“हम जानते हैं, कि हम हार नहीं मानेंगे!"
एलजीबीटीक्यू+ अधिकार समूहों और उससे जुड़े पोलैंड के कार्यकर्ताओं को सत्ताधारी लॉ एंड जस्टिस पार्टी (PiS), और कैथोलिक चर्च के विभिन्न वर्गों सहित दक्षिणपंथी समूहों से लगातार ख़तरों का सामना करना पड़ रहा है। अक्टूबर में होने वाले राष्ट्रीय चुनावों में पीआईएस ने एलजीबीटीक्यू+ अधिकारों को हासिल करने को अपने कैंपेन का मुख्य नारा घोषित कर दिया है। पीपल्स डिस्पैच ने देश में एलजीबीटीक्यू+ अधिकारों की वर्तमान स्थिति और दक्षिणपंथी समूहों से एलजीबीटीक्यू + समुदाय के साथ होने वाले अत्याचारों के बारे में पोलैंड की इक्वलिटी परेड (परादा रोनकोनी) के वालंटियर मैग्डेलेना पाजेक के साथ बात की।
पीपल्स डिस्पैच (पीडी): पूर्वी यूरोप के अन्य देशों और सामान्य रूप से पूरे यूरोप की तुलना में पोलैंड में एलजीबीटीक्यू+ के अधिकारों की वर्तमान स्थिति क्या है?
मागदालेना पाजेक (एमपी): पोलैंड समान-लिंग विवाह को मान्यता नहीं देता है। पंजीकृत सहयोगी बनने के लिए भी कोई प्रावधान नहीं है। जैसे, समान-लिंग वाले युगल बच्चों को गोद नहीं ले सकते हैं। ट्रांसजेंडर लोगों के लिए, यह संक्रमण कठिन है और सालों लग जाते हैं, क्योंकि उन्हें चिकित्सा उपचार से गुज़रना पड़ता है। जबकि ग़ैर-बाइनरी लोगों के संबंध में कोई क़ानून नहीं हैं। यह स्थिति पूर्वी यूरोप के अन्य देशों के समान है।
पीडी: ऐसा बताया गया है कि पोलैंड में इस साल लगभग 24 प्राइड परेड तय की गई हैं। क्या देश की राजधानी में एक बड़ी परेड आयोजित करने के बजाय देश भर में इतनी बड़ी संख्या में परेड आयोजित करने का कोई विशेष कारण है?
एमपी: इस वर्ष लगभग 30 गौरव मार्च(प्राइड परेड) आयोजित किए जा रहे हैं। सभी मार्च की जानकारी रखना कठिन है क्योंकि देश में अधिक से अधिक लोग इन कार्यक्रमों को आयोजित करने का निर्णय ले रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के लोग पोलैंड में कई जगहों पर रहते हैं और उनके लिए वारसॉ में गौरव मार्च में हिस्सा लेना मुश्किल होता है। वे अपने शहर में अपने अस्तित्व को भी दिखाना चाहते हैं, जो आज काफ़ी महत्वपूर्ण हो गया है, ख़ासकर पोलैंड की वर्तमान राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए। पोलैंड में कैथोलिक चर्च एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के बारे में झूठ फैला रही है, यहां तक कि हमें वे "बीमारी" या "प्लेग" भी कहते हैं। यही कारण है कि लोगों ने मार्च करने का फ़ैसला किया, सभी को यह दिखाने के लिए कि हम सामान्य लोग हैं जिनसे आप स्कूल, काम करने की जगह, दुकानों पर रोज़ मिलते हैं। यह परेड, मार्च के महीने से शुरू हुई थी और संभवत: अक्टूबर या नवंबर तक चलेगी, हालांकि इस बारे अभी कुछ कहना मुश्किल है। व्यावहारिक रूप से देखा जाए तो हर सप्ताह के अंत में एक परेड होती है और कभी-कभी दो सप्ताहांत में भी होती है, उदाहरण के लिए 7 सितंबर को काटोविस में और 8 सितंबर को कोनिन में परेड होगी।
पीडी: पोलैंड में कुछ स्थानों पर प्राइड परेड पर हमले क्यों हुए? इसके अपराधी कौन हैं?
एमपी: हमलावर मुख्य रूप से फ़ुटबॉल के छद्म-प्रशंसक और धुर राष्ट्रवादी, नव-फ़ासीवादी संगठनों के सदस्य हैं। इसके अलावा, इसके लिए पोलैंड में कैथोलिक चर्च और उसके पादरियों और यहां तक कि बिशपों को भी दोष दिया जाना चाहिए, जो चर्च के पदानुक्रम में उच्च हैं, लोगों को इन हमलों के लिए प्रोत्साहित करते हैं, कहते हैं कि एलजीबीटीक्यू+ लोग पोलैंड और उसकी संस्कृति के लिए ख़तरा हैं। पोलैंड का मुख्य टेलीविज़न कार्यक्रम, जो सरकार द्वारा नियंत्रित है, अक्सर पोलैंड में प्राइड परेड के बारे में सच्चाई को परे करते हुए, नकली सामग्री और वीडियो प्रस्तुत करता है। कई नागरिक, दुर्भाग्य से, इस ख़बर को देखते हैं और इसे सच मान लेते हैं।
पीडी: पोलैंड में कौन से प्रमुख ताक़तें हैं जो एलजीबीटीक्यू + अधिकारों और प्राइड परेड का विरोध करते हैं? उनके प्रमुख तर्क और अभियान क्या हैं?
