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गुजरात : मोडासा दलित बलात्कार-हत्या को एसआईटी ने आत्महत्या बताया, कहा न रेप हुआ, न मर्डर

5 जनवरी को 19 साल की दलित लड़की के साथ कथित तौर पर गैंंग रेप हुआ था और उसकी लाश पेड़ से लटकी मिली थी। लेकिन एक एसआईटी टीम ने इस मामले को आत्महत्या क़रार दिया है और आरोपी पर आत्महत्या के लिए उकसाने के तहत मामला दर्ज किया गया है।
गुजरात

गुजरात के अरावली ज़िले के मोडासा में मिली दलित लड़की की लाश, और उसके कथित गैंंग रेप और हत्या के मामले की जांच कर रहे सीआईडी की विशेष जांच टीम(एसआईटी) ने कहा है कि न लड़की का रेप हुआ था, न मर्डर।

फ़िलहाल अधूरी एसआईटी रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़िता आरोपी बिमल भरवाड़ से प्रेम करती थी। रिपोर्ट में लिखा गया है कि 4 और 5 जनवरी की रात को पीड़िता ने ख़ुद को इसलिए फांसी लगा ली क्योंकि बिमल ने उसके साथ रिश्ते में रहने से मना कर दिया था।

अहमदाबाद में डीआईजी गौतम कुमार और एसपी वीरेंद्र सिंह के द्वारा की गई एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में एसआईटी ने 30 दिसम्बर को हुई घटनाओं का ब्यौरा दिया। एसआईटी ने बताया कि पीड़िता, उसकी बड़ी बहन, मुख्य आरोपी बिमल और 3 अन्य आरोपी एशियन ग्रीन होटल गए थे और रात को वहीं रुके थे।

एसआईटी के हेड गौतम परमार ने कहा, "पीड़िता और उसकी बड़ी बहन की आरोपी बिमल भरवाड़ से पिछले साल 14 या 15 दिसम्बर को पहली बार बात हुई थी, और वो उससे पहली बार 17 दिसम्बर को मिले थे।" जांच के अनुसार, बिमल और पीड़िता के बीच अगले कुछ दिनों तक शारीरिक संबंध बने, और वो दोनों एक से ज़्यादा बार पीड़िता के घर और अलग-अलग गेस्ट हाउस में मिले थे। परमार ने कहा कि पीड़िता बिमल के साथ एक स्थायी रिश्ता बनाना चाहती थी, लेकिन बिमल पहले से शादीशुदा था इसलिए उसने दूरी बनानी शुरू कर दी।

उसके बाद उसने पीड़िता का अपने भाई आकाश के साथ रिश्ता बनाने की कोशिश की, ताकि वो उसे धोखेबाज़ी का इल्ज़ाम लगा कर छोड़ सके। परमार ने बताया, "हालांकि ऐसा हुआ नहीं और पीड़िता ने उसका खुलासा करने की धमकी दी।"

परमार ने आगे बताया, "1 जनवरी को पीड़िता ने बिमल को फ़ोन किया और उससे मिलने के लिए कहा। बिमल ने बात पीड़िता की बहन को बताई जिसने उससे उसे दूर रहने को कहा था। लेकिन बिमल पीड़िता से मिला क्योंकि ना मिलने पर उसने उसका खुलासा करने की धमकी दी थी। बिमल उसके गाँव गया, गाड़ी से उसे मोडासा लाया जहाँ उनकी 2 घंटे तक लड़ाई हुई। जब पीड़िता ने बिमल की कार से उतरने को मना कर दिया, उसने उसकी बहन को बुलाया। हालांकि, बहन के आने के बाद भी पीड़िता नहीं मानी इसलिए उसकी बहन ने उसका फ़ोन छीन कर तोड़ दिया ताकि वो बिमल की पत्नी को फ़ोन ना कर सके। अपना फ़ोन देखने के लिए पीड़िता गाड़ी से उतरी, जिसका फ़ायदा उठा कर बिमल भाग गया।"

एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक़, पीड़िता रिक्शा लेकर अपने गाँव वापस गई।

एसआईटी ने आगे बताया कि जांच के दौरान उसने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, फोरेंसिक रिपोर्ट, कॉल डीटेल(पीड़िता के बिमल के नाम 40 कॉल, और शादी करने को कहने वाले 67 मैसेज), CrPC164 के तहत 7 गवाहों के बयान; इन सभी सबूतों को मिलाया गया है जिन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा।

