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लखनऊ में हुई वामदलों की रैली में संविधान और लोकतंत्र बचाने का आह्वान 

''वैसे तो गोदी मीडिया का जमाना चल रहा है लेकिन जो चंद पत्रकार ईमानदारी से काम कर रहे हैं  उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।'' 
Rally

महंगाई, बेरोज़गारी, महिलाओं, अल्पसंख्यकों व दलितों का दमन, आरक्षण के साथ छेड़छाड़, स्वतंत्र पत्रकारिता पर हमले और बुलडोजर राज के ख़िलाफ़ लोकतंत्र की रक्षा के लिए " संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ " नारे के साथ सभी वाम दलों ने एकजुटता प्रदर्शित करते हुए लखनऊ के इको गार्डन में संयुक्त महारैली का आयोजन किया। रैली में इन मुद्दों के अलावा जातिगत जनगणना उत्तर प्रदेश सहित देशभर में कराने, संसद- विधानसभा में महिला आरक्षण परिसीमन का बिना इंतज़ार किये तुरंत लागू करने, प्रधानमन्त्री द्वारा बिना देरी किये इजरायल का समर्थन करने लेकिन जातीय हिंसा में महीनों से जल रहे मणिपुर पर एक शब्द न बोलने और निष्पक्ष और जनवादी पत्रकारिता करने वाली न्यूज़क्लिक को दबाने की कोशिश, CBI छापे, UAPA में केस दर्ज होने जैसे महत्वपूर्ण सवालों को भी उठाया गया।

यह रैली भाकपा- माले, माकपा, भाकपा, फॉरवर्ड ब्लॉक, और लोकतांत्रिक जनता दल(एलजेडी) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई थी। रैली को माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा- माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, भाकपा महासचिव डी. राजा, फॉरवर्ड ब्लॉक के महासचिव जी देवराजन, एल.जे.डी. अध्यक्ष जावेद रज़ा, माकपा नेत्री सुभाषिनी अली, माले नेत्री कृष्णा अधिकारी, राष्ट्रीय जनवादी पार्टी अध्यक्ष हरीश चंद्रा, जन एकता मंच के अध्यक्ष डी.के. यादव आदि ने संबोधित किया।

प्रदेश के हर जिले से सभी वामपंथी दलों के हजारों कार्यकर्ता रैली में शामिल होने लखनऊ पहुंचे थे। एक लंबे अरसे बाद उत्तर प्रदेश की सरजमीं पर वामपंथियों का ऐसा जमावड़ा देखा गया। रैली को सफल बनाने के लिए भाकपा- माले, माकपा, भाकपा, फॉरवर्ड ब्लॉक के caders कई दिनों से तैयारियों में जुटे थे। जनसंपर्क से लेकर पर्चा वितरण, फंड कलेक्शन तक में हर कार्यकर्ता दिन रात जुटा था। इसी क्रम में 9 अक्टूबर को मोटर साईकिल रैली भी निकाली गई।

11 अक्टूबर की रैली के लिए दूरदराज जिलों से कार्यकर्ता 10 की रात को ही पहुंचना शुरू हो गए थे। उन्हें कोई तकलीफ़ न हो इसके लिए चारबाग रेलवे स्टेशन पर स्वागत बूथ लगाए गए थे। 11 की सुबह होते होते तक हजारों की संख्या में कार्यकर्ता इको गार्डन पहुंच चुके थे हालांकि आने का यह सिलसिला देर तक चलता रहा।

हाथों में लाल झंडा, सिर पर लाल टोपी और कांधों पर लाल गमछा डाले कार्यकर्ता रेलवे स्टेशन, बस अड्डों से पैदल मार्च करते हुए ही इंकलाबी नारे लगाते हुए रैली स्थल तक पहुंच रहे थे। भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सैकड़ों पुलिस कर्मी धरना स्थल के अंदर बाहर तैनात किये हुए थे। इन्हीं में से एक शाहजहांपुर से आये भाकपा के बुजुर्ग कार्यकर्ता ने बताया कि उनके यहां से गुजर कर लखनऊ जाने वाली तकरीबन पांच ट्रेनों को आज के लिए रद्द कर दिया गया था ताकि लोग रैली में शामिल न हो सके। फिर भी वे लोग किसी तरह रैली में पहुचे।

एक तरफ़ तरसता भारत एक तरफ चमकता भारत

रैली को संबोधित करते हुए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने उत्तर प्रदेश के लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि लोकतंत्र और संविधान बचाने की जिम्मेदारी इसी राज्य के लोगों पर है, क्योंकि सबसे ज्यादा सांसद इसी प्रदेश से चुनकर आते हैं। 

