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दुनिया भर की: मध्य अमेरिका में एक और कास्त्रो का उदय

वामपंथी पार्टी की शियोमारा कास्त्रो बनेंगी होंदुरास की पहली महिला राष्ट्रपति। रविवार को हुए राष्ट्रपति पद के चुनावों में कास्त्रो ने सत्तारूढ़ नेशनल पार्टी नासरी असफुरा को पीछे छोड़ दिया है।
Honduras President
राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में अपना वोट डालती लाइबर पार्टी की उम्मीदवार शियोमारा कास्त्रो। फोटो साभार: रायटर्स

होंदुरास यूं तो छोटा सा अचर्चित देश है लेकिन वह मध्य-लैटिन अमेरिका की उस पट्टी में स्थित है जो वामपंथी, लोकतांत्रिक व प्रगतिशील आंदोलनों का गढ़ रही है और पूंजीवादी सरकारों को हमेशा बेचैन किए रहती है। होंदुरास के उत्तर-पूर्वी तट पर आप खड़े हों तो बीच में कैरेबियाई सागर है और उस पार फिदेल कास्त्रो का क्यूबा। अब होंदुरास में भी एक कास्त्रो का उदय हुआ है। शियोमारा कास्त्रो होंदुरास की पहली महिला राष्ट्रपति बनने जा रही हैं।

रविवार को हुए राष्ट्रपति पद के चुनावों में कास्त्रो ने सत्तारूढ़ नेशनल पार्टी नासरी असफुरा को पीछे छोड़ दिया है। हालांकि अभी सारे मतों की गिनती नहीं हुई है और नतीजों की आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है, लेकिन आधे से ज्यादा मतों की गिनती हो चुकने के बाद कास्त्रो को पहले ही 20 फीसदी अंक की बढ़त हासिल हो चुकी है। इससे उनकी जीत तय जान पड़ती है। राष्ट्रपति पद के चुनाव में वहां एक दर्जन से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में हैं। लोकप्रिय टीवी एंकर सल्वाडोर नसरल्ला उप-राष्ट्रपति के पद के लिए कास्त्रो के साथ खड़े हुए हैं।

कास्त्रो राष्ट्रपति बन जाती हैं तो 12 साल बाद वहां वामपंथी लाइबर (लिबर्टी एंड रिफाउंडेशन) पार्टी की सत्ता में वापसी होगी। 2009 में कास्त्रो के पति मैनुअल जेलाया राष्ट्रपति थे जब वहां व्यवसायियों ने सेना के प्रभावशाली तबके को साथ मिलाकर तख्तापलट कर उन्हें हटा दिया गया था। इतना ही नहीं, उस तख्तापलट के बाद हुए सभी चुनावों की तुलना में इस बार के नतीजे अभी तक के अनुमान के अनुसार ज्यादा स्पष्ट होने के आसार हैं। पिछले दोनों चुनाव खासी गड़बड़ियों के आरोपों को झेलते रहे। 2017 में पिछले चुनावों में तो धांधली के आरोपों के कारण नतीजों के बाद हुई हिंसा में दो दर्जन से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। यही कारण रहा कि निवर्तमान राष्ट्रपति जुआन ओरलांडो हरनांदेज लोगों के बीच निरंतर अलोकप्रिय होते गए। अब तो यह भी संभावना है कि नए राष्ट्रपति के कामकाज संभालने के बाद हरनांदेज पर भ्रष्टाचार के मामले चलाए जाएं। उनसे मोहभंग होने की सबसे बड़ी वजह लोगों के लिए यही रही कि वे उनके कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार से आज़िज़ आ चुके थे।

होंदुरास में रविवार को मतगणना के दौरान एक मतपत्र को दिखाता चुनावी कर्मचारी। फोटो साभार: रायटर्स

इस बार भी रविवार को मतदान खत्म होते ही नेशनल पार्टी ने अपनी जीत के दावे करने शुरू कर दे थे, लेकिन जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ती रही, रुझान साफ होते गए। वैसे तो यह मतदान से पहले आए तमाम ओपिनियन पोल को ही प्रतिबिंबित करता है। अक्टूबर में नासरी के बराबर आने के बाद फिर कास्त्रो ने धीरे-धीरे तमाम ओपिनियन पोल में बढ़त बनानी शुरू कर दी थी। हालांकि नासरी ने बहुत कोशिश की थी कि वह खुद को हरनांदेज की गड़बड़ियों से अलग करके लोगों के सामने पेश करें लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। नासरी असफुरा एक संपन्न व्यवसायी हैं और राजधानी तेगुसिगाल्पा के दो कार्यकाल से मेयर हैं। चुनावों के लिए इस बार बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय प्रेक्षक भी मौजूद थे जिनमें यूरोपीय संघ का भी 68 सदस्यों का दल था।

