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अमेरिका ने ईरान की अशांति को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाया 

पिछले सप्ताह के अंत में ईरान पर अमेरिका के विशेष दूत रॉब मैले ने मेगाफोन कूटनीति के तहत संकेत दिया कि तेहरान में चल रहे विरोध प्रदर्शनों में अमेरिका भी एक हितधारक है।
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रान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खमेनेई (केंद्र में), रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (बाएं) की अगवानी करते हुए। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी दाईं ओर खड़े हैं, तस्वीर तेहरान, 19 जुलाई, 2022 की है।

सितंबर के महीने से, एक कुर्द महिला की पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद से ईरान में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं और इसके धीमे पड़ने के कोई संकेत नज़र नहीं आ रहे हैं। विरोधों को सभी सामाजिक स्तरों से समर्थन मिल रहा है और सरकार विरोधी आवाज़ बुलंद हो रही है। सरकार अशांति को दबा पाएगी, यह थोड़ा संदिग्ध लग रहा है। क्योंकि, ईरान एक बड़े उथल-पुथल के दौर में प्रवेश कर चुका है।

हक़ीक़त में देखा जाए तो सरकार के सामने कोई बड़ा खतरा नहीं है, लेकिन प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए हिजाब नीति को संबोधित करने की अनिवार्य जरूरत को अनदेखा किया आजा रहा है। जैसा कि विरोध जारी है, ईरान के शहरों की सड़कों पर, खासकर तेहरान में कई महिलाएं बिना सिर ढके चल रही हैं।

ईरान में सार्वजनिक अशांति को बढ़ावा देने में पश्चिमी देशों की दिलचस्पी का एक लंबा इतिहास रहा है। पश्चिम के रुख में शासन परिवर्तन का एजेंडा होता है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि वाशिंगटन भी वर्तमान अंतरराष्ट्रीय हालात में, ईरान की विदेश और सुरक्षा नीतियों से संबंधित कुछ शर्तों के तहत तेहरान के साथ समझौता करने में रुचि दिखा रहा है।

ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीरबदोल्लाहियान ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा है कि अमेरिका और कई अन्य पश्चिमी देशों ने ईरान में दंगों को उकसाया है, क्योंकि "अमेरिका का उद्देश्य बातचीत की मेज पर ईरान को बड़ी रियायतें देने पर मजबूर करना था" ताकि जेसीपीओए को दोबारा जीवित किया जा सके। पिछले सप्ताह के अंत में ईरान पर अमेरिका के विशेष दूत रॉब मैले की मेगाफोन कूटनीति के बाद अमीरबदोल्लाहियान की टिप्पणी आई थी। 

रोम में बोलते हुए, मैले ने भविष्य के मैट्रिक्स के साथ बिन्दुओं को जोड़ दिया। उन्होंने कहा: “जितना अधिक ईरान दमन करेगा, उतने अधिक प्रतिबंध लगाए जाएंगे; जितने अधिक प्रतिबंध लगेंगे, ईरान उतना ही दुनिया से अलग-थलग महसूस करेगा। जितना अधिक वे अलग-थलग पड़ेंगे, उतना ही वे रूस की ओर रुख करेंगे; जितना अधिक वे रूस की ओर रुख करेंगे, उतने अधिक प्रतिबंध उन पर लगेंगे, बातचीत का वातावरण जितना खराब होगा, उतनी ही परमाणु कूटनीति की संभावना कम होगी। तो, यह सच है कि सभी किस्म के दुष्चक्र मजबूत हो रहे हैं। ईरान में विरोध प्रदर्शनों का दमन और यूक्रेन में रूस के युद्ध को समर्थन पर हमारा ध्यान केंद्रित है क्योंकि यही वह जगह है जहां घटनाएं घट रही हैं, और जहां हम एक अलग रुख रखते हैं।

वास्तव में, मैले ने स्वीकार किया कि बाइडेन प्रशासन ईरान में चल रहे विरोध प्रदर्शनों में खुद एक हितधारक है। खास बात यह है कि उन्होने संकेत दिया कि, यद्यपि ईरान ने कई निर्णायक निर्णय लिए हैं जो परमाणु समझौते को दोबारा जीवित कर सकते हैं और कुछ आर्थिक प्रतिबंधों को उठाया जा सकता है लेकिन वे अभी एक राजनीतिक असंभवता बने हुए है, शर्त यह है कि ईरान को रूस के साथ संबंधों को बदलना होगा जिससे कूटनीति का रास्ता बंद नहीं होगा। 

शनिवार को ब्लूमबर्ग को दी गई एक टिप्पणी में मैले ने कहा कि "अब हम रूस को हथियारों के प्रावधान को रोक सकते हैं और ईरानी लोगों की आकांक्षाओं को मौलिक समर्थन करने की कोशिश कर सकते हैं। 

