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गोवा में फिर से भाजपा सरकार

गोवा में कुल 40 विधानसभा सीटों पर मतदन हुआ था जिसमें से भाजपा ने 20 सीटों पर जीत दर्ज की है, कांग्रेस ने 11, गोवा फारवर्ड पार्टी एक सीट, महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के खाते में 2 सीटें, आम आदमी पार्टी 2 सीट, एक सीट पर गोवा रिवॉल्यूशन पार्टी और तीन सीटों पर आज़ाद उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है।
गोवा में फिर से भाजपा सरकार

कल पांच राज्यों के चुनाव के नतीजे आ गये और इसी के साथ लगाई जा रही अटकलों का भी पटाक्षेप हो गया। गोवा में कुल 40 विधानसभा सीटों पर मतदन हुआ था जिसमें से भाजपा ने 20 सीटों पर जीत दर्ज की है, कांग्रेस ने 11, गोवा फारवर्ड पार्टी एक सीट, महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के खाते में 2 सीटें, आम आदमी पार्टी 2 सीट, एक सीट पर गोवा रिवॉल्यूशन पार्टी और तीन सीटों पर आज़ाद उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। अगर पिछले विधानसभा चुनाव से तुलना करें तो पाएंगे कि भाजपा ने सात सीटों पर बढ़त हासिल की है क्योंकि 2017 में भाजपा के पास मात्र 13 सीटें थीं। कांग्रेस को 6 सीटों का नुकसान हुआ है। पिछली बार कांग्रेस ने 17 सीटों पर जीत हासिल की थी। गोवा फारवर्ड पार्टी को भी दो सीटों का नुकसान हुआ है। पिछली बार तीन सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन अबकी बार एक ही सीट पर सिमट गई। एमजीपी पार्टी को भी एक सीट का नुकसान हुआ है। भाजपा का दावा था कि वो 22 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल करके गोवा में सरकार बनाएगी लेकिन भाजपा बहुमत से मात्र एक सीट पीछे रह गई। फिल्हाल तीन आज़ाद उम्मीदवारों और महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी ने भाजपा को समर्थन दे दिया है। गोवा में भाजपा लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है।

प्रमुख सीटों और नई पार्टियों की स्थिति

आम आदमी पार्टी ने गोवा में अपना खाता खोल दिया है। आम आदमी पार्टी ने दो सीटों पर जीत दर्ज की है। बेनोलिम विधानसभा से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार वेन्ज़ी वीगस ने पूर्व मुख्यमंत्री चर्चिल अलेमाओ को 1271 मतों से हराया है। चर्चिल अलेमाओ तृणमूल कांग्रेस की सीट पर चुनाव लड़ रहे थे। आम आदमी पार्टी ने दूसरी जीत वेलिम विधानसभा सीट पर दर्ज की है। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी क्रूज़ सिल्वा ने कांग्रेस के डिसिल्वा साविओ को 169 मतों से हरा दिया। आम आदमी पार्टी ने 6.77% वोट हासिल किया है। वोट प्रतिशत में पिछले चुनाव के मुकाबले थोड़ी बढ़त देखी जा रही है।

तृणमूल कांग्रेस गोवा में पहली बार चुनाव लड़ रही थी। तृणमूल ने स्थानीय पार्टी एमजीपी के साथ गठबंधन किया था। तृणमूल गोवा में खाता नहीं खोल पाई, लेकिन 5.21% वोट हासिल किया है। तृणमूल कांग्रेस ने कई सीटों पर टक्कर दी है। बेनोलिम की सीट पर चर्चिल अलेमाओ दूसरे नंबर पर रहे। नावेलिम सीट पर भी तृणमूल कांग्रेस की प्रत्याशी वालंका नताशा अलेमाओ दूसरे स्थान पर रही। इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी उल्हास तुएंकर ने मात्र 430 मतों के अंतर से अपनी जीत दर्ज़ की। इसके अलावा थिविम में तृणमूल की प्रत्याशी कविता कांडोलकर भी दूसरे स्थान पर रही। तृणमूल के साथ गठबंधन में रही पार्टी एमजीपी को दो सीटें हासिल हुई हैं। गौरतलब है कि एमजीपी और तृणमूल ने भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था। लेकिन नतीजों के बाद एमजीपी नें भाजपा को समर्थन दे दिया है।

गोवा की एक नई पार्टी रिवॉल्यूशनरी गोवन ने ये पहला चुनाव लड़ा है और गोवा में खाता भी खोल लिया है। रिवॉल्यूशनरी गोवन पार्टी के प्रत्याशी विरेश बोरकर ने भाजपा के प्रत्याशी फ्रांसिस्को सिलवेरा को 76 मतों से हराकर जीत दर्ज की है।

अगर हॉट सीटों के बात करें तो सांकलिम विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और कांग्रेस प्रत्याशी धर्मेश सगलानी के बीच कांटे का मुकाबला रहा है। प्रमोद सावंत ने मात्र 666 वोट के अंतर के साथ जीत हासिल की है। पणजी विधानसभा सीट से मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे। इस सीट पर भाजपा के प्रत्याशी बाबुश मोन्सेरात थे। पणजी सीट पर बाबुश और उत्पल पर्रिकर के बीच कांटे का मुकाबला रहा है। बाबुश मोन्सेरात ने मात्र 716 मतों के अंतर पर जीत दर्ज की है। बाबुश मोन्सेरात का कहना है कि भाजपा के कोर काडर ने भी उत्पल पर्रिकर को वोट किया है। इसलिए मेरी जीत का अंतर इतना कम है। इस मुद्दे पर पार्टी में बात करूंगा।

भाजपा विरोधी लहर का क्या हुआ?

भाजपा गोवा की सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है और कांग्रेस दूसरे स्थान पर है। गोवा की जनता में स्पष्ट रूप से भाजपा विरोधी लहर देखी जा सकती थी लेकिन नतीजों ने इस पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। क्या सचमुच भाजपा विरोधी लहर थी? तो, जवाब ये होगा कि सचमुच गोवा में भाजपा विरोधी लहर थी, जिसका मुकाबला भाजपा ने आश्चर्यजनक ढंग से किया है। दूसरी तरफ कांग्रेस तमाम अनुकूल माहौल के बावजूद सरकार बनाने में असफल रही है। ऐसा लगता है गोवा की जनता तो भाजपा को हराना चाहती थी लेकिन कांग्रेस जीतने को तैयार नहीं है।

कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गिरिश चोडांकर ने हार की ज़िम्मेदरी लेते हुए कहा है कि मैं प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर असफल रहा हूं। पार्टी को किसी और कार्यकर्ता को ये पदभार सौंपना चाहिए। गिरिश का मानना है कि ग़ैर-भाजपा पार्टियों में वोट विभाजित होने की वजह से कांग्रेस 7-9 सीटें हार गई है। लेकिन क्या ये आकलन सही है? कांग्रेस को इस तरह की फौरी मन बहलाने वाली समीक्षाओं की बजाय गंभीर तौर पर पार्टी के भीतर चर्चा करनी चाहिए और समीक्षा करनी चाहिए कि उनका प्रदर्शन निराशाजनक क्यों रहा?

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

 

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