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भारत-पाक तनाव बढ़ने से कश्मीर में दहशत का माहौल

देशों के बीच बढ़ती शत्रुता आम कश्मीरियों पर भारी पड़ रही है, क्योंकि आला अधिकारी लोगों के बीच दहशत की भावना को कम करने में विफल हो रहे हैं।


जम्मू-कश्मीर
Image Courtesy: GNS

(यह आलेख   आज मंगलवार को भारत की कार्रवाई से पहले लिखा गया था लेकिन इसमें भारत की ओर से हुई कार्रवाई के स्पष्ट संकेत मिलते हैं। सीमा पर तनाव बढ़ गया है। पढ़िए कश्मीर और कश्मीरियों की हालत को बयान करता ये आलेख।) 

पिछले दो दिनों से कश्मीर के लोगों की लोग रातों की नींद हराम हो रही हैं, क्योंकि विमान और हेलीकॉप्टरों की लगातार आवाजाही से निकलने वाली आवाजें उन्हें चिंतित कर रही है। किसी को भी इस आवाजाही के वास्तविक उद्देश्य का पता नहीं है, जबकि भारतीय वायु सेना (IAF) के अधिकारी इसे एक "नियमित अभ्यास" बता रहे हैं। हालांकि, पुलवामा आत्मघाती हमले के बाद भारतीय और पाकिस्तानी सरकारों के स्वर में बढ़ रही लगातार कड़वाहट और पाकिस्तान के खिलाफ बदला लेने के लिए हमला करने के दबाव की वजह से लोगों को डर लगा है।

पिछले हफ्ते कम से कम 40 अर्धसैनिक जवानों को मारने वाले एक आत्मघाती कार बम हमले के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पाकिस्तान "हमले की भारी कीमत चुकाएगा", और यह कि कश्मीर में स्थिति के लिए "सेना को निपटने के लिए खुली छूट दी जाएगी"। इसके जवाब में पाकिस्तान ने शुक्रवार को कहा कि वह भारत की ओर से किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब देगा।

देशों के बीच बढ़ती शत्रुता आम कश्मीरियों पर भारी पड़ रही है, क्योंकि आला अधिकारी लोगों में दहशत की बढ़ती भावना को कम करने में विफल हो रहे हैं। “हम कल रात सोए नहीं हैं, और हम नहीं जानते कि क्या हम कल ज़िंदा जागेंगे या नही। लोग आवाजाही से बच रहे हैं, और आवश्यक वस्तुओं को जमा कर रहे हैं : यह एक प्रलय का दिन है। क्या कोई बता सकता है कि यहां क्या हो रहा है?” नौकरशाह से राजनेता बने शाह फैसल ने शनिवार को ट्वीट कर पूछा।

शुक्रवार को हिजबुल मुजाहिदीन की राजनीतिक शाखा जमात-ए-इस्लामी के नेताओं की सामूहिक गिरफ्तारी की खबर से लोग जाग गए। इसके प्रमुख अब्दुल हमीद फैयाज सहित कम से कम 150 सदस्यों को रात भर की छापेमारी के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया। यह सब आत्मघाती हमले के जवाब में किया गया था, और संविधान के अनुच्छेद 35-ए की वैधता पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के पहले ऐसा किया गया। जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को भी शुक्रवार देर रात उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया गया।

व्हाट्सएप ग्रुप सहित सोशल मीडिया पर लगाए गए कयासों ने स्थिति और खराब कर दी है। जल्द ही, केंद्र ने घाटी में अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों को भेज दिया, जिनकी जरूरत अलगाववादी नेताओं पर भारी कार्रवाई करने के लिए थी।

गृह मंत्रालय (एमएचए) ने अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों (लगभग 10,000 सैनिकों) की अतिरिक्त तैनाती का आदेश दिया है। इसमें सीआरपीएफ की 45 कंपनियां, बीएसएफ की 35 और एसएसबी और आईटीबीपी की 10 कंपनियां शामिल हैं। आधिकारिक तौर पर, कोई भी इतने बड़े पैमाने पर तैनाती के लिए कारण प्रदान करने में सक्षम नहीं है।

सरकार की ओर से जारी कई आदेश लोगों की आशंकाओं को बढ़ा रहे हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को जेके मेडिकल आपूर्ति निगम से आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति और सर्जिकल आइटम इकट्ठा करने के लिए निर्देशित किया गया है, श्रीनगर में सरकारी मेडिकल कॉलेज ने अपने संकाय सदस्यों की सर्दियों की छुट्टी रद्द कर दी हैं, और उन्हें सोमवार को काम करने के लिए सकारात्मक रुप से रिपोर्ट करने के लिए निर्देशित किया है, और तेल कंपनियां को "लोगों के लिए सीमित कोटा" और "सेना के लिए सुविधा पूर्वक कोटा" उपलब्ध करने के लिए  चौबीसों घंटे तैयार रहने के लिए निर्देशित किया गया है। आदेशों ने लोगों को तकलीफ में डाल दिया, जो आवश्यक आपूर्ति के लिए राशन खरीदने के लिए दुकानों में पहुंचे थे। पेट्रोल स्टेशनों के बाहर भी लंबी कतारें देखी गईं।