इस बार मतदान ज्यादा और शांतिपूर्ण हुआ और लाइबर पार्टी के नेताओं ने लोगों से कहा था कि उनके पास तानाशाही को खत्म करने का मौका है। चुनावों के रुझान स्पष्ट हो जाने के बाद कास्त्रो ने साफ कहा कि अब और सत्ता का शोषण नहीं होगा। उन्होंने सबको साथ लेकर चलने वाली सरकार बनाने का ऐलान किया और कहा कि वह रायशुमारियों (जनमत संग्रहों) की मदद से प्रत्यक्ष लोकतंत्र को और मजबूत बनाएंगी।

स्पेनिशभाषी होंदुरास भी मध्य व लैटिन अमेरिका के उन देशों में से है जिनको लेकर पश्चिमी मीडिया में एक खास तरह की छवि रही है, कि वे हिंसा से बुरी तरह ग्रस्त हैं, वहां खासी गरीबी-बेरोजगारी है और वे ड्रग्स के कारोबार में लिप्त गैंगवार के शिकार रहे हैं, और वहां तानाशाह सरकारें रही हैं। मध्य अमेरिका की भौगोलिक स्थिति भी उसे एक महत्वपूर्ण कारोबारी ट्रांजिट प्वाइंट बनाती रही है। मैक्सिको के रास्ते अमेरिका जाने वाले तमाम शरणार्थी भी कथित रूप से मध्य अमेरिका से आते हैं जो बेहतर जिंदगी की तलाश में अमेरिका पहुंचते हैं।

खास बात यह है कि ये ज्यादातर देश क्रांतियों से अपने लोकतंत्र व राजनीति को मांझने वाले रहे हैं। हालांकि मजेदार बात यह है कि होंदुरास में वामपंथी सरकार का तख्तापलट करके कथित रूप से पश्चिमी देशों के समर्थन से सरकार चलाने वाले दक्षिणपंथी नेशनल पार्टी के हरनांदेज सरीखे नेता खुद गैंग नियंत्रित करके रहे हैं। यहां तक कि अमेरिका में भी हरनांदेज पर ड्रग काराबोर में लिप्त होने के लिए मुकदमा चलाए जाने की तैयारी है।

देश की पहली महिला राष्ट्रपति होने के नाते तो सबकी निगाह कास्त्रो पर रहेगी ही, लाइबर पार्टी की कई नीतियों पर समूचे इलाके की निगाह रहेगी। कास्त्रो ने भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की मदद से जंग छेड़ने और संविधान में कई बदलाव करने की बात कही है। उन्होंने गर्भपात पर पाबंदियों को भी कम करने का वादा किया है। हरनांदेज के शासन में होंदुरास की न्यायिक प्रणाली भी ध्वस्त हो चुकी थी। उसे भी कास्त्रो को फिर से खड़ा करना होगा। इसका इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है कि जब जेलाया ने संविधान में संशोधन करके राष्ट्रपति को दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुनाव लड़ने देने का प्रवधान जोड़ने की बात कही तो इसके लिए उनके खिलाफ माहौल बनाकर बगावत करके उन्हें सत्ता से हटा दिया गया। लेकिन फिर उन्हें हटाने वाले हरनांदेज ने ही देश की शीर्ष अदालत में अपने दोस्त जजों की मदद से संविधान में वही संशोधन करा डाला और खुद दूसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति चुन लिए गए।

चीन से होंदुरास के रिश्तों का मसला भी प्रेक्षकों की खास रुचि का रहेगा। कास्त्रो ने इस बात का संकेत दिया है कि वे ताईवान के मामले में चीन के साथ खड़ी रहेंगी यानी मुमकिन है कि वे ताईवान से कूटनीतिक रिश्ता घटा लें।

होंदुरास में अमेरिकी शैली का राष्ट्रपति प्रणाली का शासन है। राष्ट्रपति पद के चुनावों के साथ ही वहां कांग्रेस की 128 सीटों के लिए भी चुनाव है। उम्मीद करनी चाहिए कि लाइबर पार्टी को वहां भी बहुमत मिल जाए। वरना अगर कांग्रेस में नेशनल पार्टी को बहुमत मिला तो वहां कास्त्रो के लिए शासन चलाना चुनौतीपूर्ण बना रहेगा।

क्यूबा या वेनेजुएला के उलट होंदुरास वामपंथ का गढ़ सरीखा तो नहीं रहा है, इसलिए कास्त्रो के सामने अपनी लोकतांत्रिक समाजवाद की विचारधारा को भी देश में लोकप्रिय बनाने की चुनौती होगी।

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