किसानों से डरी सरकार, उसके जन और जनतंत्र विरोध का हुआ पर्दाफाश
मुजफ्फरनगर महा पंचायत की किसानो की कामयाबी से भाजपा और उसकी सरकारें कुछ परेशान हैं. सरकार ने होश और समझ से काम लिया होता करनाल में किसानों का नया मोर्चा कभी नहीं खुलता. बदहवास होकर भाजपा ने अब संघ-समर्थक किसान संघ को भी किसी न किसी कोने में कुछ करते रहने का सुझाव दिया है. कई महीने से खामोश बैठे आरएसएस के किसान संघ ने आज जंतर मंतर पर धरना दिया, जिसे टीवी वालों ने वास्तविक किसान आंदोलनकारियों से भी कुछ ज्यादा प्रमुखता दी. कांट्रैक्ट खेती का कानून में जिस एसडीएम को कंपनियों और किसानों के बीच मध्यस्थता का अधिकार दिया गया है, वह स्वयं ही किसानों के सिर पर लाठी बरसाने की बात करता है तो वह न्याय कैसे करेगा? #AajKiBaat में करनाल की किसान मोर्चेबंदी का विश्लेषण कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश.
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