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दिल्ली में कोविड के कारण 2029 बच्चों ने माता-पिता दोनों या किसी एक को खो दिया: सर्वेक्षण

इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 651 बच्चों ने अपनी मां को खो दिया वहीं 1,311 बच्चों ने अपने पिता को खो दिया। दिल्ली सरकार ने ऐसे बच्चों को हर महीने 2500 रुपये की मदद करने की घोषणा की है।
कोरोना
Image Courtesy : National Herald

नयी दिल्ली: दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) की ओर से कराए गए सर्वेक्षण में कहा गया है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण राष्ट्रीय राजधानी में 2000 से अधिक बच्चों ने अपने माता-पिता में से किसी एक या फिर दोनों को खो दिया।

इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 651 बच्चों ने अपनी मां को खो दिया वहीं 1,311 बच्चों ने अपने पिता को खो दिया। दिल्ली सरकार ने ऐसे बच्चों को हर महीने 2500 रुपये की मदद करने की घोषणा की है।

डीसीपीसीआर ने इस तरह के मामलों की रिपोर्ट करने और बाल अधिकारों को लेकर सूचना मुहैया कराने के मकसद से हेल्पलाइन नंबर 9311551393 की शुरुआत की है। यह हेल्पलाइन नंबर प्रतिदिन काम करेगा।

आयोग ने एक बयान में कहा कि उसने उन बच्चों की पहचान के लिए इस हेल्पलाइन का इस्तेमाल किया जिन्होंने कोविड के कारण अपने माता-पिता या फिर दोनों में से किसी एक को खो दिया। इस सर्वेक्षण के अनुसार, 2,029 बच्चों ने अपने पिता-पिता में से किसी एक को या फिर दोनों को खोया है। 67 बच्चों ने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया।

आपको बता दे दिल्ली महिला एवं बाल विकास विभाग कोरोना वायरस के कारण अपने एक या दोनों माता-पिता को खोने वाले बच्चों का आंकड़ा एकत्र करने का शुरू किया था ताकि वे सरकार द्वारा घोषित लाभ का फायदा उठा सकें। डीसीपीसीआर के आकड़े सरकार को योजना लागू करने में  मददगार होगा।

अधिकारियों ने कहा कि कोविड के कारण अपने एक या दोनों माता-पिता को खोने वाले बच्चों का आंकड़ा जुटाने से सरकार योजनाओं को उन तक प्रभावी ढंग से पहुंचा सकेगी।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की थी कि सरकार महामारी से अनाथ बच्चों की शिक्षा और पालन-पोषण का खर्च वहन करेगी।

दिल्ली के महिला एवं बाल विकास मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि योजनाओं का क्रियान्वयन उनका विभाग करेगा।

गौतम ने पीटीआई-भाषा से कहा, “ ऐसे बच्चों की पहचान करने के लिए आंकड़ा एकत्र किया जा रहा है जिन्हें लाभ दिया जा सके। हम स्वास्थ्य विभाग से मौत का आंकड़ा लेंगे और इसके लिए अपने अधिकारियों को भी तैनात करेंगे।”

 महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग से आंकड़े मांगे जा रहे हैं ताकि ऐसे बच्चों की वास्तविक संख्या जानने के लिए सर्वेक्षण किया जा सके। यह भी पता लगाया जाएगा कि क्या वे बेघर हैं या दिव्यांग हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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