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने देश में हिंसा और सांप्रदायिकता का जो वातावरण बना दिया है, उससे अब देशवासी मुक्ति चाहते हैं। 75 साल की आजादी में हमारे देश के संविधान के सामने इतनी बड़ी चुनौती कभी खड़ी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के चार स्तंभ हैं – धर्मनिरपेक्ष जनतंत्र, आत्म-संप्रभुता यानी देश की संपत्ति पर देश के लोगों का आधा हक, सामाजिक न्याय और संघवाद। इन चारों पर अभी जिस तरह का हमला चल रहा है वैसा पहले कभी नहीं हुआ।

भाजपा शासित राज्यों में कानून बनाकर अल्पसंख्यकों पर जुल्म हो रहे हैं – कहीं गोरक्षा के नाम पर कहीं लव जेहाद के नाम पर तो कहीं धर्मांतरण के नाम पर। सभी धर्मों के बीच समानता का जो अधिकार संविधान देता है, उसका पूरी तरह उल्लंघन हो रहा है। यही हाल मानवाधिकार का है। भीमा-कोरेगांव मामले में यूएपीए के तहत लोग वर्षों से बिना चार्जशीट के जेल में हैं। वैसे तो गोदी मीडिया का जमाना चल रहा है लेकिन जो चंद पत्रकार ईमानदारी से काम कर रहे हैं,उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। 

इस सिलसिले में उन्होंने न्यूजक्लिक पर ईडी और सीबीआई के छापों का हवाला दिया।

उन्होंने कहा कि जो भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे जेल में डाल दिया जाता है।

आत्म-संप्रभुता के विषय पर येचुरी ने कहा कि सरकार बेरोजगारी घटने का दावा करती है, लेकिन देश का 45 प्रतिशत युवा बेरोजगार है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे युवा आबादी वाला देश है। अगर इसे अच्छी शिक्षा और रोजगार मुहैया कर दिया जाए, तो अपने आप एक बेहतर भारत बन जायेगा। उन्होंने कहा कि मोदी जी के पूंजीपति मित्रों ने बैंकों से 16 लाख करोड़ का जो कर्ज लिया था उसे माफ कर दिया गया है। लेकिन किसानों का छोटा छोटा कर्ज माफ नहीं किया जाता।

उन्होंने कहा कि एक तरफ ‘चमकता भारत’ है, जो पूंजीपतियों का है। दूसरी तरफ आम लोगों का ‘तरसता भारत’ है, जिसका नुमाइंदा यह लाल झंडा है। असली लड़ाई इसी चमकते भारत और तरसते भारत के बीच है। सामाजिक न्याय का हाल बयान करते हुए येचुरी ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं पर हमले चल रहे हैं। उन्होंने संघवाद को खतरे में बताते हुए कहा कि जिन राज्यों में गैर-भाजपा सरकारें हैं उन्हें केंद्र सरकार धनराशि व अन्य साधनों से वंचित कर रही है। येचुरी ने कहा कि इस सरकार ने नया संसद भवन तो बना दिया लेकिन संसद की गरिमा गिरा दी। भाजपा के सांसद ने भरे सदन में गालियां दीं। 11 मिनट में 14 कानून पास कर संसद को मजाक में बदल दिया गया। उन्होंने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में किये जा रहे बदलाव पर भी सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि पहले चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश करते थे। अब प्रधान न्यायाधीश की जगह कैबिनेट मंत्री को लाकर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को सरकार पूरी तरह अपने हाथ में लेने जा रही है।

फिलिस्तीन की आज़ादी का समर्थक भारत आज इजरायल के साथ

भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने अपने संबोधन की शुरुआत फिलिस्तीन मुद्दे से की। उन्होंने कहा कि छोटी-सी जगह गाजा पट्टी में 23 लाख लोग रहते हैं। इजराइल ने चारों ओर से घेराबंदी करके, इसे दुनिया की सबसे बड़ी जेल बना रखा है। ताजा हमले की आड़ले कर वह गाजा पट्टी का नामोनिशान मिटाने पर तुला हुआ है। उन्होंने कहा कि गाजा पट्टी में मर रहे बच्चों और इंसानियत को बचाने की बात करनी चाहिए। भट्टाचार्य ने कहा कि इजराइल पर आतंकवादी हमले के चंद घंटों के अंदर ही प्रधानमंत्री मोदी ने दुख जताया, लेकिन पांच महीनों से जल रहे मणिपुर पर उन्होंने मुंह नहीं खोला। मोदी जी गाजा में मर रहे लोगों पर भी चुप हैं।

