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डीटीसी की हड़ताल सफल, सरकार ने वेतन कटौती का सर्कुलर वापस लिया

“सरकार हमारे संघर्ष से एक कदम पीछे हुई है लेकिन हमारा डीटीसी बचाने का संघर्ष आगे भी जारी रहेगा।”- संतोष राय,अध्यक्ष, डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर (ऐक्टू)
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डीटीसी कर्मचारियों के आन्दोलन के आगे सरकर को अंतत: झुकाना पड़ा। दिल्ली सरकार ने डीटीसी कर्मचारियों की मुख्य मांग वेतन कटौती के सर्कुलर को वापस ले लिया और कहा है कर्मचारियों का जो भी वेतन कटा है उसके साथ ही आगे से उनके सैलरी वही मिलेगी जो वेतन कटौती से पूर्व थी|

डीटीसी कर्मचारियों  द्वारा पिछले कई माह से लगातर अपने मांगों को लेकर समय–समय पर प्रदर्शन करने व दिल्ली सरकार को चेतावनी के बाद भी जब सरकार ने उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया तो आज दिल्ली में 1988 के बाद पहली बार डीटीसी कर्मचारी हड़ताल पर रहे। सरकार व प्रबन्धन द्वारा डराने व एस्मा लगाने के बावजूद दिल्ली की सड़कों से डीटीसी की बसें गायब रहीं। इस हड़ताल का असर हमें व्यापक स्तर पर दिखा, जहाँ लोग घंटों डीटीसी बसों का इन्तजार करते रहे, परन्तु अंत में उन्हें निराश होना पड़ा।

इस हड़ताल का असर हमें दिल्ली के अधिकतर डिपो पर देखने को मिला। चाहे वो दिल्ली का आज़ादपुर, बीबीएम,कालकाजी डिपो या फिर आईपी डिपो हो, सभी डिपो पर हड़ताल को सफल बनाए के लिए डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर (ऐक्टू) के लोग मौजूद थे। अधिकतर संविदा कर्मचारी तो घर से ही नहीं आये। कुछ स्थायी कर्मचारी आये तो वो भी या तो वापस चले गए या फिर वहाँ चल रहे धरने का हिस्सा बन गए। इस हड़ताल को समर्थन देने के लिए  हरियाणा रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी के नेता भी दिल्ली आए थे। उन्होंने अपने संघर्ष को दिल्ली के डीटीसी कर्मचारियों के संघर्ष से जोड़ा।

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डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर के अध्यक्ष संतोष राय ने कहा कि सरकार हमारे संघर्ष से एक कदम पीछे हुई है लेकिन हमारा डीटीसी बचाने का संघर्ष आगे जारी रहेगा। उन्होंने यह भी कहा अगर आज डीटीसी के बेड़े में बसों को शमिल नहीं किया गया तो 2021 तक डीटीसी पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। इसलिए हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे। अपनी अगली रणनीति हम ट्रेड यूनियनों से चर्चा के बाद तय करेंगे।

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यूनियन नेताओं कहा दिल्ली पुलिस ने सोमवार सुबह 6 बजे से अलग–अलग डिपो से हड़ताल कर रहे यूनियन के नेताओ हिरासत में लेना शुरू कर दिया था। हरिनगर, बीबीएम, सुभाष पैलेस, वजीरपुर और नरेला डिपो में भी यूनियन नेताओं को हिरासत में लिए जाने के बाद भी आज तकरीबन 10 हज़ार कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हुए।

 

डीटीसी कर्मचारियों की मुख्य माँगें यह थीं :-

• वेतन कटौती के सर्कुलर को तुरंत वापस लिया जाए।

• दिल्ली सरकार और निगम के सभी सविंदा कर्मचारियों के लिए समान काम के लिए समान वेतन को लागू किया जाए।

• प्राइवेट बसों को लाकर डीटीसी का निजीकरण नही चलेगा। डीटीसी के लिए नई बसों की खरीद की जाए।

इन तीन मांगो में से सबसे मुख्य मांग वेतन कटौती के सर्कुलर था जिसके बाद ही ये पूरा आंदोलन शुरू हुआ था। उससे सरकार ने रविवार शाम को ही वापस ले लिया था। इसके बाद भी आज यह हड़ताल हुई इसका सबसे बड़ा कारण दिल्ली सरकार का खुद का रैवया रहा है। कर्मचारियों में दिल्ली सरकारी की ओर से लगाए गए एस्मा को लेकर बेहद गुस्सा था।

