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गन्ना किसानों की भी सुनिए योगी जी

मौजूदा पेराई सत्र 2018-19 में कुल 33,048 करोड़ रुपये का गन्ना किसानों से खरीदा गया, जिसमें से 28,784 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है। इसका मतलब हुआ कि अब भी इस पेराई सत्र के 4264 करोड़ रुपये का भुगतान गन्ना किसानों का मिलना बाकी है।
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उत्तर प्रदेश में गन्ना पेराई का नया सत्र 2019-20 दीपावली के बाद शुरू होने जा रहा है, लेकिन अब भी चालू पेराई सत्र 2018-19 का चार हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया भुगतान बाकी है। नये पेराई सत्र के लिए अक्टूबर महीने के अंत या नवंबर के पहले या दूसरे हफ्ते में चीनी मिलें गन्ने की पेराई शुरू कर देंगी। हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक-दो मिलों ने पेराई शुरू भी कर दी है। अब जबकि अक्टूबर महीने में बमुश्किल एक हफ्ते का समय बचा है, यह कहा जा सकता है कि चालू पेराई सत्र में गन्ना किसानों को उनका पूरा भुगतान नहीं मिल पायेगा। एक तरफ किसानों की आय  दुगनी करने के लिए अनेक सरकारी योजनाओं व नीतियों का ढोल पीटा जा रहा है तो दूसरी तरफ किसानों को समय पर उनकी फसल का दाम तक नहीं मिल पा रहा है। गन्ना किसानों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है, लेकिन अदालती आदेश भी उन्हें राहत नहीं दिला पा रहा है।

19 अक्टूबर 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग ने गन्ना मूल्य भुगतान की अपडेट रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा पेराई सत्र 2018-19 में कुल 33,048 करोड़ रुपये का गन्ना किसानों से खरीदा गया, जिसमें से 28,784 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है। इसका मतलब हुआ कि अब भी इस पेराई सत्र के 4264 करोड़ रुपये का भुगतान गन्ना किसानों का मिलना बाकी है। इसके अलावा बीते पेराई सत्रों की भी बड़ी रकम बकाया है। यह हाल उस राज्य का है, जो चीनी उत्पादन में देश में पहला स्थान रखता है और जहां पहले के मुकाबले चीनी उत्पादन में भारी इजाफा हुआ है। गत 1 अक्टूबर को जारी सरकार के विभागीय आंकड़ों के मुताबिक, पेराई सत्र 2018-19 में चीनी उत्पादन 118 लाख टन रहा, जबकि 2014-15 में यह उत्पादन 71 लाख टन, 2015-16 में 68 लाख टन, 2016-17 में 88 लाख टन और 2017-18 में 120 लाख टन रहा। सत्र 2019-20 में उत्पादन 125 लाख टन पार कर जाने का अनुमान है। यानी, चीनी उत्पादन में कंपनियों ने बड़ी छलांग लगायी है, फिर भी गन्ना किसानों को समय पर भुगतान वे नहीं कर रही हैं।

उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने सरकार गठन के बाद किसानों को 14 दिन में गन्ना मूल्य भुगतान कराने का वादा किया था। लेकिन उसका वादा, वादा ही रह गया। सच्चाई यह है कि चीनी मिलों ने एक साल में भी पूरा भुगतान नहीं किया है। उत्तर प्रदेश गन्ना (आपूर्ति और खरीद विनियमन) अधिनियम के मुताबिक, 14 दिनों में गन्ना भुगतान नहीं करने पर चीनी मिलों को 15 फीसदी ब्याज देना होता है। लेकिन ब्याज तो दूर की बात किसानों को अपना मूल बकाया पाने के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ता है। इस साल बीते 18 सितंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि प्रदेश के गन्ना किसानों का बकाया एक माह के भीतर 15 फीसदी ब्याज के साथ भुगतान करें। लेकिन अदालत के आदेश के पालन में सरकार और चीनी मिलें विफल रही हैं। हाई कोर्ट ने अपने आदेश के दौरान यह टिप्पणी भी की कि भुगतान के लिए गन्ना किसानों को बार-बार हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है, जिसके लिए प्रदेश के अधिकारी जिम्मेदार हैं। अदालत ने सरकारी अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाते हुए इसे किसानों के उत्पीड़न की तरह बताया।

गन्ने की पेराई मई महीने तक खत्म हो जाती है। कायदे से जून महीने तक पूरा भुगतान हो जाना चाहिए। लेकिन अब भी हजारों करोड़ के बकाया को देखते सरकार ने अक्टूबर के तीसरे सप्ताह तक भी वर्तमान पेराई सत्र का समापन घोषित नहीं किया है। राज्य में चालू पेराई सीजन में कुल 119 चीनी मिलों में पेराई हुई। इनमें से 92 निजी चीनी मिलों पर किसानों का बकाया सबसे ज्यादा है। निजी चीनी मिलों को सरकार की तरफ से तरह-तरह की रियायतें दी जाती हैं, फिर भी मूल्य भुगतान में वे सबसे पीछे हैं। इस मुकाबले 24 को-ऑपरेटिव चीनी मिलों और उत्तर प्रदेश स्टेट शुगर कॉरपोरेशन लिमिटेड की तीन मिलों का रिकॉर्ड बेहतर है।

गन्ना उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी नकदी फसल है। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के लगभग 35 लाख किसान परिवारों की आय का मुख्य स्रोत गन्ने की खेती है। राज्य में 27.94 लाख हेक्टेयर जमीन पर गन्ने की खेती होती है। वर्तमान पेराई सत्र 2018-19 में शुगर यील्ड (चीनी परता) 11.46 फीसदी रही। यह पिछले पेराई सत्र 2017-18 से 0.62 फीसदी अधिक है। इसका मतलब हुआ कि प्रति क्विंटल गन्ने से चीनी निकलना बढ़ा है। किसानों की मेहनत से चीनी मिलों का मुनाफा बढ़ा है। फिर भी किसानों के साथ छल किया जाना बंद नहीं हो रहा है। बकाया भुगतान नहीं होने के कारण इस बार भी राज्य के लाखों गन्ना किसानों की दीपावली फीकी रहेगी।
 

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