उन्होंने कहा कि जिस समय भारत आजाद हो रहा था, फिलिस्तीन को गुलाम बनाया जा रहा था। दुनिया मे यह इकलौता देश है जो आज भी गुलाम है। भारत हमेशा से फिलिस्तीन की आजादी व संप्रभुता के साथ रहा है। नेहरूगांधी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी के जमाने तक, भारत ने फिलिस्तीन का समर्थन किया। लेकिन आज हम फिलिस्तीन के लोगों का साथ छोड़कर इजराइल की मनमानी का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के छात्रों ने जब फिलिस्तीन के समर्थन में खड़े होने की मांग की, तो उन्हें आतंकवादी कहा जा रहा है।

इसके बाद उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों व कामों पर निशाना साधना शुरू किया। उन्होंने कहा कि किसानों के खिलाफ काले कानून लाये गये। छात्रों को शिक्षा से वंचित करने के लिए नयी शिक्षा नीति लायी गयी। मजदूरों को गुलाम बनाने और उनके श्रम अधिकार छीनने के लिए नये श्रम कानून बनाये गये। 20 हजार करोड़ खर्च करके नया संसद भवन बनाया गया। लेकिन लोकतंत्र के प्रतीक संसद में राजतंत्र के प्रतीक सेंगोल को लाकर स्थापित किया गया। उन्होंने लोकसभा व विधानसभाओं में महिला आरक्षण को जनगणना व परिसीमन के बहाने लटकाये जाने की निंदा की।

आज चार लोगों को सम्मति की जरूरत

भाकपा के महासचिव डी. राजा ने बढ़ती महंगाई और बेरोजगार पर चिंता जताते हुए कहा कि इसके लिए मोदी सरकार की कॉरपोरेट-परस्त नीतियां जिम्मेदार हैं। उन्होंने कि मोदी के शासनकाल में देश में महिलाओं, दलितों व अल्पसंख्यकों पर हमला बढ़ा है। इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश की  योगी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने सवाल किया कि इस तथाकथित डबल इंजन सरकार ने प्रदेश के लिए क्या किया। उन्होंने पूछा कि मोदी जी ‘सबका साथ सबका विकास’ का नारा तो देते हैं, लेकिन क्या वह गरीबों, मजदूरों, किसानों, दलितो-आदिवासियों के साथ हैं? राजा के इस सवाल पर रैली में जुटी भीड़ ने एकसुर में ‘ना’ कहा। देश और प्रदेश में बढ़ती सांप्रदायिकता पर उन्होंने कहा कि गांधी जी ने ‘ईश्वर, अल्लाह तेरो नाम,सबको सम्मति दे भगवान’ कहा था। इस सम्मति की  सबसे ज्यादा जरूरत चार लोगों को है। पहला मोदी जी, दूसरा अमित शाह, तीसरा आरएसएस चीफ भागवत और चौथा योगी आदित्यनाथ। उन्होंने कहा कि एकता और समानता हमारे संविधान की आत्मा हैं, लेकिन ये चार लोग इसे तार-तार करने में लगे हैं।

भाकपा महासचिव ने कहा कि पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं और उसके बाद 2024 में  लोकसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों में जनता की क्या जिम्मेदारी है? उन्होंने कहा कि जनता को देश बचाने और भाजपा हटाने के लिए काम करना होगा। 

मणिपुर पर चुप्पी क्यों

फॉरवर्ड ब्लॉक के महासचिव जी देवराजन ने मोदी सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किये। उन्होंने  मणिपुर को गृह युद्ध की स्थिति में पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को जिम्मेदार ठहराया। देवराजन ने कहा कि प्रधानमंत्री के जवाब के लिए संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा। वह ढाई घंटे तक विपक्षी दलों पर बोलते रहे, लेकिन मणिपुर पर केवल ढाई मिनट बोले। बस इतना कह कर पल्ला झाड़ लिया कि सरकार मणिपुर के लोगों के साथ है। मणिपुर में हालात कैसे सुधरेंगे, इस पर  उन्होंने एक शब्द नहीं कहा। देवराजन ने मोदी सरकार पर सरकारी कंपनियों को औने-पौने दामों  पर बेचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि एयर इंडिया की 10 लाख करोड़ की संपत्ति महज 18 हजार करोड़ रुपये में बेच दी गयी। फिलीस्तीन का साथ छोड़कर इजराइल को एकतरफा समर्थन देने के लिए, देवराजन ने प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की।

''लोकतंत्र बचाओ, संविधान बचाओ'','' भाजपा हराओ INDIA जिताओ देश बचाओ'' ''सांप्रदायिकता मुर्दाबाद'', ''देश की संप्रभुता जिंदाबाद''.... जैसे नारों के साथ रैली का समापन हुआ इस संकल्प के साथ कि आगामी लोकसभा चुनाव में देश की तस्वीर और तकदीर दोनों बदलनी है।

(लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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