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छात्रों और अध्यापकों ने "रोहित एक्ट" लागू करने की माँग की

"रोहित एक्ट" विश्वविद्यालयों में पिछड़े तबकों से आने वाले छात्रों के हितों की रक्षा के लिए कारगार हो सकता है I
rohit vemula

सरकार से “रोहित एक्ट” लागू करने और पिछड़े वर्गों से आने वाले छात्रों को स्कॉलरशिप देने की माँग करते हुए देश भर के सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद रोहित वेमुला को याद करने के लिए इकठ्ठा हुए I मौजूदा घोर जातिवादी तंत्र ने ही हैदराबाद विश्वविद्यालय के एक दलित शोधार्थी रोहित वेमुला को 17 जनवरी 2016 को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया था I

रोहित की इस आत्महत्या या कहें संस्थागत हत्या ने देश भर के शिक्षा संस्थानों में जातिगत भेदभाव को उजागार किया था I रोहित की मौत के बाद पैदा हुए छात्र विरोध ने ये खुलासा किया कि किस तरह उच्च शिक्षा संस्थान में भेदभाव और शोषण कितना भयावह रूप ले चूका है जबकि इनका मकसद चेतना का विस्तार करना होना चाहिए  I

बुधवार, 17 जनवरी को रोहित वेमुला की दूसरी पुण्यतिथि पर छात्रों ने हैदराबाद विश्वविद्यालय में मूक रैली  निकाली I इस रैली का नेतृत्व रोहित की माँ राधिका वेमुला, अम्बेडकर के पोते प्रकाश अम्बेडकर और सामाजिक कार्यकर्ता कांचा इलैया ने किया I

दिल्ली विश्वविद्यालय में जनवादी छात्र और शिक्षक संगठनों जैसे SFI, AISA, DTF, CTF ने सामाजिक न्याय को बचने  के लिए जन-सभाएँ आयोजित कीं I

रोहित वेमुला के बारे में बोलते हुए दयाल सिंह कॉलेज के अध्यापक एन. सचिन ने कहा “जब हम रोहित वेमुला की विरासत का जश्न मानते हैं तो उस आत्मविश्वास, उम्मीद और जज़्बे को सलाम करते हैं जिसकी ज़रुरत उन सबको है जो कि राजनीतिक संघर्षों से जुड़े हुए हैंI”

 “रोहित एक्ट” की माँग करते हुए हिन्दू कॉलेज के अध्यापक रतन लाल ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालयों में लोकतान्त्रिक संवाद करने की जगह कम होती जा रही है I जिन विश्वविद्यालयों में विभिन्न विचारधाराओं की बात होनी चाहिए वो अब व्यावसायिक जगहें बनती जा रही हैं I

काफी समय से छात्रों की “रोहित एक्ट” लागू किये जाने की माँग एक बार फिर से गूंजी I रोहित एक्ट जो कि विश्वविद्यालयों में पिछड़े तबकों से आने वाले छात्रों के हितों की रक्षा के लिए कारगार हो सकता है, छात्रों की एक मुख्य माँग रही है I पर बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इस पर अभी तक ध्यान नहीं दिया I

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