जैसा कि उन्होंने बताया, वाशिंगटन का लक्ष्य ईरान द्वारा रूस को हथियारों की आपूर्ति, और किसी भी प्रकार की आपूर्ति रूस में सैन्य उत्पादन सुविधाओं के निर्माण में मिसाइल या सहायता को "बाधित करना, विलंब करना, रोकना और प्रतिबंध लगाना" है, एक ऐसी रणनीति  जो "नई सीमा लांघ रही होगी।"

संक्षेप में, मैले ने, ईरान में चल रहे विरोध को, अमेरिका के दृष्टिकोण के तहत तेहरान की रूस और यूक्रेन में उसके युद्ध के संबंध में विदेश और सुरक्षा नीतियों के साथ जोड़ा है।

पहला संकेत है कि अमेरिकी खुफिया ईरान-रूस सैन्य संबंधों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है- निश्चित रूप से यूएस इसे अपने इजरायली समकक्ष के साथ मिलकर कर रहा है – यह बात जुलाई के अंत में तब उज़ागर हुई थी, जब अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने व्हाइट हाउस में एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान आरोप लगाया था कि ईरान मास्को को हथियार-सक्षम मानव रहित हवाई वाहन बेचना चाहता है।

सुलिवन ने दावा किया कि ईरान पहले से ही रूसी सैनिकों को ड्रोन के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दे रहा है। एक सप्ताह के भीतर, यह सुलिवन का दूसरा आरोप था। 

सुलिवन के इस रहस्योद्घाटन के समय को ध्यान से नोट किया जाना चाहिए – जो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 19 जुलाई की तेहरान यात्रा से मेल खाता है। ईरानी नेतृत्व के साथ पुतिन की वार्ता ने मास्को और तेहरान के बीच एक रणनीतिक ध्रुवीकरण का संदेश दिया था जिसके क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के लिए दूरगामी परिणाम होंगे।

पुतिन की ईरान के साथ चर्चा के मुद्दे, यूक्रेन और सीरिया में चल रहे संघर्षों से लेकर पश्चिमी नेतृत्व वाली प्रतिबंध व्यवस्थाओं की वैधता, डी-डॉलरीकरण, ऊर्जा की भू-राजनीति, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, रक्षा सहयोग इत्यादि के सतह कई महत्वपूर्ण रणनीतिक और नियामक मुद्दों पर दोनों देशों के आपसी हितों पर आधारित था। 

पुतिन की चर्चाओं के बाद, ईरान के सशस्त्र बलों के प्रमुख, जनरल मोहम्मद बघेरी ने अक्टूबर के मध्य में मास्को की यात्रा की थी। जनरल बघेरी ने रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू से मुलाकात की, जिसने संकेत दिया कि दोनों देशों के बीच सैन्य संबंध अपरिवर्तनीय गति प्राप्त कर रहे हैं।

इंटरफैक्स समाचार एजेंसी के अनुसार, जनरल बघेरी की यात्रा के एक पखवाड़े बाद, रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव "सुरक्षा के क्षेत्र में रूसी-ईरानी सहयोग के विभिन्न मुद्दों के साथ-साथ कई अंतरराष्ट्रीय समस्याओं" पर चर्चा करने के लिए तेहरान गए थे। 

रूसी सरकारी मीडिया ने कहा कि पेत्रुशेव ने अपने ईरानी सुरक्षा समकक्ष अली शामखानी के साथ यूक्रेन में स्थिति और दोनों देशों के आंतरिक मामलों में "पश्चिमी हस्तक्षेप" से निपटने के उपायों पर चर्चा की। पत्रुशेव ने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी से भी मुलाकात की।

इस बीच, वाशिंगटन ने महसूस किया है कि ईरानी निज़ाम के भीतर विरोध को कैसे संभालना है, इस पर असहमति है, और बदले में, यह रूस के साथ बढ़ते गठबंधन के बारे में आंतरिक ईरानी बहस को तेज कर रहा है, साथ ही साथ परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के एक नए प्रयास में पश्चिम के साथ फिर से जुड़ रहा है। 

स्पष्ट रूप से, मैले की टिप्पणी ने संकेत यह दिया कि ईरान में विरोध प्रदर्शनों को अमेरिका का समर्थन है, लेकिन वह अभी भी तेहरान के साथ व्यापार कर सकता है। शर्त यह कि  ईरान को मास्को के साथ अपनी गहरी रणनीतिक साझेदारी को वापस लेना होगा, और यूक्रेन में संघर्ष में किसी भी तरह की भागीदारी से परहेज करन होगा। 

वास्तव में, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रमुख राफेल ग्रॉसी (जो वाशिंगटन के बयान से वाकिफ़ हैं) ने भी सोमवार को एक टिप्पणी की थी कि संयुक्त राष्ट्र के निगरानीकर्ता के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ईरान परमाणु हथियार कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है, जिसका अर्थ है कि वियना में वार्ता की बहाली में कोई "प्रणालीगत" बाधा नहीं है।

इसका मतलब, विदेश और सुरक्षा नीति नीतियों पर मास्को के साथ तेहरान का सहयोग ईरान के लिए दीर्घकालिक परिणाम होंगे और ईरानी नेतृत्व का अपने सभी अंडे अमेरिकी टोकरी में डालने का कोई सवाल ही नहीं है। रूस के लिए भी ईरान के साथ पार्टनरशिप अहम है जिसका बहुध्रुवीयता की स्थितियों में सामरिक महत्व है।

गौरतलब है कि ईरानी मीडिया ने बताया है कि ईरान के परमाणु वार्ताकार और उप विदेश मंत्री अली बघेरी कानी ने मास्को का दौरा किया।

बहुपक्षवाद के दृष्टिकोण को मजबूत करने और एकपक्षवाद का सामना करने और इसमें निहित सिद्धांतों का पालन करने के लिए जेसीपीओए (2015 परमाणु समझौते) के "पूर्ण पैमाने पर कार्यान्वयन की संभावनाओं पर चर्चा" करने के लिए मास्को में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई रयाबकोव से मुलाकात की। बातचीत में संयुक्त राष्ट्र चार्टर" के साथ-साथ दो देशों के "पश्चिमी शक्तियों द्वारा मानवाधिकारों के मुद्दों के महत्वपूर्ण राजनीतिक दुरुपयोग और चयनात्मक उपचार को रोकने के प्रयास पर बता हुई है।"

आधिकारिक समाचार एजेंसी आईआरएनए ने बाद में तेहरान से बघेरी कानी के हवाले से रिपोर्ट दी कि दोनों पक्षों ने "पिछले महीनों में द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और संबंधों को विकसित करने के लिए एक-दूसरे के साथ समझौते बनाए रखने के माले में चर्चा हुई।" उन्होंने तेहरान और मास्को के बीच सहयोग के क्षेत्रों में सीरिया, दक्षिण काकेशस और अफगानिस्तान का उल्लेख किया।

निश्चित रूप से, ईरान-रूस परामर्श के नवीनतम दौर को वाशिंगटन में नोट किया है। शनिवार को बिडेन प्रशासन में राष्ट्रीय इंटेलिजेंस के निदेशक डॉ एवरिल हैन्स ने एक छिपी हुई धमकी दी थी कि ईरानी नेताओं को विरोध प्रदर्शन बही खतरा नहीं लग रहे हैं लेकिन वे उच्च मुद्रास्फीति और आर्थिक अनिश्चितता के कारण अधिक अशांति का सामना कर सकते हैं। आगे  कहा कि, "हम उनके भीतर पनपे कुछ विवाद देख रहे हैं जिनका जावाब सरकार के भीतर कैसे दिया जाए अभी स्पष्ट नहीं है।"

दूसरी ओर, मॉस्को में बघेरी कानी के साथ बातचीत के दौरान, ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर हमलों को देखते हुए, पिछले मंगलवार को बड़े पैमाने पर अमेरिका-इजरायल हवाई अभ्यास को ध्यान में रखा गया होगा। इजरायली सेना ने एक बयान में कहा गया कि इजरायल के आसमान में चार अमेरिकी एफ-15 लड़ाकू विमानों के साथ चार इजरायली एफ-35आई अदिर स्टील्थ फाइटर जेट्स की संयुक्त उड़ानें भरी गई जो "एक ऑपरेशन के परिदृश्य और लंबी दूरी की उड़ानों" का अनुकरण हैं।

बयान में कहा गया है कि, "ये सैनिक अभ्यास मध्य पूर्व में साझा चिंताओं के जवाब में दो सेनाओं के बढ़ते रणनीतिक सहयोग का एक प्रमुख घटक है, विशेष रूप से ईरान जिन्हे ने चिंता का विषय माना है"

यूएस-इजरायल अभ्यास ईरान के आसपास के हालात में इसकी गंभीरता को रेखांकित करता है। तेहरान के 60 प्रतिशत एनरिचमेंट होने के कारण वाशिंगटन में बेचैनी है। लेकिन ईरान पर एक सैन्य हमला न केवल पश्चिम एशियाई क्षेत्र के लिए बल्कि वैश्विक तेल बाजार के लिए भी अप्रत्याशित परिणामों से भरा हुआ होगा, जो कि रूसी तेल पर मूल्य कैप लगाने के अमेरिकी प्रयास के कारण अनिश्चितताओं का सामना कर रहा है।

लब्बोलुआब यह है कि ईरान में विरोध के अनुपात का मामला बड़ा हो रहा है। अमेरिका ने ईरान की आंतरिक उथल-पुथल को एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है।

एमके भद्रकुमार पूर्व राजनयिक हैं। वे उज्बेकिस्तान और तुर्की में भारत के राजदूत रह चुके हैं। व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः

US Internationalises Iran’s Unrest

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