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इस पूरे आन्दोलन की शुरुआत   21 अगस्त को हुई थी। उस समय डीटीसी प्रबन्धन ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक निर्णय का हवाला देते हुए डीटीसी के कर्मचारियों के वेतन कटौती का फरमान जारी किया था। उसके बाद से ही लगातर डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर इसको लेकर संघर्ष करता रहा है। पूरी दिल्ली में रक्षाबंधन के दिन डीटीसी के सभी संविदा कमर्चारियों ने सामूहिक अवकाश लिया था इसके बाद  इसके लिए डीटीसी के इतिहास में पहली बार डीटीसी वर्कर्स यूनिट सेंटर ने दिल्ली के सभी डिपो पर 25 सिंतबर से लगातर चार दिन स्ट्राइक बैलट अभियान चलाया गया। जिसमें बाकायदा वोटिंग के माध्यम से ये जानने की कोशिश की गई  कि कितने कर्मचारी हड़ताल के पक्ष में हैं। इसके निर्णय चौंकाने वाले थे। इसमें 10 हज़ार से अधिक कर्मचारियों ने भाग लिया और 98% से अधिक कर्मचारियों ने हड़ताल के पक्ष में वोट दिया था जिसके बाद डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर ने 29 अक्टूबर की हड़ताल के पहले एक दिन का  डीटीसी हेडक्वार्टर पर ‘नमक मिर्च रोटी’ प्रदर्शन किया जिसमें भारी संख्या में डीटीसी के कर्मचारी शामिल हुए थे जिसके बाद भी सरकार ने यूनियनों से बातचीत कर उनकी मांगों पर विचार करने की बजाय उनका दमन किया जैसा हरियाणा में भाजपा की खट्टर सरकार कर रही है।

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सोमवार को हड़ताल के दौरान ऐक्टू की नेता श्वेता राज ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकारों को ये समझना चाहिए की जो आपके शहर को रफ्तार देते हैं, आप उनके जीवन में ब्रेक नहीं लगा सकते हैं, परन्तु सरकार यही कर रही है। डीटीसी के कर्मचारी जिन्हें पहले ही वेतन कम मिल रहा था, न्यायालय का बहाना कर उनकी सैलरी काटने से संविदा कर्मचारियों के लिए रोजी रोटी का संकट आ गया था। वैसे भी डीटीसी में संविदा कर्मियों को काम कभी मिलता है, कभी नहीं। उसमें वेतन कटौती करना किसी अन्याय से कम नहीं था।

श्वेता ने कहा कि डीटीसी कर्मचारियों को उनका जो हक़ है, ‘समान काम-समान वेतन’ जो दिल्ली की आप सरकार ने उन्हें वादा किया है वो पूरा नही कर रही है इसके लिए दिल्ली का हर मजदूर लड़ेगा और अपना हक़ लेकर रहेगा। वो इनके इस एस्मा से डरने वाला नहीं है।

उन्होंने कहा ये हड़ताल दिल्ली की सरकार के लिए चेतावनी है कि कर्मचारी को आप डरा-धमका के झुका नहीं सकते हैं। आज हम हड़ताल पर कायम रहे, ये बताने के लिए कि सरकार कर्मचारी यूनियनों से बात कर लोकतांत्रिक तरीके से कर्मचारियों की मांगों का हल करे। सरकार की तानाशाही नहीं सहन की जाएगी।

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इस हड़ताल में हरियाणा रोडवेज में खट्टर सरकार के रोडवेज को निजीकरण करने के प्रयासों के खिलाफ संघर्षरत कर्मचारी तालमेल कमेटी के कर्मचारी भी शामिल हुए और अपना समर्थन दिया। कमेटी के प्रधान ने कहा कि आज पूरे देश में सार्वजनिक परिवहन को बर्बाद करने की साजिश की जा रही है। सभी राज्यों में कर्मचारियों संघर्ष कर रहे हैं। अभी हरियाणा और राजस्थान में रोडवेज के साथी रोडवेज बेचने के खिलाफ लड़ रहे हैं। ये लड़ाई तभी सफल होगी जब सब कर्मचारीएक-दूसरे के साथ आएंगे और हमारी एकजुटता यही दिखाने की है कि हम सब साथ हैं।  

 

 

 

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