एसआईटी का दावा, क्राइम सीन का पुनर्निर्माण

एसआईटी ने दावा किया है कि उसने सफलतापूर्वक क्राइम सीन का पुनर्निर्माण किया था जिससे यह साबित हो गया कि यह आत्महत्या थी, हत्या नहीं।

इस दावे का समर्थन करते हुए डीआईजी परमार ने कहा, "जैसा पेड़ था, हमने वैसे ही पेड़ का पुनर्निर्माण किया, और एक महिला कांस्टेबल उस पेड़ पर चढ़ीं भी, जिससे साबित हुआ कि ऐसे पेड़ पर चढ़ना बहुत आसान है।"

परमार ने आगे कहा, "इसके अलावा, गले पर दुपट्टे की वजह से आए निशान के अलावा शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं मिले हैं। पोस्टमॉर्टम में पीड़िता के शरीर पर मिले चोट के निशान पेड़ की टहनियों की वजह से हैं। बलात्कार, गैंंग रेप या अननेचुरल सेक्स साबित करने के लिए शरीर पर कोई सीमन या सलाइवा नहीं मिला है। और कॉल रेकॉर्ड्स साबित करते हैं कि पीड़िता ने ख़ुद ही बिमल को बुलाया था, इसलिए ये अपहरण का मामला नहीं है।"

जब उनसे पोस्टमॉर्टम के दौरान वेजाइना और रेक्टल प्रोलेप्स में मिले लिक्विड के बारे में पूछा गया तो परमार ने बताया कि वह लाश के सड़ने की वजह से मिले थे।

एसआईटी रिपोर्ट की ख़ामियाँ

एसआईटी ने ये माना है कि पुलिस अभी भी यह पता लगाने की कोशिश में है कि 1 जनवरी, जब पीड़िता ने सायरा तक रिक्शा लिया था; से लेकर 5 जनवरी के बीच, जब उसकी लाश पेड़ से लटकी मिली थी; उस बीच क्या हुआ था।

एसआईटी की रिपोर्ट के अनुसार, 1 जनवरी को पीड़िता के मूवमेंट को उसके गांव सायरा से मोडासा और उसी दिन एक ऑटोरिक्शा में वापस सायरा तक भेजा गया है। हालांकि, 1 जनवरी के बाद ट्रेस नहीं मिल सका, जिसके बाद वह लापता हो गई, जैसा कि एफ़आईआर में परिवार ने दावा किया है।

परिवार ने पुलिस इंस्पेक्टर एनके रबारी पर भी इल्ज़ाम रिपोर्ट लिखने से मना करने और पीड़िता ने ख़िलाफ़ 2 जनवरी को रिपोर्ट ग़ैरक़ानूनी गिरफ़्तारी का इल्ज़ाम लगाया है।

रबारी पर इसके लिए जांच शुरू हो गई है।

राबरी को गुजरात के पुलिस महानिदेशक ने निलंबित कर दिया था, उनके ख़िलाफ़  आरोप लगे थे और एससी/एसटी सेल के एडीजीपी ने उनके ख़िलाफ़ जांच शुरू की थी।

एसआईटी रिपोर्ट में यह भी साबित नहीं हुए है कि पीड़िता ने 4 दिन बाद आत्महत्या क्यों की, और उसे वो चोटें कैसे लगीं जो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की ante-मॉर्टम दिखाई गई थीं। पोस्टमॉर्टम में बताया गया था कि गले के अलावा अलग अलग जगहों पर ब्राउन रंग के निशान मिले थे।

आरोपी

मुख्य आरोपी बिमल भरवाड़ पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के विभिन्न सेक्शन के तहत मामला दर्ज किया गया है। साथ ही आईपीसी की धारा 306 यानी आत्महत्या के लिए उकसाने, धारा 201 यानी सबूत मिटाने और धारा 504 यानी पीड़िता को फ़ोन पर अश्लील बातें करने के तहत भी मामले दर्ज हुए हैं।

अन्य तीन आरोपी सतीश, जिगर परमार और धर्षण भरवाड़ पर कोई आरोप साबित नहीं हुआ है। भरवाड़ पर कोर्ट के आदेश के अनुसार नार्को टेस्ट होने वाला है।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Gujarat: SIT Says No Rape, No Murder in Modasa Dalit Rape Case

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