोरेट दिग्गज जनता का पैसा लूटकर फ़रार, जबकि चीन रखता है पैनी नज़र निजी कंपनियों पर

निजी कंपनियों को अनुशासित करने की चीनी सरकार की इच्छाशक्ति भारत की स्थिति के बिलकुल विपरीत है।
China

चीनी सरकार ने अनाबंग इंश्योरेंस ग्रुप कंपनी पर नियंत्रण कर लिया है और कथित धोखाधड़ी के लिए वू ज़ियाओहुई पर मुकदमा चलाने की तैयारी कर ली है, इससे चीन सरकार द्वारा निजी संगठनों द्वारा असाधारण, ऋण-वित्तपोषित विदेशी अधिग्रहण पर दबाव में गति बढ़ा दी गयी है।

ग्रुप के चेयरमैन वू को शांघाई में फर्स्ट इंटरमीडिएट पीपल्स कोर्ट द्वारा फर्ज़ी फंड-जुटाने और अनुचित रूप से कंपनी की संपत्तियों को लेने के लिए दोषी ठहराया गया है।

पिछले साल के पहले, चीनी नियामकों ने बैंकों से कहा था कि वे एक अन्य समूह को जिसे विदेशी अधिग्रहण के लिए धन मुहैया कराया जाता था पर रोक लगा दें - डालियान वांडा समूह - जो अपतटीय खरीदारी में लगी हुई थी।

अनबंग जब सुर्ख़ियों में आया जब उसने न्यूयॉर्क में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के होटल वाल्डोर्फ एस्टोरिया हॉस्टल और मेनहट्टन लैंडमार्क को 2014 में हिल्टन से 2 बिलियन डॉलर में खरीद लिया जोकि विलासिता का प्रतिक है। 2016 में अंबाँग ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के रणनीतिक होटल एंड रिजॉर्ट्स को 6.5 अरब डॉलर में निजी इक्विटी ग्रुप ब्लैकस्टोन से खरीदने का सौदा किया।

पिछले साल, चीन ने विदेशी कंपनियों के विदेशी अधिग्रहण के लिए - अनबांग, डालियान वांडा, फ़ोसुन और एचएनए को वित्तपोषण के लिए आक्रामक रूप से उधार लेने के लिए देश में स्थित चार बड़े निजी संगठनों की पहचान की।

इन कंपनियों द्वारा विदेशी संपत्ति खरीदने के लिए खर्च में ज्यादा बढ़ोतरी करने से इनकी तरफ ध्यान आकर्षित हुआ था। अंबांग की लक्जरी होटल सौदों के अलावा, इसमें डालियन वांडा द्वारा हॉलीवुड स्टूडियो लीजेंडरी एंटरटेनमेंट को 3.5 अरब डॉलर में अधिग्रहण करना, और एचएनए द्वारा 40 अरब डॉलर से अधिक की खरीददारी के साथ-साथ ड्यूश बैंक और हिल्टन में बड़े हिस्सेदारी खरीदना शामिल है जिससे वे विदेशों में बड़ी सुर्खियां में आ गये।

इन अधिग्रहणों को करने के लिए निजी कंपनियों के समूह ने चीनी बैंकों से बहुत अधिक उधार लिया था।

चीनी कंपनियों के हस्तक्षेप ने इन संगठनों द्वारा विदेशों में खर्च करने के लिए 2017 में ब्रेक लगाया था। यह चिंताओं से प्रेरित था कि "कंपनियां विदेशी संपत्ति के लिए बहुत अधिक भुगतान कर रही थीं और चीन के विदेशी मुद्रा भंडार पर इसका असर पड़ रहा था और वह भी एक जोखिम भरे वित्तपोषण पर निर्भर सौदे पर, "फाइनेंसियल टाइम्स ने रिपोर्ट किया। विदेशी अधिग्रहण के लिए उधार लेने वाले धन का इस्तेमाल करने के मॉडल को देश के लिए लाभकारी नहीं देखा गया - अगर चीजें गलत हो जाती हैं तो सरकारी बैंकों को जोखिम उठाना पड़ता है, रिपोर्ट में कहा गया है।

वास्तव में, एचएनए समूह की इकाइयां ने 2017-18 में कई चीनी बैंकों के भुगतान को चुकाने एमिन कोताही बरती, जिसके परिणामस्वरूप तीन बैंकों ने उधारकर्ताओं की अप्रयुक्त क्रेडिट लाइनों को स्थगित कर दिया, ब्लूमबर्ग ने जनवरी में सूचना दी।

अगस्त 2017 में, चीन ने विदेशों में निवेश पर नए नियम, संपत्ति, होटल, फिल्म, मनोरंजन और खेल में विदेशी निवेश पर प्रतिबंध लगाया, जुआ और सेक्स उद्योगों में निवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। राज्य परिषद द्वारा घोषित नए नियम, उस विदेशी निवेश का समर्थन करते हैं जो देश के बेल्ट और रोड इनिशिएटिव को समर्थन देते हैं।

चीन ने पीपल्स बैंक ऑफ चाइना द्वारा पूंजी नियंत्रण लागू करने के साथ-साथ बाहर निकलने वाले पैसे की मात्रा को नियंत्रित करने की जरूरत को भी महसूस किया है।

चूंकि चीनी सरकार ने अपना फंदा कड़ा कर दिया है, डालियान वांडा ग्रुप ने स्पैनिश फुटबॉल क्लब एटलेटिको मैड्रिड में 17 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच दी है और लंदन में लक्जरी संपत्ति को बेच दिया है। पिछले नौ महीनों में इसने 4 अरब डॉलर से अधिक की विदेशी संपत्ति को उतार दिया है। समूह के अध्यक्ष वांग जियानलिन ने भी घोषणा की कि संगठन सभी विदेशी कर्ज को पूरी तरह चुका देगा।

अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की रक्षा के लिए चीनी सरकार द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई तब हो रही है जब भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर प्रतिकूल असर डालने और उन्हें लूटने के लिए निजी कंपनियों को उनकी औकात दिखाने का समय था लेकिन केंद्र सरकार ऐसा कुछ नहीं कर पा रही है। कॉरपोरेट अभिमानी लोग जिन्होंने भारत में सार्वजनिक बैंकों से बड़ी रकम उधार ली है, वे ऋण वापस करने में नाकाम रहे यहीं और उनमें से कुछ विदेश में भागने में कामयाब हो गए हैं।

भ्रष्टाचार को खत्म करने और वित्तीय व्यवस्था में जोखिम को कम करने के चीन के निर्धारित प्रयास से पता चलता है कि एक अलग रास्ता संभव है, अगर केवल भारत सरकार आवश्यक राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाती है तो!

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