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धर्म के नाम पर सार्वजनिक ज़मीनों पर कब्ज़ा उचित है क्या?

भारत सरकार के आँकड़े के मुताबिक केवल दिल्ली में ही 1991 से 2011 के बीच धर्मिक स्थलों की संख्या में दोगुने से भी ज़्यादा की वृद्धि हुई है|
illegal temples
Image Courtesy: Indian Express

दिल्ली और पूरे देश में सार्वजनिक संपत्ति पर धर्म के नाम पर अवैध कब्ज़ा करना कोई नई बात नहीं हैI प्रार्थना स्थलों और पूजा के स्थान के नाम पर अवैध निर्माण या धार्मिक उत्सवों के अवसरों पर ग़ैर क़ानूनी ढंग से पंडाल खड़ा करने की समस्या पूरे देश में अब चिंता का कारण बन रही है, जिसको लेकर कई बार कोर्ट ने भी चिंता ज़ाहिर की है और निर्देश भी जारी किये हैं| यहाँ ध्यान देने की ज़रूरत है की अधिकतर ऐसे धार्मिक स्थल सड़कों, चौक-चौराहों और गली मोहल्लों के अंदर भी तेज़ी से बढ़ रहें हैं|

भारत सरकार के आँकड़े के मुताबिक केवल दिल्ली में ही 1991 से 2011 के बीच धर्मिक स्थलों की संख्या में दोगुने से भी ज़्यादा की वृद्धि हुई है| सरकार की जनगणना अनुसार 1991में दिल्ली में 3,974 धर्मिक स्थल थे, वे 2001 बढ़कर 8,249 और फिर ये 2011 में और भी बढ़कर 8,668 हो गये| ये दिखाता है कि किस तरह धार्मिक स्थलों में लगतार वृद्धि हो रहीI इनमें कई अवैध अतिक्रमण करके बनाए गए हैं|

सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐसे ही एक मामले पर सुनवाई करते हुए कड़ा रुख अपनाया और कहा कि “धर्म के नाम पर किसी को भी सरकारी ज़मीन कब्ज़ाने की इजाज़त नहीं दी जा सकती”|

इसके साथ ही कोर्ट ने बहुत ही कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि “कोई आध्यात्मिकता आपराधिक गतिविधियों से नहीं जुड़ी हो सकती”I आगे कोर्ट ने कहा कि ये “बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और दर्दनाक है” कि शहर में फुटपाथ की सार्वजनिक भूमि पर 108 फुट की हनुमान की मूर्ति बन जाने की अनुमति दी गई थी|

ये मसला काफी दिनों से कोर्ट में चल रहा हैI पिछले वर्ष मई में सुप्रीम कोर्ट द्वार एक टीम गठित की गयीI जिसे दिल्ली में अवैध निर्माण और अतिक्रमण को चिन्हित कर कार्यवाही करने का आदेश दिया थाI इसकी जाँच में ये सामने आया कि पूरी दिल्ली में डीडीए भूमि पर 1,170 वर्ग गज ज़मीन पर अतिक्रमण की बात कही थी| इसमें करोल बाग़ के निकट बनी हनुमान मूर्ति को अवैध तरीके से स्थापित किये जाने की बात सामने आई थी| जिसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस जगह खाली करने का आदेश दिया था|

समिति ने यह भी कहा था कि हनुमान मूर्ति के अलावा, वहाँ एक आवासीय परिसर समेत चार मंजिलों की कई छोटी और बड़ी इमारतों के अनाधिकृत निर्माण है।

परन्तु जब पुलिस ने इसको लेकर स्थानीय निकायों को नोटिस भेज, कार्यवाही की माँग किया तो स्थानीय निकायों ने आस्था का हवाला देते हुए मूर्ति हटाने के प्रस्ताव में संशोधन की माँग की और कोर्ट चला गया| इसी सुनावाई के दौरान कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और सी हरी शंकर की पीठ ने स्थानीय निकाय से कहा था कि मूर्ति को वे एयर लिफ्ट कर कहीं और शिफ्ट कर लें, इसके लिए वे उप राज्यपाल से बात करें|

साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था की स्थानीय निकाय किसी एक जगह पर कानून का पालन करके दिखा दें तो दिल्ली वालों के माइंडसेट में अंतर दिखने लगेगा। निगम निकायों को कई बार मौका दिया जा चुका है, लेकिन कोई ऐसा करना ही नहीं चाहता। 

परन्तु जब कोर्ट ने देखा कि प्रशासन इस अतिक्रमण को हटाने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रहा है, तो कोर्ट ने पिछले साल दिंसबर में इस मामले को सीबीआई को सौंपने का फैसला कियाI साथ ही कोर्ट ने मंदिर के बैंक खाते को तुरंत फ्रीज करने और यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि मंदिर के ट्रस्टी कोई भी पैसा खाते से ना निकल पाएँ|

कोर्ट इस मामले को लेकर काफी गंभीर है उसने सोमवार की अंतिम सुनवाई में सीबीआई को आदेश दिया कि वो किसी के खिलाफ भी कार्यवाही करने और मुकदमा दायर करने के लिए स्वतंत्र हैI कोर्ट यह सुनिश्चित करेगा कि मामला जल्द खत्म हो और दोषियों को उचित सज़ा मिले|

कोर्ट ने भूमि पर अधिकार रखने वाली एजंसियो के रुख पर निराशा ज़ाहिर की और कहा कि उनका रुख बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है, कोई संस्था सामने आकर नहीं कह रही कि इस ज़मीन पर उसका आधिकार हैंI इससे भ्रष्टाचार और सार्वजनिक धोखाधड़ी का गंभीर मुद्दा सामने आता है|

कोर्ट में सीबीआई ने बताया कि स्थानीय निकाय और DDA, जो दिल्ली में भूमि का मालिकाना अधिकार रखते हैं, दोनों ही जाँच में सहयोग नहीं कर रहेI इसको लेकर कोर्ट ने DDA को 6 सिंतबर को स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने को कहा हैI साथ ही सीबीआई को भी जाँच की हर महीने स्टेट्स रिपोर्ट देने का आदेश दिया हैI इस मसले की अगली सुनवाई 6 सिंतबर को है|

यातायात और जनता के लिए संकट पैदा कर रही है

दरअसल यह मामला अतिक्रमण और ट्रैफिक जाम से जुड़ा हुआ हैI करोल बाग और उसके आसपास के इलाके में इस मंदिर के अवैध निर्माण के बाद से लगातार ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है और इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर फिलहाल हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है|

यातायात के बढ़ते दबाव के कारण सड़कों के बीचोंबीच बने धार्मिक स्थल और भी ज़्यादा गंभीर समस्या बन रहे हैं| इन्हें स्थान्तरित करने का एक प्रयास कोर्ट के द्वार किया जा रहा है परन्तु इसे एक अभियान की तरह चलने की आवश्यकता है|

कैसे होता है धार्मिक अतिक्रमण का खेल

हमे समझना होगा की ये धर्मिक अतिक्रमण कोई अपने आप नहीं होता है, बल्कि धर्म और भू-माफियाओं के गठजोड़ से किया जाता है| कई बड़े शहरों में जहाँ जगह काफी महंगी होती वहाँ मंदिर, मस्ज़िद और अन्य धार्मिक स्थलों का निर्माण कर ज़मीन कब्ज़ा करने वाला पूरा गिरोह होता है और कह सकते हैं कि यह एक धंधा बन चुका है| शहर में जहाँ कहीं भी सार्वजनिक जगह खली होता है या व्यवसयिक स्थलों पर सड़कों के किनारे फालतू जगह होती है, वह इन लोगों की गिद्ध दृष्टि में आ जाती हैI यह केवल किसी एक धर्म के लोगों की बात नहीं, बल्कि कमोबेश सभी धर्म के लोग धार्मिक भावनाओं का नाजायज़ फायाद उठाते रहे हैं| सड़कों और गोलचक्करों पर कई मन्दिर और किसी संत या भगवान की मूर्ति या मस्ज़िद, या किसी अनजान पीरफकीर की मजार बनी हुई मिल जाना आम बात है|

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