 “कोई नहीं जानता कि क्या हो रहा है। मैं पिछले दो दिनों से नहीं सोया हूं। मैंने अपने नौकरशाह दोस्त को फोन कर स्थिति के बारे में पूछताछ की, लेकिन वह भी इस कारण से अनजान था। ऐसा लगता है कि कुछ बड़ा होने वाला है, ”मोहम्मद आरिफ, एक स्थानीय निवासी ने कहा।

जैसे-जैसे दोनो देश के दूसरे के खिलाफ आग उगल रहे हैं, घाटी के कुछ लोगों ने कहा कि वे "कश्मीर समस्या" का समाधान चाहते हैं, भले ही इसके लिए "दो परमाणु शक्तियों के बीच युद्ध" ही क्यों न हो जाए। शोपियां के रहने वाले बासित अहमद वानी ने कहा, "हम रोज़मर्रा के खून-खराबे, हिंसा और अपमान से तंग आ चुके हैं। बेहतर है कि इसे एक बार सुलझा लिया जाए। युद्ध में अगर 90 प्रतिशत भी मर जाएँ तो क्या शेष 10 प्रतिशत तो शांति से रहेंगे।”

पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने एक ट्वीट में केंद्रीय मंत्री को इस समय घाटी में व्याप्त आतंक की व्याप्त भावना के बारे में लिखा, और लोगों को आश्वस्त करने वाले बयान और कदमों उठाने के  बारे में  सरकार से अनुरोध किया। उन्होंने यह भी ट्वीट किया: “घाटी में लोग, विशेष रूप से शहर और कस्बे, लोग सब यही कह रहे हैं या एक संकेत के रूप में कर रहे हैं कि जल्द ही कुछ घटने वाला है। लोग भोजन और ईंधन जमा कर रहे हैं। ”

गिरफ्तारी पर कटाक्ष करते हुए, बीजेपी के सहयोगी, सज्जाद लोन, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा कि अतीत में इस तरह की घटनाओं का कोई नतीजा नहीं निकला है।उन्होंने ट्वीट किया "सरकार शायद (एसआईसी) गिरफ्तारी के अभियान में निकली हुयी लगता है। बस सावधानी के लिए एक ही शब्द है। 1990 में भी बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुईं थी। नेताओं को जोधपुर और देश की कई जेलों में ठूंस दिया गया था। इससे हालात बिगड़ गए  थे। यह एक आजमाया हुआ कारनामा है और विफल मॉडल है। कृपया इससे दूर रहें। यह काम नहीं करेगा। हालात ओर  खराब हो जाएंगे।"

पूर्व जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने भी इस कार्रवाई की आलोचना की। महबूबा ने कहा “पिछले 24 घंटों में, हुर्रियत नेताओं और जमात संगठन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। ऐसी मनमानी चाल को समझने में विफल है जो केवल जम्मू-कश्मीर में मामलों को ओर उलझाएगी। किस कानूनी आधार के तहत उनकी गिरफ्तारी जायज है? आप किसी व्यक्ति को तो कैद कर सकते हैं लेकिन उसके विचारों को कैद नही सकते हैं।” मॉडरेट हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने भी जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक की नजरबंदी की निंदा की और जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के नेतृत्व पर धर-पकड़  करने  पर लिए जोर देते हुए कहा कि बल क इस्तेमाल और धमकाने से स्थिति और खराब होगी।

अपने नेताओं की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए, जमात-ए-इस्लामिया ने शनिवार को एक बयान में कहा कि 22 फरवरी और 23 फरवरी की रात के दौरान, पुलिस और अन्य एजेंसियों ने सामूहिक गिरफ्तारी अभियान चलाया और घाटी में कई घरों पर छापे मारे, जिसमें संगठन के केंद्रीय और जिला स्तर के दर्जनों नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसमें इसके अमीर (प्रमुख) जमात अब्दुल हमीद फैयाज और वकील जाहिद अली (प्रवक्ता) शामिल हैं। बयान में कहा गया है, 'यह कदम क्षेत्र में अनिश्चितता के लिए रास्ता तैयार करने की एक अच्छी तरह से तैयार की गई साजिश है।' इसने आगे कहा कि छापे गड़बड़ और गलत हैं, क्योंकि वे ऐसे समय में हो रहे हैं जब सुप्रीम कोर्ट को संविधान के अनुच्छेद 35A के बारे में एक याचिका पर सुनवाई करनी है।

पुलिस सूत्रों ने हालांकि यह कहा कि राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ये  गिरफ्तारी की गई हैं।

तमाम अटकलों और अनिश्चितताओं के बीच, कश्मीर के लोगों में दहशत बरकरार है और उनका सुझाव हैं कि दोनों देशों की सरकारें घाटी में रक्तपात के चक्र को समाप्त करने के लिए बातचीत की प्रक्रिया शुरू करें।

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