NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
बिहार: श्रमिक, किसान और संविदा कर्मचारी हड़ताल को लेकर लामबंद
बिहार में वामपंथी दल और राजद हड़ताल के समर्थन में सामने आए हैं। इस हड़ताल के बाद किसानों का विरोध प्रदर्शन होगा।
मोहम्मद इमरान खान
25 Nov 2020
बिहार: श्रमिक, किसान और संविदा कर्मचारी हड़ताल को लेकर लामबंद

पटना: केंद्र सरकार की “जन-विरोधी, मज़दूर-विरोधी और किसान-विरोधी” नीतियों के ख़िलाफ़ समर्थन जुटाने के लिए विभिन्न मज़दूर यूनियनों और किसान संगठनों की 26 नवंबर को होने वाले देशव्यापी आम हड़ताल की तैयारी पूरे बिहार में जारी है।

मुख्य रूप से विभिन्न सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में काम कर रहे श्रमिकों, किसानों और कर्मचारियों को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाली सरकारी नीतियों के ख़िलाफ़ विरोध करने के लिए इस हड़ताल से दो दिन पहले लामबंदी का ये अभियान अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर गया है। ट्रेड यूनियन, किसान संगठन, विभिन्न संघ और एसोसिएशन इस अभियान के अंतिम चरण की तैयारी में जुटे हैं और इस हड़ताल के आह्वान को अमली जामा पहनाने के लिए अपनी तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) सहित वाम दल इस हड़ताल के समर्थन में अब तक सामने आए हैं। बिहार में 27 नवंबर को इस हड़ताल के बाद किसानों का विरोध प्रदर्शन होगा। हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनावों में अच्छे प्रदर्शन से उत्साहित वाम दलों के नेता और कार्यकर्ता इस हड़ताल को सफल बनाने के लिए सक्रिय रूप से धरातल पर काम कर रहे हैं। इन चुनावों में जहां सीपीआई (एमएल) ने 12 सीटें जीतीं और सीपीआई (एम) और सीपीआई ने दो-दो सीटें जीती हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी इस हड़ताल को अपना समर्थन दिया है।

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के नेता गणेश शंकर सिंह के अनुसार बिहार में इस हड़ताल को सफल बनाने के लिए मज़दूर, खेतिहर मज़दूर, अराजपत्रित अधिकारी, बिजली कर्मचारी, स्वास्थ्य कर्मचारी और बैंक अधिकारी सहित अन्य पूरी तरह से तैयार हैं। इस हड़ताल का आह्वान 10 सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने किया है। पिछले दो दिनों में राज्य में ट्रेड यूनियनों ने अंतिम दौर की नुक्कड़ सभाओं और डोर-टू-डोर अभियान का आयोजन किया ताकि शहरी और साथ ही ग्रामीण इलाकों में इस हड़ताल के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों लामबंद किया जा सके।

शंकर सिंह ने कहा, “हम आम कर्मचारियों की हड़ताल के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। यह नरेंद्र मोदी सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों, बढ़ती बेरोज़गारी, बढ़ती मुद्रास्फीति और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के निजीकरण के ख़िलाफ़ एक विरोध प्रदर्शन होगा।”

सीपीआई (एम) के बिहार राज्य सचिव अवधेश कुमार ने कहा, "बड़ी संख्या में लोग हमारे साथ जुड़ने के लिए तैयार हैं क्योंकि उन्होंने कर्मचारियों की हड़ताल को समर्थन दिया है। नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ बिहार में इस बार पूर्ण श्रमिक हड़ताल होगा।”

इसके अलावा, सीपीआई (एमएल) के राज्य सचिव कुणाल ने कहा, इस हड़ताल के समर्थन जुटाने के लिए पार्टी ने जिला और ब्लॉक स्तर पर कई बैठके कीं। उन्होंने आगे कहा, "हमारे नेता और कार्यकर्ता सक्रिय रूप से इस हड़ताल के लिए लोगों का समर्थन जुटाने का आह्वान करते रहे हैं।"

सीपीआई के राज्य सचिव रामनरेश पांडे ने कहा कि पार्टी इस हड़ताल को सफल बनाने के लिए काम करती रही है। "बिहार चुनाव समाप्त होने के बाद पार्टी के नेता और कार्यकर्ता इस हड़ताल की तैयारी में व्यस्त हो गए और अपने कार्यकर्ताओं से इसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए सड़कों पर विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का आग्रह किया।"

इस हड़ताल में राज्य भर में छात्रों और युवाओं के साथ विभिन्न ट्रेड यूनियनों के नेतृत्व में आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता), आंगनबाड़ी, मिड-डे मील रसोइयों सहित हज़ारों श्रमिक, खेतिहर मज़दूर, निर्माण मज़दूर, मनरेगा मज़दूर, संविदा कर्मचारी विरोध मार्च में भाग लेंगे।

अन्य राज्यों के विपरीत बिहार जो कि बड़े उद्योगों और विनिर्माण इकाइयों से वंचित है ऐसे में ट्रेड यूनियनों का ध्यान मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र जैसे कि निर्माण, कृषि और छोटी विनिर्माण इकाइयों के साथ ही साथ स्वास्थ्य, शिक्षा और सेवा क्षेत्रों में राज्य सरकार द्वारा अनुबंधों में हजारों श्रमिकों को जुटाने पर लगे हैं।

सीटू, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी), इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (आईएनटीयूसी), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ़ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस) सहित राज्य में ट्रेड यूनियनों के साथ ही साथ श्रमिकों के विभिन्न संघ और एसोसिएशन 2020 की दूसरी आम हड़ताल में भाग ले रहे हैं।

ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के नेता कुमार अरविंद तिवारी ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक को छोड़कर सभी बैंक बिहार में हड़ताल में शामिल होंगे। “इस हड़ताल के परिणामस्वरूप बैंकों में काम रुक जाएगा। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ भी हड़ताल में शामिल हो रहा है।”

इसी तरह, ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स के महासचिव राजकुमार झा ने कहा कि इस हड़ताल के समर्थन में वाहन सड़कों पर नहीं होंगे। "बिहार में सड़क परिवहन के सभी श्रमिक नए परिवहन अधिनियम, रेलवे के निजीकरण और लॉकडाउन से परिवहन कर्मियों को राशन कार्ड प्रदान करने में सरकार की हुई विफलता के चलते इस हड़ताल में शामिल होंगे।"

 अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल रिपोर्ट पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें


Bihar: Workers, Farmers and Contract Employees Geared up for November 26 General Strike

 

November 26 Strike
general strike
Farmer Worker Strike
Farmers Protest Bihar
Bihar Workers Strike

Trending

किसान आंदोलन का असर: सिर्फ़ राजनीतिक तौर पर नहीं सांस्कृतिक और सामाजिक तौर पर भी बदल रहा है पंजाब
डिजिटल मीडिया पर अंकुश, नवदीप-शिव दमन और राज्यों के चुनाव
खोज ख़बरः प बंगाल पर इतनी मेहरबानी के मायने!, नौदीप को रिहाई पर सुकून
एमसीडी उपचुनाव: वेतन में हो रही देरी के मद्देनज़र नगरपालिका कर्मचारियों की सारी उम्मीद मतदाताओं पर टिकी
आधे युवा बेरोज़गार
मज़बूत होती किसान-मज़दूरों की एकता

Related Stories

कृत्तिका सुसरला
ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
26 नवंबर की आम हड़ताल बनी विश्व इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी हड़ताल
07 December 2020
उत्तरी
हड़ताल
प्रभात पटनायक
हड़ताल-आंदोलन: अतार्किकता के विमर्श पर चोट
29 November 2020
26 नवंबर की हड़ताल सिर्फ इसलिए महत्वपूर्ण नहीं थी क्योंकि यह मोदी सरकार के देश भर में श्रमिकों एवं किसानों के ऊपर निर्ल्लज एवं अभूतपूर्व हमलों का वि
दिल्ली में किसानों ने बोला हल्ला तो यूपी के कई जिलों में कर्मचारियों और छात्र संगठनों की रही हड़ताल
गौरव गुलमोहर
दिल्ली में किसानों ने बोला हल्ला तो यूपी के कई जिलों में कर्मचारियों और छात्र संगठनों की रही हड़ताल
27 November 2020
देश भर में किसानों और मजदूरों ने गुरुवार को एक दिन की हड़ताल में शामिल होकर केंद्र सरकार की कई नीतियों खास तौर पर नए कृषि और श्रम कानूनों के खिलाफ अ

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • किसान आंदोलन
    शिव इंदर सिंह
    किसान आंदोलन का असर: सिर्फ़ राजनीतिक तौर पर नहीं सांस्कृतिक और सामाजिक तौर पर भी बदल रहा है पंजाब
    28 Feb 2021
    "आज यदि पंजाब अपनी तस्वीर आईने में देखे तो खुद पर चढ़े हुए रूप को देखकर शायद वह खुशी से शर्मा जाए। किसान मोर्चा में हमने देखा कि औरतें भाषण दे रही हैं, मर्द खाना बना रहे हैं अब यह बातें सिर्फ़ मोर्चे…
  • हिमालयी लोगों की आजीविका पर असर डाल रहा जलवायु परिवर्तन
    वर्षा सिंह
    हिमालयी लोगों की आजीविका पर असर डाल रहा जलवायु परिवर्तन
    28 Feb 2021
    दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करने वाला एक छोटा सा कस्बा औली इस बार बर्फ़ न गिरने से मायूस है। यहां के स्थानीय लोग, खिलाड़ी, छोटे व्यवसायी मौसम में आ रहे परिवर्तन की कीमत चुका रहे हैं। बर्फ़ न होने…
  • Urmilesh
    न्यूज़क्लिक टीम
    डिजिटल मीडिया पर अंकुश, नवदीप-शिव दमन और राज्यों के चुनाव
    27 Feb 2021
    मीडिया के डिजिटल प्लेटफार्म और ओटीटी कहे जाने वाले मंचों को विनियमित करने के लिए केंद्र सरकार ने गुरुवार को नयी गाइडलाइन्स के नाम पर मीडिया नियंत्रण के नये तंत्र का ऐलान किया है. इसका क्या मतलब और…
  • Bhasha Singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    खोज ख़बरः प बंगाल पर इतनी मेहरबानी के मायने!, नौदीप को रिहाई पर सुकून
    27 Feb 2021
    खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने क्रांतिकारी संत रैदास की निर्भीक वाणी को याद करते हुए कहा कि अन्नदाता की उपेक्षा मोदी सरकार के जनविरोधी पक्ष को ही उजागर कर रही है। साथ ही पश्चिम बंगाल में आठ…
  • आधे युवा बेरोज़गार
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधे युवा बेरोज़गार
    27 Feb 2021
    भारत में शहरों में रहने वाले 20-24 साल के आयु वर्ग में से 48% बेरोज़गार हैंI देशभर में 25% से ज़्यादा ग्रेजुएट युवा बेरोज़गार हैंI
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें