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निगम चुनाव: दंगा प्रभावित इलाकों मे मुस्लिमों ने छोड़ा आप का दामन !

दिल्ली के नगर निगम चुनाव में भले ही आम आदमी पार्टी जीत गई हो, लेकिन दंगा प्रभावित मुस्लिम बहुल इलाकों में बड़ा झटका लगा है।
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नयी दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) बेशक दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में बहुमत से जीत गयी हो, लेकिन दिल्ली की बड़ी अल्पसंख्यक आबादी खासकर मुस्लिमों ने केजरीवाल और उनकी पार्टी को संदेश दिया कि वो उन्हें अपना बंधुआ वोटर न समझें। क्योंकि हमने देखा कि पुरानी दिल्ली के इलाके को छोड़ बाकी सभी मुस्लिम बहुल सीटों पर जनता ने केजरीवाल की राजनीति को नकारा और कांग्रेस पर एकबार फिर भरोसा किया है। दिल्ली के उत्तर पूर्व के सीलमपुर, मुस्तफबाद और ओखला जैसे इलाकों मे केजरीवाल की पार्टी का भारी नुकसान हुआ है। मुस्लिम आबादी ने केजरीवाल को झटका देते हुए यह एहसास कराया है कि 'आप' उनके सवालों पर चुप नहीं रह सकती है। दो साल पहले इन्हीं इलाकों में केजरीवाल को बेतहाशा समर्थन और वोट मिले थे।

वही दूसरी तरफ बीजेपी को भी अपने कट्टर हिन्दुत्व और संप्रदायिक एजेंडे को भी सफल होता दिखा। एमसीडी चुनाव में शिकस्त का सामना करने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यमुना पार के इलाकों में अच्छा प्रदर्शन किया है, जिसमें 2020 में साम्प्रदायिक दंगों से प्रभावित रहा उत्तर-पूर्वी दिल्ली भी शामिल है। लेकिन शहर के उत्तरी और दक्षिणी इलाकों में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा। 

वही दक्षिण दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में दो वार्ड में कांग्रेस की महिला प्रत्याशियों को जीत मिली है। शाहीन बाग संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन का केंद्र था।

ओखला से कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान की बेटी अरीबा ने अबुल फजल एन्क्लेव से 16,554 मतों के साथ आप प्रत्याशी वाजिद खान को 1,479 मतों के अंतर से हराया।

राज्य चुनाव आयोग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, जाकिर नगर में कांग्रेस की नाजिया दानिश ने आप के प्रत्याशी सलाम खान को 473 मतों के अंतर से हराया। ये दोनों वार्ड ओखला विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं, जिस पर आप के अमानतुल्ला खान का कब्जा है। शाहीन बाग इसी क्षेत्र में पड़ता है, और वहां बड़ी संख्या में महिलाओं के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर धरना-प्रदर्शन किया गया था।

कांग्रेस की दिल्ली इकाई के प्रमुख अनिल चौधरी ने चार दिसंबर को हुए नगर निगम चुनाव से कुछ दिन पहले आरोप लगाया था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में दलितों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर ‘झाड़ू’ चला दिया है।

फरवरी 2020 के दंगों के बाद राष्ट्रीय राजधानी में यह पहला निगम चुनाव भी था। मुस्तफाबाद में, कांग्रेस की सबिला बेगम विजयी हुईं, उन्होंने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रत्याशी को 6,582 मतों के अंतर से हराया। बृजपुरी वार्ड में भी कांग्रेस ने जीत हासिल की, जहां नाजी खातून ने आम आदमी पार्टी की आफरीन नाज को 2,118 मतों के अंतर से हराया।

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर ओखला के शाहीन बाग में वर्ष 2019 और उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर, मुस्तफाबाद, बृजपुरी, कबीर नगर में वर्ष 2020 में बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन हुए थे। 23 फरवरी 2022 को अचानक उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क गए थे। जिसमें 53 लोगों की जाने गई थी, सैकड़ों घरों व दुकानों को जला दिया गया था। राजनीतिक टिप्पणीकारों की माने तो दंगे का असर इस चुनाव मे दिखा है। इसके साथ ही सांप्रदायिकता के बाकी सवाल पर केजरीवाल और उनकी पार्टी की चुप्पी उनपर भारी पड़ी है। आप के उदय के बाद से जो मुस्लिम वोट उससे कटकर आप की झोली में चला गया था, दंगे के बाद हुए चुनाव में काफी हद तक वह वोट बैंक कांग्रेस के पाले में वापस आ गया है। दंगा प्रभावित कबीर नगर व अबुल फजल एन्क्लेव में आप के सिटिंग पार्षदों को कांग्रेस के उम्मीदवारों ने हराया है।

जबकि आम आदमी पार्टी भी पुरानी दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीट जीतने में कामयाब रही है। वो जामा मस्जिद, चांदनी महल, बाजार सीताराम, बल्लीमारान और कुरैशी नगर के साथ उत्तर पूर्व दिल्ली की केबल एक सीट श्रीराम कॉलोनी पर जीत दर्ज कर चुकी है।

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली नगर निगम(एमसीडी) चुनाव में बुधवार को 134 सीट जीतकर नगर निकाय में भाजपा के 15 साल के शासन को खत्म कर दिया। एमसीडी के 250 वार्ड में हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 104 सीट हासिल की, जबकि कांग्रेस के हिस्से में सिर्फ नौ सीट आई।

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