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‘भगवान के नाम पर’ आरएसएस कार्यकर्ताओं का हमला जारी

सबरीमाला फैसले के बाद से इस तरह के हमले केरल में आम हो गए हैं और दोनों महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने के बाद से ही गुस्सा भड़क गया है। हालांकि इन महिलाओं को हर तरफ से समर्थन मिला है लेकिन दक्षिणपंथी समूह इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।
आरएसएस के हमले जारी

सबरीमाला का दर्शन 27 दिसंबर को समाप्त हुआ लेकिन फिर भी सबरीमाला मुद्दा केरल में हमेशा की तरह उबलता रहा। वहीं 27 जनवरी को दलित एक्टिविस्ट अम्मिनी की बड़ी बहन शांता और उनके बेटे पर आरएसएस के कार्यकर्ताओं द्वारा वायनाड के सुल्तान बाथरी में हमला किया गया। ये हमला दक्षिणपंथी फ्रिंज समूह द्वारा रविवार की सुबह वायनाड में उनके निवास में घुस कर किया गया। उनके बेटे प्रफुल्ल कुमार पर भी उस वक़्त हमला किया गया जब वह इसी दिन सुबह के वक़्त कहीं जा रहे थे। हमलावरों ने कुमार से मारपीट की और उन्हें "स्वामी शरणम अयप्पा" बोलने के लिए मजबूर किया। द न्यूज मिनट से बात करते हुए वायनाड के सीपीआई (एमएल) के ज़िला समिति सदस्य केवी प्रकाश ने कहा "उनका निशाना अम्मिनी थीं। लेकिन चूंकि उनके घर तक पहुंचना आसान नहीं है क्योंकि यह ढ़लान के नीचे स्थित है इसलिए उन्होंने उनके रिश्तेदारों पर हमला किया।"

वायनाड स्थित दलित एक्टिविस्ट अम्मिनी ने पांच अन्य साथियों के साथ 23 दिसंबर को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास किया था। उन्होंने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर परिसर में प्रवेश करने की इच्छा व्यक्त की। एक्टिविस्ट ने उनके मंदिर में प्रवेश करने से पहले पुलिस सुरक्षा की मांगी की थी। हालांकि वे मंदिर में प्रवेश करने में सफल नहीं हो सकीं क्योंकि सबरीमाला कर्म समिति द्वारा विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था।

इसी तरह के एक अन्य मामले में मशहूर मलयालम निर्देशक प्रियनंदन पर आरएसएस कार्यकर्ता द्वारा 25 जनवरी को उनके निवास के सामने हमला किया गया। सबरीमाला पर उनके "विवादास्पद" फेसबुक पोस्ट पर शुक्रवार सुबह आरएसएस के कार्यकर्ताओं द्वारा हमला किया गया था। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता निर्देशक से मारपीट की गई और उन पर गोबर मिला हुआ पानी फेंका गया।

प्रियनंदन ने अपने फेसबुक पोस्ट को उसी दिन हटा दिया जिस दिन उन्होंने पोस्ट किया था। इसे पोस्ट करने के बाद राज्य भर में दक्षिणपंथी समूह भड़क गए। हमले से कुछ दिन पहले सबरीमाला कर्म समिति ने भगवान अयप्पा के प्रति उनके विचारों का विरोध करते हुए उनके घर तक मार्च किया था। दक्षिणपंथी समूहों ने उनके पोस्ट को "निन्दात्मक" बताया। निर्देशक पर हुए हमले का नेतृत्व कोडुंगलोर के आरएसएस कार्यकर्ता सरोवर ने किया था। हमले को अंजाम देते समय हमलावरों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि "आप हमारे भगवान अयप्पा के बारे में अपमानजनक बात कैसे कह सकते हैं।" मनोरमा न्यूज़ से बात करते हुए निर्देशक ने कहा "लोग चर्चा के माध्यम से मेरे विचारों का विरोध कर सकते हैं न कि हमला कर के। ये लोकतांत्रिक देश है और मैं डर से या पुलिस सुरक्षा में नहीं रह सकता क्योंकि लोगों ने मुझे धमकी दी है।"

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने निर्देशक पर हमले की निंदा की है। उन्होंने कहा “यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। इस तरह के हमलों के पीछे आरएसएस जैसे दक्षिणपंथी समूह हैं।

इस महीने की शुरुआत में केरल में अरपो अर्थवम मनाया गया। ये कार्यक्रम मासिक धर्म से जुड़ा है और महिलाओं के धार्मिक स्थानों में प्रवेश को लेकर है। इस कार्यक्रम में बिंदू अम्मिनी और कनकदुर्गा सहित कई लोग शामिल हुए। दोनों महिलाएं सबरीमाला में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गईं थीं। हालांकि कोच्चि में आयोजित इस कार्यक्रम में उनका स्वागत किया गया था वहीं कनकदुर्गा के मंदिर में प्रवेश करने के बाद कठोर स्थिति से गुजरना पड़ा। उन पर उनके ही रिश्तेदार द्वारा हमला किया गया था और अस्पताल में भर्ती हुईं। दक्षिणपंथी समूहों से उन पर बढ़ते ख़तरे ने भी उन्हें अदालत से सुरक्षा की मांग करने को मजबूर किया। कनकदुर्गा को उनके परिवार ने भी घर में प्रवेश से मना कर दिया है। हाल ही में तिरुवनंतपुरम में दक्षिणपंथी समूह अय्यप्पा बख्त संगम द्वारा आयोजित एक जवाबी कार्यक्रम में कनकदुर्गा के भाई भरत भूषण ने कहा, "जब तक मेरी बहन अपने किए पापों के लिए माफी नहीं मांगती तब तक हम उसे अपने परिवार में प्रवेश नहीं करने देंगे।"

सबरीमाला फैसले के बाद से इस तरह के हमले केरल में आम हो गए हैं और दोनों महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने के बाद से ही गुस्सा भड़क गया है। हालांकि इन महिलाओं को हर तरफ से समर्थन मिला है लेकिन दक्षिणपंथी समूह इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और साथ ही उन लोगों का भी विरोध कर रहे हैं जो इन महिलाओं के मंदिर प्रवेश का पुरज़ोर समर्थन कर रहे हैं।

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