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राज्यसभा में उठी यूपी के गन्ना किसानों के बकाया भुगतान की मांग

‘‘एक ओर सरकार किसानों की आय दोगुना करने की बात करती है। लेकिन गन्ना किसानों का बकाया ही अब तक नहीं दिया गया है...।’’
गन्ना किसान
Image Courtesy: Patrika

उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की बकाया राशि के शीघ्र भुगतान की मांग करते हुए समाजवादी पार्टी के एक सदस्य ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि यह राशि ब्याज सहित दी जानी चाहिए।

शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए सपा के सुरेंद्र सिंह नागर ने कहा कि 2018-19 में किसानों का चीनी मिलों पर 10,000 करोड़ रुपया बकाया है और मूल रकम पर इसका ब्याज करीब 2,000 करोड़ रुपये होता है। यह राशि किसानों को तत्काल दी जानी चाहिए।

नागर ने कहा ‘‘एक ओर सरकार किसानों की आय दोगुना करने की बात करती है। लेकिन गन्ना किसानों का बकाया ही अब तक नहीं दिया गया है तो आय दोगुना होना बहुत ही मुश्किल है।’’

उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 42 चीनी मिलों पर किसानों का 5,000 करोड़ रुपये बकाया है।

सपा सदस्य ने मांग की कि राज्य सरकार गन्ना किसानों का बकाया भुगतान, ब्याज के साथ शीघ्र करे। उन्होंने कहा ‘‘यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसानों का भुगतान, निर्धारित 14 दिनों की अवधि के अंदर किया जाए।’’

विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।

आपको बता दें कि 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 14 दिन के भीतर गन्ना बकाया भुगतान का वादा किया था। मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ ने भी इस बात को दोहराया और कुछ सक्रियता दिखाई लेकिन ज़मीन पर कुछ नहीं हुआ।

आपको यह भी जानना चाहिए कि किसान को एक एकड़ भूमि में गन्ने की फसल उगाने में कितनी मेहनत और पैसा लगता है। किसानों के मुताबिक गन्ने की फसल के लिए एक एकड़ खेत को तैयार करने, बीज, खाद, पानी और उसे बीमारी से बचाने के लिए इस्तेमाल होने पेस्टिसाइड सबका खर्चा मिलाकर अनुमानित लागत करीब 40 हज़ार से 50 हजार रुपये तक आती है। किसानों का कहना है कि इतनी लागत लगाने के बाद भी बड़ी मुश्किल से एक एकड़ जमीन में दो सौ से ढाई सौ कुन्तल तक गन्ने की पैदावार हो पाती है। यानी एक एकड़ में 60 हज़ार से 70 हज़ार रुपये तक का गन्ना पैदा होता है।

किसान इस गन्ने की फसल को सरकार द्वारा निर्धारित किये गये गन्ना मूल्य पर शुगर मिलों को उधार में बेचता है। जिसका पैसा भी किसानों को समय पर नहीं मिल पाता है। और अपना पैसा ही मांगने के लिए अगर आंदोलन करो तो पुलिस की लाठियां मिलती हैं।

(भाषा के इनपुट के साथ)

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