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दिल्ली विश्वविद्यालय: स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग की पहली ही कक्षा में दिखा प्रशासन का कुप्रबंधन!

दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग में जल्दबाजी में सेमेस्टर सिस्टम लागू किया गया था। इसे लेकर उठे तमाम विरोधों को दरकिनार कर प्रशासन ने दावा किया था कि व्यवस्था सुचारू होगी लेकिन स्थिति इसके उलट रही। 
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दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) के सेमेस्टर सिस्टम के पहले दिन की कक्षाओं में ही प्रशासन की बदइंतजामी देखने को मिली। स्टूडेंट्स का कहना है कि कई सेंटर्स में टीचर्स तो पहुंचे, लेकिन भीड़ की वजह से कई स्टूडेंट्स बिना कक्षा में गए ही घर लौट गए।

एसओएल के कई छात्रों ने न्यूज़क्लिक को बताया कि नॉर्थ और साउथ कैंपस स्टडी सेंटर में बैठने की जगह ही नहीं थी। कई सेंटर्स में छात्रों को कक्षाओं के अंदर ही नहीं आने दिया गया, जबकि उन्हें सूचना दी गई थी कि क्लास 1 सितंबर से होगी। कई सेंटर्स में छात्रों को वापस ये कहकर लौटा दिया गया कि क्लास 7 सितंबर से होगी। छात्रों ने कुछ जगहों पर उनके साथ हुई बदसलूकी की भी शिकायत की।

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वहीं, इस संबंध में एसओएल के ओएसडी डॉ. रमेश भारद्वाज ने मीडिया को बताया कि सेमेस्टर सिस्टम को लेकर स्टूडेंट्स में इतना उत्साह है कि पहले दिन कई सेंटर्स में 70 पर्सेंट स्टूडेंट्स पहुंचे। कई सेंटर में 5-5 शिफ्ट में ओरिएंटेशन हुआ। हंसराज कॉलेज में दिक्कत इसलिए आई, क्योंकि यहां दूसरे सेंटर से भी स्टूडेंट्स दोस्तों के चक्कर में आ गए।

इस पूरे प्रकरण को लेकर सोमवार को क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) ने एसओएल प्रशासन को अपनी शिकायत दी है। संगठन के सदस्य हरीश ने न्यूज़क्लिक को जानकारी दी कि अभी तक स्टूडेंट्स को यूजीसी गाइडलाइंस के तहत नया स्टडी मटीरियल प्रिंटेड फॉर्म में नहीं दिया गया है। रविवार को कई जगह ओरिएंटेशन डे से शुरुआत हुई, लेकिन शिक्षकों की आवाज कई छात्रों तक नहीं पहुंच पाई। कई जगह छात्र कक्षाओं से बाहर दरवाजों से झांकने को मज़बूर थे।

हालांकि, एसओएल प्रशासन का कहना है कि जो छात्र देरी से पहुंचे या जो दूसरे सेंटर के थे, उन्हें ही सेंटर्स ने लौटाया है।

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एसओएल छात्र भारती ने न्यूज़क्लिक को बताया कि श्रद्धानंद कॉलेज में नए सिलेबस के हिसाब से विषय ही नहीं मिले। कक्षाओं में इतनी भीड़ थी कि कई लोगों को खड़े होना पड़ा। बैठने की व्यवस्था बहुत गड़बड़ थी।

सत्यवती कॉलेज के सेंटर पहुंचीं स्टूडेंट प्रज्ञा ने बताया कि उन्हें कहा गया था कि टाइमटेबल अभी बना नहीं है, इसलिए क्लास टाली जा रही हैं। इतनी दूर से पैसे लगाकर छात्र आए और क्लास ही ना हो, तो बुरा लगता है।

एक अन्य छात्र राकेश का कहना है कि हंसराज कॉलेज में बहुत अफरा-तफरी का माहौल रहा। कुछ कक्षाओं को रद्द भी कर दिया गया। सिक्योरिटी ने स्टूडेंट्स को बाहर कर दिया था। आर्ट फैकल्टी में क्लास तो लगीं, लेकिन स्टूडेंट्स को जमीन पर बैठना पड़ा। स्टूडेंट्स की शिकायत है कि जब एसओएल को पहले से पता था कि इतने सारे स्टूडेंट्स हैं, तो सिर्फ 7-8 कमरे ही क्यों खोले गए, जबकि कॉलेजों में कमरे काफी हैं।

कई छात्रों का ये भी आरोप है कि हंसराज कॉलेज में एक फिल्म की शूटिंग के चलते क्लॉस नहीं दी गईं। यही नहीं, पहले तो छात्राओं को अंदर जाने दिया गया, लेकिन उन्हें बाद में ज़बरदस्ती कॉलेज से बाहर निकाल दिया गया। आर्ट्स फैकल्टी में छात्रों को ज़मीन और खिड़कियों पर भीड़ के कारण बैठकर पढ़ना पड़ा।

गौरतलब है कि केवाईएस ने इससे पहले जल्दबाज़ी में सीबीसीएस लागू करने के विरोध में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल आयोजित कर एसओएल प्रशासन को मिलने को मजबूर किया था। एसओएल अधिकारियों ने यह आश्वासन दिया था कि इस साल से कोई भी कुप्रबंध नहीं होगा। लेकिन इस बार भी प्रशासन ने छात्रों को बेवकूफ़ बनाया है।

जहां शिक्षा और संस्थानों को लेकर सरकार तमाम बड़े-बड़े दावे कर रही है, ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या शिक्षा ऐसी शिक्षा व्यवस्था से देश का भविष्य उज्ज्वल होगा? दिल्ली विश्वविद्यालय में एक बड़ी संख्या एसओएल छात्रों की है। इससे पहले भी कई बार ये छात्र सुविधाओं में बदहाली की शिकायत करते रहे हैं। ऐसे में पहले ही दिन प्रशासन के इस कुप्रबंध पर सवाल उठना लाज़मी है।

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