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दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी: सर्वोच्च न्यायालय ने 3 महीने के लिए न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी को बहाल किया

दिल्ली उच्च न्यायलय के न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी खिलाफ दिए आदेश पर सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है ।
दिल्ली  में न्यूनतम मजदूरी

दिल्ली के लाखो लाखो मजदूरों के लिए आज का सुप्रीमकोर्ट का निर्णय एक सुखद एसहस लेकर आया आज उच्चतम न्यायलय ने न्यूनतम वेतन के मामले पर सुनवाई करते हुए एक अंतिरिम आदेश दिया जिसमे  दिल्ली उच्च न्यायलय के उस निर्णय पर रोक लगा दी जिसमे न्यायलय ने दिल्ली सरकार के 31 मई के उस नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था जिसमे दिल्ली के मजदूरों के न्यूनतम वेतन में 37 % की वृद्धि की गई थी |हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय का आदेश केवल एक अस्थायी राहत है  क्योंकि ये बढ़ी दरे केवल तीन महीने के लिए है , जिसके दौरान दिल्ली सरकार को न्यूनतम मजदूरी बोर्ड का पुनर्गठन करना होगा और नई दरों को तय करने  के लिए अपनी पद्धति को संशोधित करना होगा।

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दिल्ली में विभिन्न औद्योगिक इकाइयों में श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी राज्य सरकार द्वारा तय की जाती है। एक न्यूनतम मजदूरी बोर्ड के माध्यम से जिसमें श्रमिकों, नियोक्ताओं और सरकार के प्रतिनिधि  शामिल  होते हैं। मई 2017 में, सरकार ने  इसी बोर्ड सिफारिश के बाद न्यूनतम मजदूरी में 37% की वृद्धि की घोषणा की थी। हालांकि, दिल्ली में विभिन्न उद्योग निकायों द्वारा इस आदेश की काफ़ी आलोचना की थी । ट्रेड यूनियनों ने वृद्धि का स्वागत किया था और इसे श्रमिकों के लिए एक बहुत ही आवश्यक राहत बतया  था।

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बाद में, उद्योग निकाय इस मामले को अदालत में ले गए, उद्योग मालिको ने बहस करते हुए कहा कि वृद्धि बहुत अधिक और अन्यायपूर्ण है । उन्होंने तर्क दिया कि बढ़ी हुई दरों को तय करने में प्रक्रियाओ का पालन नही किया गया है।

इस मामले को उच्च न्यायालय ने कई महीनों तक सुनवाई की  और दिसंबर 2017 में निर्णय को सुरिक्षित रख लिया था । आखिरकार, अगस्त 2018 में, उच्च न्यायालय ने अपना निर्णय दिया की कि दिल्ली सरकार  मजदूरी में बढ़ोतरी करने का आदेश अस्थिर था क्योंकि उसमें उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया था। जिसके बाद दिल्ली सरकार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले गई थी । इसमें कई ट्रेड यूनियन भी शामिल हुए |

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इस बीच, दिल्ली के ट्रेड यूनियनों ने सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश का स्वागत किया है। दिल्ली के सीआईटीयू अध्यक्ष वीरेंद्र गौर ने एक बयान में कहा कि उन्होंने आदेश का स्वागत करते। उन्होंने दिल्ली सरकार से आग्रह किया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि संशोधन प्रक्रिया को न्यायालय द्वारा निर्धारित तीन महीने के समय सीमा में पूरा हो इसके लिए सरकार को  पूरी लगन व् मेहनत से इस पर कार्य करना चाहिए। सीआईटीयू ने मामले में लागू होने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति का भी स्वागत किया।

सुप्रीम कोर्ट अंतरिम आदेश का विवरण इंतजार कर रहे हैं।

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