Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

हिमाचल : सात सैनिकों की मौत के बाद सीएम कह रहे हैं इमारत अवैध थी

अफसोस हर बार हादसे के बाद ही पता चलता है कि इमारत तय मानकों के अनुसार नहीं बनी थी। मुख्यमंत्री भी अब कह रह हैं कि राज्य में इस तरह की कई इमारतें हैं, जिनमें नियमों का पालन नहीं किया गया है।
सोलन में इमारत गिरी
Image Courtesy: Hindustan

हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में चार मंजिला इमारत गिरने से सेना के सात जवानों समेत कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई है। मलबे में कई लोगों के दबे कहोने की अब भी आशंका है।

मगर अफसोस हर बार हादसे के बाद ही पता चलता है कि इमारत तय मानकों के अनुसार नहीं बनी थी। वो चाहे 2018 में इसी जुलाई महीने में उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी में इमारत का गिरना हो या इसी साल मई महीने में गुजरात के सूरत में कोचिंग सेंटर में आग लगने का मामला या फिर फरवरी में दिल्ली के करोलबाग में होटल का अग्निकांड सभी में बाद में बताया जाता है कि यहां तय मानकों का उल्लंघन किया जा रहा था।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री भी अब कह रह हैं कि राज्य में इस तरह की कई इमारतें हैं, जिनमें नियमों का पालन नहीं किया गया है। अब इन सबकी जांच की जाएगी।

पुलिस ने सोमवार को बताया कि यह इमारत नाहन-कुमारहट्टी सड़क पर स्थित थी जो रविवार शाम की भारी बारिश के बाद गिर गयी। इसमें एक रेस्त्रां भी था।

अधिकारियों ने बताया कि सेना के सात जवानों और एक नागरिक का शव अब तक मलबे से बाहर निकाला गया है।

सोलन उपमंडल के मजिस्ट्रेट रोहित राठौर ने बताया कि कम से कम सात लोगों के अब भी मलबे में दबे होने की आशंका है।

उन्होंने कहा कि मलबे में फंसे लोगों की वास्तविक संख्या का पता बचाव अभियान खत्म होने के बाद ही चलेगा। ऐसी उम्मीद है कि यह बचाव अभियान शाम तक समाप्त हो जाएगा।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सोमवार सुबह घटनास्थल का दौरा किया और उन्होंने बताया कि शुरुआती जांच से पता चला है कि यह इमारत तय निर्देशों के अनुसार नहीं बनी थी।

उन्होंने कहा, ‘‘मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया गया है और रिपोर्ट मिलने के बाद उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस इमारत के मालिक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘ राज्य में इस तरह की कई इमारतें हैं। नियमों का बिना पालन किए हुए मालिकों ने इसका निर्माण किया है। इसकी जांच के लिए जिस चीज की भी जरूरत है उसे किया जाएगा।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ बचाव अभियान अब भी जारी है। जरूरी उपकरण एक हेलीकॉप्टर की मदद से शिमला के सुन्नी से बचाव अभियान चलाने के लिए रविवार शाम ही मंगवा लिया गया था।’’

उन्होंने कहा कि मलबे में फंसे लोगों की वास्तविक संख्या का पता बचाव अभियान खत्म होने के बाद ही चलेगा।

एक घायल सैनिक ने संवाददाताओं को बताया कि यह इमारत जब गिरी उस दौरान यहां सेना के 35 कर्मी मौजूद थे जिनमें से 30 जूनियर कमिशन्ड अधिकारी (जेसीओएस) और पांच सैनिक थे।

उन्होंने बताया कि निकट के डगशाई छावनी के चार असम रेजिमेंट के जवान ‘पार्टी करने के लिए एक रेस्त्रां में गए थे क्योंकि यह रविवार का दिन था लेकिन अचानक से इमारत हिली और तुरंत ही गिर गई।’’

वहीं एक अन्य घायल सैनिक राकेश कुमार ने बताया कि घटना के समय सेना के कई कर्मियों समेत रेस्त्रां के कर्मी और अन्य ग्राहकों समेत करीब 50 लोग मौजूद थे।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमने सोचा कि भूकंप आया है और हमें नहीं याद कि यह इमारत कैसे गिर गई और हम मलबे के अंदर दब गए। मैं करीब 10-15 मिनट तक फंसा रहा जिसके बाद कुछ लोगों ने मुझे बचाया।’’

आपदा प्रबंधन के निदेशक सह विशेष राजस्व सचिव डी सी राणा ने पीटीआई-भाषा को बताया कि शुरुआत में भारतीय सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और पुलिस ने संयुक्त रूप से बचाव अभियान की शुरुआत की। इसके बाद राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की दो टीम रविवार रात में घटनास्थल पर पहुंचकर बचाव अभियान में जुट गई।

ये दो टीमें हरियाणा के पंचकूला और शिमला के सुन्नी से थीं। वहीं तीसरी टीम भी पंचकूला से पहुंची और सोमवार सुबह बचाव अभियान शुरू किया।

(भाषा के इनपुट के साथ)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest