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निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या काफी कम : रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कुल स्कूलों में से निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों की संख्या 22.38% बैठती है, जबकि शिक्षकों की कुल संख्या में से 37.18 फीसद शिक्षक निजी स्कूलों में काम करते हैं।
निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या काफी कम : रिपोर्ट
प्रतीकात्मक तस्वीर। चित्र साभार: डेक्कन हेराल्ड 

यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई+) की 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार, निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का अनुपात तुलनात्मक रूप से काफी कम है। 

भारत में कुल 15,07,708 स्कूल हैं, जिनमें से 10,32,570 स्कूल केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा संचालित किये जा रहे हैं, 84,362 सरकारी सहायता प्राप्त हैं, 3,37,499 गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूल हैं, जबकि 53,277 स्कूलों का संचालन अन्य संगठनों एवं संस्थाओं द्वारा किया जा रहा है। 

केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा प्रकाशित यूडीआईएसई+ की रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर के स्कूलों में कुल 96,02,625 शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें से 49,38,868 सरकारी स्कूलों में काम करते हैं, 8,20,301 सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में काम करते हैं, 36,02,625 निजी स्कूलों में काम करते हैं, और शेष अन्य स्कूलों में कार्यरत हैं। 

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जहां कुल स्कूलों में से निजी एवं गैर-सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की संख्या 22.38% है, वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों की कुल संख्या का 37.18 फीसद हिस्सा निजी स्कूलों में कार्यरत है। देशभर में अधिकांश स्कूल केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा संचालित किये जा रहे हैं। भारत में पाए जाने वाले कुल विद्यालयों में से 68.48 फीसदी हिस्सा सरकारी विद्यालयों का है। हालांकि इन स्कूलों में आवश्यक शिक्षकों का मात्र 50.1% हिस्सा ही कार्यरत है। सरकारी-सहायता प्राप्त स्कूल, जो स्कूलों की कुल संख्या का 5.6 प्रतिशत हैं, के पास शिक्षकों की कुल संख्या का 8.46 फीसदी हिस्सा कार्यरत था, जबकि अन्य स्कूलों में 3.36 फीसद हिस्सा कार्यरत था। 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में इस बात का उल्लेख किया गया है कि प्रत्यके स्कूल के स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) अनुपात को 30:1 के तहत सुनिश्चित किया जायेगा। जहां अधिकांश राज्यों के मामले में यह सच है, वहीं कुछ राज्यों में यह अनुपात काफी अधिक बना हुआ है। प्राथमिक विद्यालयों के स्तर पर, बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब है जहां पर पीटीआर स्तर 55.4 है। दिल्ली (32.7) और झारखण्ड (30.6) दो अन्य राज्य थे, जहां पर प्राथमिक स्तर पर 30 से उपर की पीटीआर थी। जबकि सभी राज्यों ने उच्चतर-प्राथमिक स्तर के लिए पीटीआर 30 से कम था, किंतु माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तरों के मामले में स्थिति उतनी बेहतर नहीं थी।

माध्यमिक स्तर के लिए 30 से उपर के पीटीआर वाले राज्यों में बिहार (51.8), झारखण्ड (33.7), और गुजरात में (32.6) थे। उच्चतर माध्यमिक स्तर के लिए 30 से उपर के पीटीआर वाले राज्यों में ओडिशा (66.1), झारखण्ड (54.5), उत्तर प्रदेश (40.5%), महाराष्ट्र (37), और मध्य प्रदेश (34.6) थे। हालांकि, रिपोर्ट सरकारी और निजी स्कूलों के लिए अलग से पीटीआर की स्थिति उपलब्ध नहीं कराती है। 

यूडीआईएसई के मुताबिक, समूचे 15,07,708 स्कूलों में से सिर्फ 4,51,933 स्कूलों में ही कम से कम एक शिक्षक कंप्यूटर को इस्तेमाल करने और इसका उपयोग करते हुए अध्यापन हेतु प्रशिक्षित थे। यह एक ऐसे समय में है, में जब जारी कोविड-19 महामारी के कारण, ऑनलाइन कक्षाएं ही नियमित दिनचर्या का हिस्सा बन चुकी हैं और पिछले दो वर्षों से बच्चे अपने स्कूलों के भीतर कदम तक नहीं रख सके हैं। 

आंकड़ों से पता चलता है कि सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार लाने के प्रति सरकार का रवैया पूरी तरह से उदासीन बना हुआ है। यह देखते हुए कि निजी स्कूलों के पास बेहतर बुनियादी ढांचा, ज्यादा संसाधन एवं अधिक संख्या में कार्यबल मौजूद है। ऐसे में इस बात से आश्चर्य नहीं करना चाहिए कि जो माता-पिता निजी स्कूलों के खर्च को वहन करने की स्थिति में होते हैं, वे अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजने को तरजीह देते हैं। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Government Schools Have Much Lesser Teachers Compared to Private Schools, Shows UDISE+ Data

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