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बिहार: बीफ खाने के नाम पर खलील की हत्या, परिवार का आरोप; उच्च-स्तरीय जांच की मांग

पुलिस को खलील का शव बरामद होने के एक दिन बाद, सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप में कथित तौर पर दिखाया गया कि अभियुक्तों द्वारा उसे कथित तौर पर बीफ खाने के नाम पर धमकाया गया, गाली-गलौज की गई और मारा-पीटा गया था।
mob lynching
प्रतिनिधि चित्र। चित्र साभार: Reuters

पटना: पिछले हफ्ते बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल-यूनाइटेड के एक स्थानीय नेता खलील आलम की हत्या के पीछे सांप्रदायिक कोण की खबरों के बीच, गुरुवार को उनके परिवार ने इंसाफ की मांग की है और पटना उच्च न्यायालय की निगरानी में एक उच्च-स्तरीय जांच की मांग की है।

खलील आलम जो अपनी उम्र के 30 के दशक के मध्य में रहे होंगे, को कथित तौर पर अपहृत कर लिया गया था और उनकी हत्या कर दी गई थी, और उनके अधजले दफना दिए गए शव को पुलिस ने समस्तीपुर जिले से बरामद किया था। इसके एक दिन बाद, सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप में कथित तौर पर दिखाया गया कि कैसे अभियुक्तों द्वारा उन्हें बीफ खाने के नाम पर धमकाया गया, गाली-गलौज की गई और बेरहमी से मारा-पीटा गया और स्थानीय गौमांस व्यापार का खुलासा करने के लिए जबरन कहा गया। उक्त वीडियो ने इस घटना को एक नया मोड़ दे दिया है, लेकिन जिला पुलिस इससे इंकार कर रही है।

समस्तीपुर के मुसरीघरारी के रहने वाले खलील एक एनजीओ चलाते थे और स्थानीय स्तर पर जेडीयू के सक्रिय नेता थे, और बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी के करीबी माने जाते थे।

खलील की पत्नी नेमत खातून ने कहा, “हमें नहीं मालूम कि उनका अपहरण और हत्या क्यों की गई। हम इस घटना के पीछे की सही-सही वजह जानने के लिए एक उच्च-स्तरीय जांच चाहते हैं कि उनकी हत्या क्यों और कैसे की गई। सरकार को हमें मुआवजा देना चाहिए।”  

तीन नाबालिग बच्चों, जिनमें से एक दुधमुहाँ बच्चा है की माँ नेमत ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस विषय में हस्तक्षेप की मांग की है, क्योंकि उनके पति उनकी पार्टी के यहाँ पर स्थानीय नेता थे। उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया पर एक वीडियो में, दोनों हाथ जोड़े मेरे पति ने पहले दावा किया कि उन्होंने गौ-मांस नहीं खाया है। लेकिन बेवजह पीटे जाने के बाद वे यह बोलने के लिए मजबूर कर दिए गये कि उन्होंने गौमांस खाया था। उनसे यहाँ तक कहा गया कि जोर से कहे कि वे आज के बाद कभी बीफ नहीं खायेगा। सिर्फ जांच से ही इसके पीछे की वास्तविक वजह का खुलासा हो सकता है कि उन्हें अभियुक्तों द्वारा क्यों मार डाला गया।”

नेमत ने कहा कि उनके पति की गुमशुदगी के बाद, उन्हें तीन फोन आये थे, जिसमें उनकी सुरक्षित रिहाई के लिए पैसे की मांग की गई थी, जिसकी सूचना स्थानीय पुलिस थाने को कर दी गई थी।

खलील के बड़े भाई, मोहम्मद सितारे के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस अब तक मामले की सही दिशा में जांच कर पाने में विफल रही है। उन्होंने कहा, “जैसा कि वायरल वीडियो में दावा किया जा रहा है, कि बीफ खाने के नाम पर उसकी हत्या कर दी गई, तो उन्हें वास्तविक तथ्यों के साथ सामने आना चाहिए और कुछ भी नहीं छिपाना चाहिए।”

सितारे ने कहा कि उनके भाई का बीफ के व्यापार से कोई वास्ता नहीं था; वह अपनी आजीविका के लिए एक आयुर्वेदिक फर्म से जुड़ा हुआ था।

