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हरियाणा चुनाव : आइआरईओ घोटाले को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी को निशाना क्यों नहीं बनाया?

जहां भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान संदिग्ध भूमि सौदों पर कांग्रेस के नेताओं पर हमला किया वहीं कांग्रेस ने बीजेपी नेताओं की आलोचना करने में काफ़ी पीछे रही।
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हरियाणा विधानसभा के लिए सोमवार 21 अक्टूबर को होने वाले चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कांग्रेस के नेताओं पर हमला करने की अपनी सारी कोशिशें कीं। इन नेताओं में प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा जैसे नेता भी शामिल थे। फिर भी, कांग्रेस ने आइआरईओ समूह से संबंधित रियल एस्टेट घोटाले को लेकर बीजेपी को निशाना बनाना नहीं चाहा। इस घोटाले में कुछ बीजेपी नेता कथित रूप से जुड़े हुए हैं।

भारत सरकार की एजेंसियां जैसे आयकर विभाग, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ई़डी) कांग्रेस नेताओं से संबंधित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर काफ़ी ज़्यादा सक्रिय रही है। जिन कांग्रेस नेताओं पर इन एजेंसियों ने कार्रवाई करने में सक्रियता दिखाई उनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई शामिल हैं।

पिछले दो महीने से भी कम समय में हुड्डा को भूमि आवंटन मामले में अपना बचाव करने के लिए पंचकुला की विशेष सीबीआई अदालत में पेश होना पड़ा। इसी तरह आदमपुर के मौजूदा विधायक बिश्नोई बेनामी संपत्तियों और कथित कर चोरी के आरोप में ईडी और आईटी एजेंसियों के रडार पर रहे हैं। इन दोनों कांग्रेस नेताओं ने भ्रष्टाचार में शामिल होने से इनकार किया है और सत्तारूढ़ सरकार की कार्रवाई को "प्रतिशोध की राजनीति" बताया है।

हालांकि चौंकाने वाली बात ये है कि कांग्रेस ने गुड़गांव स्थित एक रियल एस्टेट समूह आइआरईओ से संबंधित एक अरब डॉलर के घोटाले से जुड़े आरोपों को लेकर बीजेपी पर हमला करने से परहेज़ किया है जिसने पहले ट्रम्प ऑर्गनाइजेशन (अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की अध्यक्षता में) की भागीदारी की थी।

इस समूह के प्रमोटरों में से एक और घोटाले के मुख्य आरोपी ललित गोयल हैं जो प्रभावशाली बीजेपी नेता और व्यवसायी सुधांशु मित्तल (जिनकी कंपनी एनसीआर में पंडाल और तंबू निर्माण का काम करती हैं) के रिश्तेदार हैं। मित्तल का दावा है कि उसका अपने रिश्तेदार के व्यवसायों से कोई लेना-देना नहीं है।

साल 2018 में वैश्विक निवेश कंपनियां जैसे एक्सॉन कैपिटल और चिल्ड्रन इन्वेस्टमेंट फंड फ़ाउंडेशन ने कथित तौर पर आरोप लगाया था कि प्रबंध निदेशक और आइआरईओ समूह के उपाध्यक्ष ललित गोयल ने अंतरराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा इस समूह में लगभग 300 मिलियन डॉलर निवेश किए जाने के बाद "फ़र्ज़ी" कंपनी का इस्तेमाल करके लगभग 10,000 करोड़ रुपये का घपला किया था।

इन सबके अलावा जिन्होंने गुड़गांव, मोहाली और पंचकूला में आइआरईओ समूह की आवास परियोजनाओं में अपार्टमेंट और विला ख़रीदे थे उन्होंने भी 10,000 करोड़ रुपये का आरोप लगाया और नवंबर 2018 में समूह के प्रमोटरों के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

यह आरोप लगाया गया है कि गोयल के राजनीतिक जुड़ाव ने घोटाले की सक्रिय जांच करने से जांच एजेंसियों को पीछे कर दिया है। इस मामले में व्हिसल-ब्लोअर और आइआरईओ समूह में पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमेश सनका ने जुलाई 2018 में एनडीटीवी से कहा था: “ललित (गोयल) का ख़ुद राजनीतिक दलों में रिश्तेदार हैं। राजनीतिक दबाव ही इसे (कार्रवाई) रोक रहा है। यही मेरी राय और समझ है।”

