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दहशत के दौर में धार्मिक-मनोरंजन या जीवन रक्षा का जुगाड़!

कोविड-19 की भयावहता से देश को बचाने के लिए Lockdown यानी बंदी तात्कालिक ज़रिया हो सकता है, मुकम्मल बचाव नहीं! तैयारी के बगैर घोषित Lockdown ने करोड़ों लोगों के लिए मुश्किलें भी पैदा कर दी हैं!

कोविड-19 की भयावहता से देश को बचाने के लिए Lockdown यानी बंदी तात्कालिक ज़रिया हो सकता है, मुकम्मल बचाव नहीं! तैयारी के बगैर घोषित Lockdown ने करोड़ों लोगों के लिए मुश्किलें भी पैदा कर दी हैं! ये मुश्किलें किसी पुराने धार्मिक सीरियल के प्रसारण से नहीं जायेंगीI इसके लिए सरकार को प्रभावित इलाकों में युद्ध स्तर पर टेस्टिंग और उपचार के कारगर तंत्र को खड़ा करने में जुटना चाहिए थाI पर इसमें समय रहते पहल नहीं हो रही हैI ठीक उसी तरह जैसे समय रहते इंटरनेशनल उड़ानों पर पाबंदी नहीं लगी थीI Lockdown से संक्रमण-फैलाव को रोकने में जो बड़ी मदद मिल सकती थी, रणनीतिक कमजोरियों से वह अधर में लटकी दिख रही हैI राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की राय की रोशनी में इन्हीं पहलुओं की चर्चा कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश 'हफ़्ते की बात' के इस अंक मेंI

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