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मुज़फ़्फ़रनगर में बाबासाहेब की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किया गया, विरोध में प्रदर्शन

भूपखेडी गांव में अज्ञात लोगों ने बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसके बाद ग़ुस्साए लोगों ने यहां विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
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सांकेतिक तस्वीर। साभार : ट्विटर

उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के रतनपुरी थाना क्षेत्र के भूपखेडी गांव में अज्ञात लोगों ने बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसके बाद ग़ुस्साए लोगों ने यहां विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

पुलिस ने सोमवार को बताया कि यह घटना रविवार की है। पुलिस क्षेत्राधिकारी (बुढाना) विनय गौतम ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया गया है और उनकी गिरफ़्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।

इस दौरान आक्रोशित लोगों ने धरना दिया और दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की, हालांकि अधिकारियों के क्षतिग्रस्त प्रतिमा को बदले जाने के आश्वासन के बाद प्रदर्शनकारी शांत हुए।

एहतियात के तौर पर इलाक़े में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।

ज्ञात हो कि बाबा साहेब की मूर्ति क्षतिग्रस्त करने की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी देश के विभिन्न हिस्सों में इस तरह की घटनाएं हुई हैं।

3 अगस्त 2022 को उत्तर प्रदेश के भदोही ज़िले में अम्बेडकर की मूर्ति को क्षतिग्रस्त किया गया था। इसी माह में मेरठ के हस्तिनापुर में भी बाबा साहेब की मूर्ति को क्षति पहुंचाई गयी थी।

वहीं 15 फरवरी 2020 को अयोध्या के गोसाईगंज कोतवाली इलाक़े भी अम्बेडर की मूर्ति को नुक़सान पहुंचाया गया था।

7 अप्रैल 2018 को आगरा के दुगारैया गांव में भी बाबा साहेब की मूर्ति को असामाजिक तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था। वहीं उत्तर प्रदेश में ही 10 अप्रैल 2018 को बदायूं में अम्बेडकर प्रतिमा का हाथ तोड़ दिया गया था। इसी दिन सहारनपुर में भी अम्बेडकर की प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने का आरोप है।

ग़ौरतलब है कि 8 मार्च 2018 को त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति तोड़ी गई तो तमिलनाडु में अम्बेडकर की मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया गया वहीं केरल में महात्मा गांधी की प्रतिमा को क्षति पहुंचाई गई।

उधर 12 अक्टूबर 2016 को उत्तर प्रदेश के ही फ़र्रुख़ाबाद के गऊटोला के अम्बेडकर पार्क में लगी मूर्ति को अराजकतत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था।

देश के विभिन्न हिस्सों में अम्बेडकर के साथ साथ अन्य महापुरूषों की मूर्तियों को निशाना बनाया जाता रहा है।

सवाल यह है कि इस तरह की घटनाएं होती क्यों हैं, इन मूर्तिभंजको की मानसिकता क्या होती है। इनका मक़सद क्या होता है। दरअसल भीमराव अम्बेडकर की मूर्ति को, लेनिन या गांधी की मूर्तियों को क्षतिग्रस्त करने वाले इन महापुरुषों की विचाधारा के विरोधी होते हैं।

(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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