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) में सीरियस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन ऑफ़िस (एसएफ़आइओ) में शिकायतें दर्ज की गई थीं, जिसके तहत आइटी विभाग काम करता है। एनडीटीवी ने रिपोर्ट किया था कि इन एजेंसियों ने इस घोटाले के बारे में कोई विशेष जानकारी होने से इनकार किया था।

इकनॉमिक टाइम्स ने नवंबर 2018 में रिपोर्ट लिखी थी कि सनका द्वारा आइआरईओ समूह के मामलों की जांच की मांग किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने एसएफ़आईओ और सीबीडीटी को उसी साल जुलाई में नोटिस भेजा था।

जून 2018 में मित्तल ने अपने रिश्तेदार से ख़ुद को अलग होने का एलान किया था। उन्होंने ट्वीट किया था: “वह (ललित गोयल) मेरे रिश्तेदार हैं जो आइआरईओ में एक पेशेवर पद पर हैं, फिर भी मैं बहुराष्ट्रीय फंड आइआरईओ में हितधारक नहीं हूं। इसके अलावा उन पर लगे सभी आरोपों की जांच की गई और उन्हें ग़लत पाया गया।"

यह शायद ही पहली बार हो जब मित्तल विवादों में घिर गए हों। दिल्ली का 'टेंटवाला' कहे जाने वाले के तौर पर उन्होंने 2006 में एक साक्षात्कार में आउटलुक पत्रिका से कहा था कि उनका परिवार “दिल्ली में सबसे बड़े टेंट हाउस व्यवसाय का मालिक है।”

मित्तल स्वर्गीय प्रमोद महाजन के क़रीबी थे जो अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। उन्होंने साक्षात्कार में अपने और महाजन के ख़िलाफ़ आरोपों से इनकार किया था और दावा किया था कि इन सब चीज़ों को "बीमार ज़ेहनियत" द्वारा फैलाया जा रहा है। महाजन की 2006 में उनके भाई प्रवीण महाजन ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

मित्तल और उनकी कंपनियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले परिसरों पर आईटी विभाग द्वारा अक्टूबर 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों (सीडब्ल्यूजी) के अनुबंधों से संबंधित घोटालों में उनकी कथित भूमिका को लेकर छापा मारा गया था जो उसी वर्ष राजधानी में आयोजित किया गया था। उन्होंने अपनी बेगुनाही का विरोध किया: “77,000 करोड़ रुपये कुल सीडब्ल्यूजी खर्च में मेरी कंपनी ने केवल 29 लाख रुपये का कारोबार किया और अब मुझे भ्रष्टाचारी के तौर पर देखा गया है। क्या यह सही है?"

दीपाली डिज़ाइन्स नामक एक कंपनी ने 230 करोड़ रुपये का अनुबंध प्राप्त करने में कामयाबी हासिल की जिसके लिए मित्तल से पूछताछ की गई लेकिन उन्होंने किसी भी तरह की अनियमितता से इनकार किया। उन्होंने अक्टूबर 2010 में कहा: “दीपाली डिज़ाइन्स में मेरा एक भी शेयर नहीं है। कंपनी में मेरे किसी भी क़रीबी रिश्तेदार का एक का भी शेयर नहीं है। एक स्वतंत्र निदेशक के रूप में कंपनी के बोर्ड में शामिल होने के लिए मुझसे अनुरोध किया गया था। मैं इसी साल फ़रवरी में शामिल हुआ और जुलाई में छोड़ दिया।”

ललित गोयल ने भी दावा किया है कि उन्हें ग़लत तरीक़े से निशाना बनाया गया है। उन्होंने पूछा कि "क्या यह मेरी ग़लती है कि मेरी बहन की शादी एक राजनेता से हुई है?"

आइआरईओ समूह इससे पहले 2010 में आईटी विभाग के अधिकारियों के निशाने पर आया था जब इसने मॉरीशस और साइप्रस जैसे टैक्स हेवन्स से 26 भारतीय कंपनियों में 7,300 करोड़ रुपये की आमदनी की जांच की थी, जिसमें "लेनदेन" को लेकर संदेह बढ़ रहा था।

ऐसे में कांग्रेस नेताओं ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव के दौरान एक बार भी आइआरईओ घोटाले को लेकर बीजेपी और उसके नेताओं की आलोचना क्यों नहीं की? शायद, भूपिंदर सिंह हुड्डा के पास इसका जवाब हो सकता है।

अंग्रेजी में लिखा मूल लेख आप नीचे लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं। 

Haryana Polls: Why Did Congress Not Target BJP Over IREO Scam?

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