एमपी: पोलैंड में एलजीबीटीक्यू+ के प्रमुख विरोधियों में से एक रोमन कैथोलिक चर्च है, जो यहां बहुत सम्मानित है। बिशप और अन्य अधिकारियों का दावा है कि समलैंगिक होना प्रकृति के ख़िलाफ़ है। वे एलजीबीटीक्यू + समुदाय पर हमलों को भी वैध ठहराते हैं, यहां तक कि हमलावरों को 'पोलैंड' के बहादुर लड़ाके कहकर उनका धन्यवाद भी देते हैं। ऐसे कई अभियान भी चलाए गए हैं जिनमें ड्राइविंग ट्रकों पर उनके बयानों को लिखा गया है, जैसे "समलैंगिक लोग अपराधी हैं" और ऐसे आँकड़े दिए जाते हैं जो किसी आधिकारिक शोध पर आधारित नहीं हैं। उन ट्रकों में स्पीकर भी होते हैं, जैसे कि, जब वे शहर की बीच से गुज़रते हैं तो उन्हें बजाया जाता है, जिसे नोटिस करना मुश्किल नहीं होता है। उन रिकॉर्ड किए गए संदेशों को वारसॉ शहर के केंद्र में वक्ताओं के माध्यम से संबोधित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, एलजीबीटीक्यू+ वर्गों से लड़ने वाले नव-फ़ासीवादी संगठन ख़ुद को देश के उद्धारक के रूप में प्रस्तुत करते हैं।
पीडी: आपको अभी तक पोलिश समाज से किस तरह का समर्थन मिला है? देश में कौन से वर्ग और संगठन हैं जो एलजीबीटीक्यू+ अधिकारों का समर्थन कर रहे हैं?
एमपी: रोज़मर्रा की बातचीत में, तो ऐसा लगता है जैसे कि अधिक से अधिक लोग एलजीबीटीक्यू+ समुदाय को स्वीकार करते हैं और पंजीकृत सहयोगी के विषय के बारे में सकारात्मक हैं, जिसे वे स्वीकार करते हैं। गोद लेने के विषय पर एक समस्या है, इस पर विचार बहुत विभाजित हैं। हालांकि, यह सुनिश्चित करना कठिन है, क्योंकि राजधानी के लोगों का अन्य स्थानों के लोगों से बहुत अलग दृष्टिकोण है। कई स्थानों पर, होमोफ़ोबिया प्रमुख दृष्टिकोण है। अभी विपक्ष में, वामपंथी राजनीतिक दल, एलजीबीटीक्यू+ अधिकारों का समर्थन करते हैं। चुनाव से पहले अपने अभियानों में, उन्होंने पोलैंड में क़ानूनी साझेदारी की अवधारणा को पेश करने की आवश्यकता पर भी बल दिया था।
पीडी: देश में एलजीबीटीक्यू + अधिकारों को आगे बढ़ाने और रूढ़ीवादी दक्षिणपंथी वर्गों के हमलों का सामना करने के लिए आपकी भविष्य की कार्य योजनाएं क्या हैं?
एमपी: हम अपने प्राइड मार्च और नए मार्च का आयोजन जारी रखना चाहते हैं। पोलैंड में आगामी चुनाव हैं, इसलिए हम आशा करते हैं कि लोग ऐसी सरकार चुनेंगे जो नागरिकों को जीवित रहने का हक़ देगी - सभी नागरिकों को, चाहे वह एलजीबीटीक्यू+ हो या अन्य समुदाय। अभी, हम सिर्फ़ लड़ते रहना चाहते हैं और यह दिखाना चाहते हैं कि हम ग़ायब होने वाले नहीं हैं, हम केवल इस बात से रुकेंगे नहीं कि वे हमसे नफ़रत करते हैं। यह कठिन है क्योंकि मीडिया बहुत आक्रामक है और हम में से कई लोगों ने इन कुछ महीनों में शारीरिक या मौखिक रूप से हमला झेला है। हालाँकि, हम जानते हैं कि हम हार नहीं मानेंगे, हमें समाज को यह दिखाने की आवश्यकता है कि हम सभी लोग एक जैसे हैं और हम किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचान चाहते है।
Courtesy: Peoples Dispatch
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