खलील के छोटे भाई, मोहम्मद शकील ने बताया कि उनका परिवार अब भी उनकी हत्या से गमजदा है। उन्होंने कहा, “हम क्या कह सकते हैं? आरोपियों के पास इस प्रकार का वीडियो पोस्ट करने का साहस है, जिसमें वह मवेशियों को काटने और स्थानीय स्तर पर बीफ बेचने वाले के नाम का खुलासा करने के लिए पूछ रहा है। यह देखना सरकार की जिम्मेदारी है कि क्या खलील को गौ रक्षकों द्वारा पीट-पीटकर मारा गया है या हत्या के पीछे की वजह क्या है उसे बताया जाए।”

उनकी शिकायत को गंभीरतापूर्वक लेने में हुई देरी के लिए शकील स्थानीय पुलिस को जिम्मेदार ठहराते हैं। वे कहते हैं, “हमने खलील के बाजार से घर न लौटने के एक दिन बाद 17 फरवरी को उनकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने 18 फरवरी को एक संदिग्ध आरोपी को हिरासत में ले लिया था, और उसके द्वारा दी गई सूचना के आधार पर, 19 फरवरी को खलील का शव को बरामद कर लिया गया था। उसके शव को बूढ़ी गण्डक नदी के किनारे पर दफना दिया गया था।”

समस्तीपुर के पुलिस अधीक्षक, ह्रदय कांत पिछले तीन दिनों से लगातार इस बात का दावा कर रहे हैं कि खलील की हत्या पैसे को लेकर की गई थी और इसका गौ-रक्षकों से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, “आरोपियों के द्वारा जानबूझकर एक वीडियो बनाया गया और इसे पोस्ट किया गया ताकि मामले से ध्यान भटकाया जा सके और इसे एक सांप्रदायिक रंग दिया जा सके।”

पुलिस ने कृष्ण कुमार झा सहित तीन दोषियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

हालाँकि, विपक्ष बीफ-खाने के नाम पर खलील की हत्या को लेकर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर पर हमलावर बना हुआ है। राजद नेता, तेजस्वी यादव जो राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं, ने कहा है कि हालिया घटना ने कानून-व्यवस्था के पूरी तरह से ध्वस्त हो जाने की स्थिति को खोलकर रख दिया है। यादव ने कहा, “यहाँ पर कौन सुरक्षित है, यदि एक मुस्लिम युवा, जो सत्तारूढ़ पार्टी जद (यू) का नेता हो, उसे मारा-पीटा गया, जिंदा जला दिया गया और फिर दफना दिया गया। कुमार को हम सभी को बताना चाहिए कि राज्य में ऐसी घटनाएं लगातार क्यों होती रहती हैं।”

गुरुवार को कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने खलील के परिवार से मुलाक़ात की और उनके लिए न्याय की मांग की। खान ने कहा, “पीड़ित परिवार से मुलाक़ात करने के बाद, मैं इस मुद्दे को बिहार विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन उठाने जा रहा हूँ। राज्य और देश भर में बढ़ते नफरत के माहौल के खिलाफ मुख्यमंत्री को कम से कम एक बयान जारी करना चाहिए।”  

खान ने आगे कहा कि वीडियो उक्त घटना में नफरत के एंगल का एक उदाहरण था। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि यदि यह कोई पैसे से संबंधित मामला था तो इसमें मवेशियों की हत्या, बीफ और इसकी खपत की बात कैसे सामने आई।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने खलील की हत्या को “मॉब लिंचिंग” करार दिया है और इस घटना पर न्यायिक जांच बिठाने की मांग की है। सीपीआई (एमएल) के विधायक दल के नेता, महबूब आलम ने कहा, “हमने खलील की हत्या की न्यायिक जाँच की मांग की है, जो मॉब लिंचिंग के शिकार बने हैं।”

इस घटना के विरोध में सीपीआई(एमएल) की ओर से 28 फरवरी को एक ‘न्याय’ मार्च निकाला जायेगा। महबूब आलम के नेतृत्व में पार्टी का एक दल बुधवार को खलील के परिवार से मिला और उसने कहा कि सीएम नीतीश कुमार अपनी पार्टी के एक मुस्लिम नेता को ही मॉब लिंचिंग का शिकार होने से बचा पाने में विफल रहे हैं। 

विडंबना यह है कि, भले ही खलील का संबंध सत्तारूढ़ दल से रहा हो, इसके बावजूद उनमें से कुछ के द्वारा रस्म-अदायगी वाली निंदा को छोड़ दें तो लगभग सभी वरिष्ठ जद (यू) नेता उनकी हत्या पर खामोश बने रहे। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Bihar: Family Alleges Khalil was Killed for Eating Beef, Demands High-level Probe

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